हाथरस हादसा : भीड़ वाले आयोजनों में क्यों जरूरी है फर्स्ट एड की व्यवस्था, कैसे ये बचा सकती है लोगों की जान

Hathras Case : उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए सत्संग में आई भीड़ में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई है. आशंका है कि मृतकों की संख्या में और भी इजाफा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी अस्पतालों में कई घायलों का इलाज चल रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सत्संग स्थल पर अगर फर्स्ट एड की अच्छी सुविधा होती और मेडिकल स्टाफ मौजूद रहता तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी. लेकिन इससे अभाव में लोगों ने दम तोड़ दिया.
आइए जानते हैं कि भीड़ वाले स्थलों पर फर्स्ट एड की व्यवस्था क्यों जरूरी है और इससे कैसेमौत के मुंह में जा रहे लोगों को बचाया जा सकता है.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि भगदड़ में सांस लेने में परेशानी और कंप्रेसिव एस्फिक्सिया की वजह से लोगों की मौत हो जाती है. भीड़ में भगदड़ मचने से लोग कुचले जाते हैं. छाती पर पैर रखे जाने से लंग्स के पास मौजूद डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और इससे यह अंग सही तरीके से काम नहीं कर पाता है. इस वजह से सांस लेने में परेशानी होने लगती है. अगर कुछ मिनट तक सही तरीके से सांस नहीं आता है तो व्यक्ति की दम घुटने से मौत हो जाती है, लेकिन इस दौरान अगर फर्स्ट एड मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है.
फर्स्ट एड कैसे बचा लेता है जान ?
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि किसी भी भीड़ वाले आयोजन में फर्स्ट ए़ड की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए. फर्स्ट एड घायल व्यक्ति को अस्पताल में मेडिकल सहायता मिलने से पहले तक की जाने वाली मदद होती है. डॉ किशोर बताते हैं कि कई बार दुर्घटना ऐसे स्थल पर होती है जहां से अस्पताल दूर होते हैं. ऐसे मे अस्पताल जाते समय ही कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लेकिन अगर इनको समय पर फर्स्ट एड मिल जाता है तो मरीजों की जान को बचाया जा सकता है.
डॉ किशोर बताते हैं कि भगदड़ में कई लोग सांस लेने में परेशानी और शरीर पर दबाव पड़ने के बाद घायल हो जाते हैं अगर इन लोगों को कुछ ही समय में सीपीआर मिल जाए तो इनको मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है. अस्पताल जाने से पहले सीपीआर देने से हर 3 में से 1 व्यक्ति की जान बचने की संभावना रहती है. सीपीआर देने के लिए किसी मेडिकल डिवाइस की भी जरूरत नहीं है.
सीपीआर क्या होता है
फर्स्ट एड देने वाला कोई भी व्यक्ति सीपीआर दे सकता है. भगदड़ के दौरान जो लोग बेहोश होकर गिर जाते हैं उनको सीपीआर की जरूरत होती है. इससे दिल की धड़कन को दोबारा शुरू किया जा सकता है. सीपीआर में अपने दोनों हाथों से मरीज की छाती पर दबाव डालना होता है और 100-120 बार प्रति मिनट की दर से सीने को पंप करना होता है. इसके बाद माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन करना होता है यानी मुंह से मुंह में सांस देनी होती है. सीपीआर देने से मरीज की जान बच जाती है.
इसी तरह अगर किसी व्यक्ति को ऐसे हादसे में चोट लग गई है तो फर्स्ट एड के तहत उसके खून को रोकने के लिए घाव वाली जगह को साफ करके पट्टी बांधना होता है. इससे खून के फ्लो को रोका जा सकता है और अस्पताल पहुंचने तक मरीज की स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है.
लोगों को नहीं है जानकारी
दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार बताते हैं कि भारत में अधिकतर लोगों को फर्स्ट एड की जानकारी नहीं है. विदेशों में तो इसको स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है. भारत में भी लोगों को फर्स्ट एड की जानकारी देना जरूरी है. इससे किसी भी हादसे में लोगों की जान बचाई जा सकती है.

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