1, 2 नहीं EPFO देता है 7 तरह की पेंशन, ऐसे उठा सकते हैं लाभ
किसी भी कंपनी या किसी सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से पेंशन स्कीम चलाई जाती है. ईपीएफओ अपने ग्राहकों को 7 प्रकार की पेंशन मुहैया कराती है. पेंशन क्लेम करने के लिए अलग-अलग नियम और शर्तें हैं. इस पेंशन योजना को ईपीएफओ, EPS-1995 के नाम से चलाता है. जिसके अंतर्गत ईपीएफओ अपने कर्मचारियों को पेंशन के अलावा भी कई और लाभ प्रदान कराता है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की इस योजना का लाभ तभी उठाया जा सकता है, जब कर्मचारी ने कम से कम 10 साल तक नौकरी पूरी की हो. इस योजना को 1995 में लॉन्च किया गया था. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के द्वारा दिए जाने वाले पेंशन कुछ इस प्रकार है. आइए जानते हैं कौन सी हैं ये सात योजनाएं.
सुपर एनुवेशन या वृद्धावस्था पेंशन
ईपीएफ इस पेंशन योजना के तहत उन कर्मचारी को लाभ देता है, जिन्होंने 10 साल पूरे कर लिए हैं. इसके अलावा वे 58 साल के हो गए हो.
पूर्व पेंशन
अगर आपकी उम्र 50 साल से ज्यादा है, साथ ही अगर अपने अपनी सेवा के 10 साल पूरे कर लिए हैं उसके बाद नौकरी छोड़ दिया है और किसी ऐसे संस्थान में काम नहीं करते, जहां ईपीएफ अधिनियम मान्य नहीं है ऐसी स्थिति में आप पूर्व पेंशन का लाभ उठा सकते है.
दिव्यांग पेंशन
दिव्यांग होने के कारण नौकरी छोड़ने पर दिव्यांगो को पेंशन दी जा सकती है. इस पेंशन को पाने के लिए न्यूनतम उम्र या 10 वर्ष की सेवा की कोई आवश्यकता नहीं है.
विधवा या बाल पेंशन
कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, कर्मचारी की पत्नी और 25 साल से कम उम्र के दो बच्चे को एक साथ पेंशन मिलता है. अगर कोई बच्चा विकलांग हो जाता है तो उसे जीवन भर पेंशन मिलती रहेगी.
अनाथ पेंशन
किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है और पत्नी भी नहीं है तो 25 साल से कम उम्र के दो बच्चों से अधिक को एक ही समय में पेंशन दी जाती है. सबसे बड़े बच्चे के 25 साल का हो जाने पर पेंशन बंद हो जाएगी.
नामांकित पेंशन
कर्मचारी की मृत्यु पर नामांकित व्यक्ति पेंशन ले सकता है. यह तभी कर सकते है जब उसके परिवार में पत्नी-बच्चे जीवित नहीं हो.
आश्रित माता-पिता की पेंशन
अगर ईपीएफओ कर्मचारी शादी शुदा हो और उसकी मौत हो जाती है. सदस्य ने किसी को नामांकित भी नहीं किया है तो उसके पिता या माता को पेंशन दी जाती है.