हिंदू धर्म इतना नाजुक भी नहीं…त्योहार में हाथियों की परेड पर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

केरल के कोच्चि में वृश्चिकोत्सवम 2025 उत्सव में हाथियों के परेड कराए जाने पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि उत्सवों को दौरान हाथियों का परेड कराया जाना जरूरी है? बिना परेड के क्या धार्मिक प्रथाओं का अस्तित्व नहीं होगा या फिर वो खत्म हो जाएंगी? दरअसल, परेड के दौरान हाथियों के बीच 3 मीटर की दूरी के नियम को सरल करने के लिए हाईकोर्ट में कोचीन देवस्वोम बोर्ड की तरफ से अपील की गई थी. कोर्ट ने इस मामले में ढील देने से मना कर दिया है. केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में मौखिक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि हाथियों की परेड कराना एक जरूरी धार्मिक प्रक्रिया कैसे हो सकती है?
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और गोपीनाथ की बेंच ने किया है. त्रिपुनिथुरा के पूर्णाथ्रयीसा मंदिर में वृश्चिकोत्सवम 2025 के लिए कोर्ट की तरफ से कुछ गाइड लाइन जारी की गई थी. इसी गाइड लाइन में छूट की मांग की गई थी. कोर्ट की तरफ से जारी की गई गाइड लाइन में हाथियों के परेड के दौरान कम से कम 3 मीटर की दूरी रखने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा कि हाथियों की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे. हाथियों के कल्याण के लिए ये दिशा- निर्देश आवश्यक था.
प्रूफ दें हाथियों के बिना नहीं होगी प्रथाएं पूरी
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में देवस्वोम बोर्ड को यहा साबित करना होगा कि हाथियों के बिना धार्मिक प्रथाओं पर प्रभाव पड़ता है या फिर वो पूरी तरह से समाप्त हो जाती हैं. बिना इसे साबित किए हाथियों के परेड का आवश्यक धार्मिक प्रथा होने का कोई सवाल ही नहीं उठता. इस मामले में हाथी विशेषज्ञ और वन्यजीव के विज्ञानी ने डॉ. पी.एस. ईसा ने ऑनलाइन माध्यमों के जरिए बताया है कि त्योहारों में हाथियों का इस्तेमाल या उन्हें बंदी बनाया जाना कथित तौर पर उन्हें तनाव से देता है और वो इससे काफी पीड़ित हैं.
इसी वजह से हाथियों में आक्रामकता का व्यवहार देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हाथियों में आमतौर आक्रामकता तब देखी जा सकती है, जब कई जानवारों को एक-दूसरे के पास खड़े करने के लिए जबरदस्ती की जाती है. इस मामले में कोर्ट के दिशा-निर्देश में साफ किया गया है कि दो हाथियों के बीच पेट की दूरी में कम से कम 3 मीटर की दूरी बनाया रखना जरूरी है. ये वैज्ञानिक रूप भी जरूरी है. व्यवहारिक तौर पर भी हाथियों को इससे आसानी मिलती है. कोर्ट ने कहा कि हाथियों का परेड कराने वाले जब तक आयोजन स्थल पर पर्याप्त जगह की सूचना नहीं देंगे तब तक उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जाए.

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