108 साल के भुलई भाई…बीजेपी के इन 5 सबसे उम्रदराज सदस्यों को कितना जानते हैं आप?
लोकसभा चुनाव के बाद संगठन को नए सिरे से तैयार करने में जुटी भारतीय जनता पार्टी देशव्यापी सदस्यता अभियान चला रही है. सदस्यता अभियान के तहत बीजेपी ने पूरे देश में 10 करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के सबसे उम्रदराज सदस्य कौन हैं और इसमें पार्टी के पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी कितने नंबर पर आते हैं?
पूर्व विधायक भुलई भाई हैं सबसे उम्रदराज
श्रीनारायाण उर्फ भुलई भाई यूपी के कुशीनगर जिले के रहने वाले हैं. आधिकारिक तौर पर पार्टी के सबसे उम्रदराज सदस्य हैं. भुलई भाई की उम्र घोषित तौर पर 108 साल है. 2 बार के विधायक भुलई भाई अभी भी राजनीतिक और सार्वजनिक मंचों पर दिख जाते हैं.
भुलई भाई ने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की थी. राजनीति में आने से पहले भुलई भाई सरकारी नौकरी में थे. एमए तक की पढ़ाई कर चुके भुलई भाई को 1974 में जनसंघ ने यूपी के नौरंगिया सीट से उम्मीदवार बनाया. भुलई ने इस चुनाव में कांग्रेस के बैजनाथ प्रसाद को हराया.
1977 में भुलई को दूसरी बार जनता पार्टी ने इस सीट से उम्मीदवार बनाया और वे इस बार भी जीते. बीजेपी की स्थापना हुई तो भुलई 1980 के चुनाव में कमल फूल के सिंबल से नौरंगिया सीट से मैदान में उतरे, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबला होने की वजह से वे तीसरे नंबर पर पहुंच गए.
भुलई इसके बाद 1985 और 1989 के चुनाव में भी इस सीट से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. भुलई इसके बाद स्थानीय संगठन की राजनीति में एक्टिव हो गए.
दूसरे नंबर पर हैं लालकृष्ण आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी 96 साल के हैं. उन्हें गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सदस्यता दिलाई. आरएसएस के जरिए राजनीति में आने वाले लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के सबसे लंबे वक्त तक अध्यक्ष रहे हैं. आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष कैसे बने, यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं…
लालकृष्ण आडवाणी 2 बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और अटल बिहारी-मोरारजी देसाई की सरकार में मंत्री भी रहे हैं. 2019 तक लोकसभा के सांसद रहे लालकृष्ण आडवाणी पिछले 5 सालों से सक्रिय राजनीति से दूर हैं.
आडवाणी को बीजेपी का पितृपुरुष भी कहा जाता है. 1984 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी आडवाणी के नेतृत्व में 3 अंकों वाली पार्टी बन गई. 2009 के चुनाव में आडवाणी बीजेपी की तरफ से पीएम पद के भी दावेदार रह चुके हैं.
आडवाणी के बाद मुरली मनोहर जोशी का स्थान
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी 90 साल के हैं. प्रोफेसर की नौकरी छोड़ राजनीति में आए जोशी बीजेपी के तीसरे अध्यक्ष रहे हैं. जोशी भी आडवाणी की तरह 2019 तक लोकसभा के सांसद रहे. आडवाणी की तरह जेपी नड्डा ने जोशी की सदस्यता पर्ची कटवाई है.
केंद्र में गृह, शिक्षा जैसे विभाग के मंत्री रहे जोशी की गिनती एक वक्त में पार्टी के मुखर नेताओं में होती थी. जोशी 1977 में पहली बार उत्तराखंड के अल्मोड़ा से सांसद चुने गए थे. अल्मोड़ा के अलावा जोशी वाराणसी और कानपुर से भी सांसद रह चुके हैं.
जोशी के बीजेपी अध्यक्ष बनने और पार्टी के शीर्ष पद पर पहुंचने की पूरी कहानी यहां पढ़िए…
हिमाचल के शांता कुमार भी हैं इस लिस्ट में
89 साल के शांता कुमार भी बीजेपी के सबसे उम्रदराज सदस्य हैं. वे हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. शांता वर्तमान में सक्रिय राजनीति से दूर हैं. हालांकि, बीच-बीच में उनका बयान राजनीतिक गलियारों में जरूर सुर्खियां में रहता है.
शांता कुमार हिमाचल के कांगड़ा से 4 बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं. शांता 1963 में राजनीति में आए. 1972 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरे और जीतकर सदन पहुंचे.
1977 में शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. वे दो बार इस पद पर रहे हैं. 1999 में शांता कुमार अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में शामिल हुए. शांता कुमार 2019 तक लोकसभा के सांसद रहे हैं.
88 साल के करिया मुंडा भी वयोवृद्ध नेता
88 साल के करिया मुंडा की भी गिनती बीजेपी के उम्रदराज नेताओं में होती है. झारखंड राजनीति के कद्दावर नेता करिया मुंडा लोकसभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे हैं. मुंडा अटल बिहारी और मोरारजी सरकार में मंत्री भी रहे हैं.
मुंडा खूंटी सीट से लोकसभा के सांसद और खिजरी सीट से विधायक रहे हैं. साल 2000 में झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद जब बीजेपी को वहां से मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिला, तो मुंडा रेस में सबसे आगे थे, लेकिन आदिवासी बेल्ट की सियासत की वजह से वे पिछड़ गए.
2019 में मुंडा को भी बीजेपी ने खूंटी से टिकट नहीं दिया. वे तब से ही सक्रिय राजनीति से दूर हैं.