हर महीने आते हैं पीरियड्स क्या फिर भी हो सकती है पीसीओडी की समस्या, डॉक्टरों से जानें
आजकल अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते कई महिलाएं पीसीओेडी की समस्या से जूझ रही हैं. पीसीओडी में हार्मोन इंबैलेंस होने के चलते पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं. जिसकी शिकायत पर ही पीसीओडी का डायग्नोस किया जाता है. लेकिन कई बार ये समस्या रेगुलर पीरियड्स के साथ भी हो सकती है आइए जानते हैं वो कारण क्या हैं.
पीसीओडी यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज महिलाओं को होने वाली बेहद ही सामान्य समस्या है, ये ज्यादातर 20-35 साल की महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है. ये ज्यादातर महिलाओं की फर्टाइल उम्र में होती है यानी की जब महिलाएं मां बनने की उम्र में होती हैं. ऐसे में हार्मोन के इम्बैलेंस से हाई एंड्रोजन लेवल, ओवरी में सिस्ट, पिंपल्स, चेहरे पर ज्यादा बाल आना, वजन बढ़ना और फर्टिलिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. जिससे पीरियड्स में अनियमितता भी देखी जाती है, जो की पीसीओडी ग्रस्त महिलाओं में बेहद आम है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर मामले में ऐसा हो ये जरूरी नहीं.
इर्रेगुलर पीरियड्स नहीं है पीसीओडी का संकेत
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नुपुर गुप्ता का कहना है कि ये जरूरी नहीं कि अनियमित पीरियड में हमेशा पीसीओडी की शिकायत हो. कई बार रेगुलर पीरियड्स होने के बावजूद महिलाओं में पीसीओडी डायग्नोस होता है. हालांकि इसको डायग्नोस और ट्रीट करना उतना ही मुश्किल हो जाता है. ये समस्या निम्न कारणों से भी हो सकती है.
इंसुलिन रेजिस्टेंस पीसीओडी में कई बार महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या होती है जिसका मतलब ये है कि शरीर ठीक से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पा रहा जिससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. शरीर में इंसुलिन बढ़ने से एंड्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है जो कि पीसीओडी की समस्या को बढ़ाता है.
हार्मोन इम्बैलेंस– जब अन्य किन्हीं कारणों से शरीर में एंड्रोजन का लेवल बढ़ जाता है तो वो ओवरी के सामान्य कार्यों पर असर डालता है इससे भी ओव्यूलेशन में कमी या बढ़ोतरी हो सकती है. जो कि पीसीओडी का सामान्य लक्षण है.
जेनेटिक कारण– अगर ये समस्या आपके परिवार में पहले भी रही है तो इस समस्या का आपको होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. इसलिए अगर आपके परिवार की किसी नजदीकी महिला जैसे की मां, दादी, बहन आदि को पीसीओडी की समस्या रही है तो भी आपको इसके होने के चांसेस अन्यों के मुकाबले ज्यादा है.
रेगुलर पीरियड्स के साथ पीसीओडी
हालांकि इन दोनों में काफी गहरा लिंक है लेकिन कई मामलों में ये काफी सामान्यरूप से होता है, जिसमें महिला के पीरियड्स रेगुलर तो रहते हैं लेकिन उन्हें ओव्युलेशन में गड़बड़ी के चलते फर्टिलिटी की समस्या सामने आती है और जब टेस्ट किए जाते हैं तो पीसीओडी की समस्या सामने निकलकर आती है. एक ताजा शोध के मुताबिक एंड्रोजन की अधिकता की वजह से लगभग 7 पीसीओडी ग्रस्त महिलाओं के पीरियड्स सामान्य थे क्योंकि इनके मामले में पीसीओडी होने के कोई अन्य कारण और लक्षण पाए गए.
ऐसे में निम्न लक्षणों की मदद से पीसीओडी की पहचान की जाती है जिससे
– चेहरे पर बार-बार मुंहासे होना
– बालों का अत्याधिक पतला होना
– चेहरे पर बाल आना
– तेजी से वजन में कमी
– वजन कम करने में परेशानी होना शामिल हैं.
पीसीओडी को ठीक करने के उपाय
– पीसीओडी को ठीक करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं, खाने-पीने का खास ध्यान रखें. घर का हेल्दी खाना खाएं और बाहर के जंक फूड को खाने से बचें.
– वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश करें, इसके लिए रोजाना एक्सरसाइज करें और वजन न बढ़ने दें.
– अधिक से अधिक पानी पीएं.
– हार्मोंस को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाई समय पर लें.
पीसीओडी की समस्या को ठीक किया जा सकता है बशर्ते आप इसका ठीक से इलाज करवाएं और अपने लाइफस्टाइल को हेल्दी रखें.