100 से ज्यादा तरह की होती है आर्थराइटिस की बीमारी, इससे कैसे बचें?

आर्थराइटिस यानी जोड़ों में दर्द की समस्या एक ऐसी बीमारी है जिसके मामले हर साल भारत में बढ़ रहे हैं. आर्थराइटिस 100 से ज्यादा तरीकों की होती है. भारत में इस बीमारी के मरीजों का आंकड़ा 180 मिलियन से अधिक है. आर्थराइटिस के मामले डायबिटीज, कैंसर और हार्ट डिजीज की तरह ही बढ़ रहे हैं. खासकर ऑस्टियोआर्थराइटिस के केस लगातार सामने आ रहे हैं. ये बीमारी महिला और पुरुष दोनों को हो रही है. 50 साल से कम उम्र में भी इसके केस आ रहे हैं.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि खानपान की गलत आदतों, बिगड़े हुए लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज न करने से आर्थराइटिस जैसी बीमारी का दायरा बढ़ रहा है. मेरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के चेयरमैन डॉ. हेमंत शर्मा बताते हैं कि आर्थराइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पहले 50 साल से अधिक उम्र में इसके केस आते थे. लेकिन अब 35 से 45 आयु वर्ग में भी केस देखे जा रहे हैं. डॉ शर्मा बताते हैं कि रूमेटाइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले अधिक आ रहे हैं. वैसे तो आर्थराइटिस 100 से ज्यादा प्रकार की होती है, लेकिन ये दो ज्यादा लोगों को प्रभावित करती हैं.
रूमेटाइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है?
ऑस्टियोआर्थराइटिस में शरीर के जोड़ों का कार्टिलेज उम्र के साथ साथ कमजोर होने लगता है और टूटता है. इस वजह से हड्डियां एक दूसरे के साथ रग़ड़ने लगती है और जोड़ों में काफी दर्द और सूजन होती है. यह समस्या कूल्हों, घुटनों में सबसे ज्यादा होती है. रूमेटाइड आर्थराइटिस की बात करें तो इसमें शरीर के छोटे जोड़ों में भी तेज दर्द होती है, जैसे कलाई उंगली, पैरों के अंगूठे, कोहनी में भी दर्द हो सकती है. रूमेटाइड आर्थराइटिस इम्यूस सिस्टम से संबंधित एक रोग है. इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ही जोड़ों के टिश्यू पर अटैक करने लगता है. इस बीमारी में जोड़ों में तेज दर्द होता है.
डॉ. हेमंत बताते हैं कि आर्थराइटिस के ट्रीटमेंट के लिए अब रोबोटिक सर्जरी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, इससे मरीजों को न्यूनतम इनवेसिव विकल्प मिल रहा है. इलाज के बाद बेहतर परिणाम और जल्दी रिकवरी हो रही है.
आर्थराइटिस से बचाव कैसे करें
एम्स में रूमेटोलॉजी विभाग में डॉ. रंजन गुप्ता बताते हैं कि कुछ बातों को ध्यान में रखकर आर्थराइटिस को कंट्रोल किया जा सकता है. सबसे पहले जरूरी है कि आप अपना वजन कंट्रोल में रखें. इसके लिए खानपान पर ध्यान दें. रोज एक्सरसाइज जरूर करें. डाइट में विटामिन डी और कैल्शियम वाले फू्डस लें. अगर जोड़ों में दर्द की समस्या है तो इसको नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें.

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