हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं खुला शंभू बॉर्डर, हरियाणा सरकार को मिला अवमानना का नोटिस

13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के किसान शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. हरियाणा सरकार ने किसानों को रोकने के लिए आठ लेयर की सिक्योरिटी लगाई है. उधर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को आदेश दिया था कि एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर खोला जाए. लेकिन हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया.
वहीं हाई कोर्ट में शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर याचिका लगाने वाले वकील उदय प्रताप सिंह ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस भेजा है. वकील उदय प्रताप ने नोटिस में पूछा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेट्स तय समय पर क्यों नहीं हटाए गए? नोटिस में हरियाणा सरकार को हाई कोर्ट का आदेश मानने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी गई है. इसमें कहा गया है कि अगर 15 दिन में शंभू बॉर्डर नहीं खोला गया तो कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी.
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC में याचिका
दरअसल हरियाणा सरकार 13 जुलाई को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. इस मामले में SC में 22 जुलाई को सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में हरियाणा सरकार ने कानून व्यवस्था को आधार बनाया है, नायब सैनी सरकार ने दलील दी है कि हाई कोर्ट ने जमीनी हकीकत को जाने बिना ही शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया है, लिहाजा हरियाणा सरकार उसके फैसले का इंतजार कर रही है. उधर शंभू बॉर्डर पर किसान संगठनों की हलचल तेज हो गई है. वो अपनी आगे की रणनीति तय करने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं.
किसान संगठन क्यों दे रहे धरना?
किसान संगठन MSP की कानूनी गारंटी समेत 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकले थे लेकिन हरियाणा सरकार ने पटियाला और अंबाला के बीच बने शंभू बॉर्डर पर ही उनको रोक दिया. शुरुआत में तो किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प देखने को मिली लेकिन बाद में आंदोलनकारी किसान शंभू बॉर्डर पर ही धरने पर बैठक गए. बीते करीब 5 महीने से किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है.
जब किसानों ने दिल्ली में डाला था डेरा
केंद्र सरकार 2020 में 3 नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिसे बाद में किसानों के विरोध के चलते सरकार ने वापस ले लिया था. इन तीनों कृषि कानून को लेकर देशभर के किसान करीब एक साल तक धरने पर बैठे रहे. आंदोलनकारी किसानों की मांग थी कि न केवल 3 नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए बल्कि सरकार MSP की कानूनी गारंटी भी दे. 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया था कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने जा रही है. उस समय सरकार ने किसानों को MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी देने समेत उनकी कई मांगों को भी पूरा करने का वादा किया था. किसान अब इन्हीं मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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