11 की उम्र में इराक से किडनैप, गाजा में बंधक बनाकर रखा…इस यजीदी लड़की को इजराइल ने छुड़ाया
इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने गाजा से एक 21 साल की लड़की को छुड़ाया है. जिसकी पहचान इराक की यजीदी समुदाय की फौजिया सिडो के तौर पर की गई है. फौजिया को करीब एक दशक पहले 2014 में ISIS के लड़ाकों ने बंधक बना लिया था. IDF ने कई महीनों के सीक्रेट ऑपरेशन के बाद इसे छुड़ाने में सफलता हासिल की है.
बताया जा रहा है कि ISIS के लड़ाकों ने फौजिया को बंधक बनाने के बाद हमास के लड़ाके को बेच दिया था, इराक सरकार को जब फौजिया के गाजा में होने की जानकारी मिली तो इराकी अधिकारियों ने अमेरिका से संपर्क साधा, इसके बाद अमेरिका ने इजराइल के साथ बातचीत कर फौजिया को छुड़ाने का सीक्रेट ऑपरेशन चलाया.
हमास और ISIS के बीच गठजोड़- IDF
इजराइली सेना के मुताबिक फौजिया को हमास के जिस लड़ाके के कब्जे में थी वह शायद इजराइली एयरस्ट्राइक में मारा गया, जिसके बाद फौजिया हमास के ठिकाने से भागकर गाजा में किसी दूसरी जगह पहुंचीं. कुछ महीने पहले वह इराकी अधिकारियों के संपर्क में आईं जिसके बाद उन्होंने अमेरिका से फौजिया को सुरक्षित निकालने के लिए संपर्क किया. इजराइली डिफेंस फोर्स ने फौजिया को सुरक्षित रेस्क्यू करने की जानकारी देते हुए हमास और ISIS के बीच गठजोड़ का दावा किया है.
𝐀𝐟𝐭𝐞𝐫 𝐦𝐨𝐫𝐞 𝐭𝐡𝐚𝐧 𝐚 𝐝𝐞𝐜𝐚𝐝𝐞 𝐢𝐧 𝐜𝐚𝐩𝐭𝐢𝐯𝐢𝐭𝐲 𝐢𝐧 𝐆𝐚𝐳𝐚, 𝐚 𝟐𝟏-𝐲𝐞𝐚𝐫-𝐨𝐥𝐝 𝐘𝐚𝐳𝐢𝐝𝐢 𝐰𝐨𝐦𝐚𝐧 𝐡𝐞𝐥𝐝 𝐛𝐲 𝐚 𝐇𝐚𝐦𝐚𝐬 𝐭𝐞𝐫𝐫𝐨𝐫𝐢𝐬𝐭 𝐚𝐟𝐟𝐢𝐥𝐢𝐚𝐭𝐞𝐝 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐈𝐒𝐈𝐒 𝐰𝐚𝐬 𝐫𝐞𝐬𝐜𝐮𝐞𝐝 𝐚𝐧𝐝 𝐫𝐞𝐭𝐮𝐫𝐧𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐡𝐞𝐫
— Israel Defense Forces (@IDF) October 3, 2024
इराक ने अमेरिकी अधिकारियों से किया संपर्क
इराकी पीएम के यजीदी मामलों के सलाहकार खलफ सिन्जर ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुडानी ने पिछले महीने UNGA से इतर अमेरिकी अधिकारी के साथ इस मसले पर बातचीत की, वह व्यक्तिगत तौर पर इस पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे.
दरअसल इराक और इजराइल के बीच डिप्लोमेटिक संबंध नहीं हैं, इसलिए इराकी अधिकारियों को फौजिया के रेस्क्यू के लिए अमेरिका की मदद लेनी पड़ी. हालांकि US मिलिट्री का कहना है कि यजीदी समुदाय कि फौजिया सिडो के रेस्क्यू में उनके सैनिकों की कोई भूमिका नहीं है, इजराइली सेना ने ही इस पूरे मिशन को अंजाम दिया है.
अमेरिकी पत्रकार रहीम रशीदी ने फौजिया का वीडियो शेयर किया है-
English, كوردی
A 21-year-old Kurdish Yazidi woman was forced to marry an Arab Muslim man in Gaza City 10 years ago after being captured by ISIS fighters during the occupation of Sinjar. She was rescued by the Israeli army.
Last night, after a decade of captivity, she was pic.twitter.com/5jNqTW2x6E
— Rahim Rashidi (@rahimrashidi) October 3, 2024
मामले से परिचित लोगों ने बताया है कि इजराइली अधिकारियों ने फौजिया सिडो को रिहा करवाने के लिए येरूशलम में अमेरिकी दूतावास और कुछ अन्य ‘अंतरराष्ट्रीय एक्टर्स’ से संपर्क किया और कई महीने चले सीक्रेट ऑपरेशन के बाद फौजिया सिडो को करेम शलोम क्रॉसिंग के जरिए गाजा से सुरक्षित निकाला गया.
अधिकारियों के मुताबिक फौजिया सिडो की फिजिकल कंडीशन ठीक है लेकिन वह ट्रॉमाटाइज्ड हैं, इस वक्त वह अपने परिवार के बीच आराम कर रही हैं. फौजिया करीब 10 साल पहले किडनैप की गईं थीं और इस दौरान उन्होंने न जाने कितनी यातनाएं झेली हैं.
10 साल पहले ISIS ने किया था किडनैप
फौजिया सिडो को करीब एक दशक पहले ISIS के आतंकियों ने इराक के सिन्जर प्रांत से बंधक बना लिया था. अगस्त 2014 में ISIS ने इस इलाके में यजीदी समुदाय के खिलाफ बड़ा हमला किया, इस दौरान करीब 1200 यजीदी मारे गए और 6000 लोगों को बंधक बना लिया गया. इराकी अधिकारियों के मुताबिक अब तक इनमें से करीब 3500 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, वहीं 2600 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. हालांकि आशंका है कि इनमें ज्यादातर की मौत हो चुकी है लेकिन यजीदी एक्टिविस्ट का मानना है कि इनमें से सैकड़ों लोग जिंदा हो सकते हैं और उन्हें बचाया जा सकता है.
इराक के अल्पसंख्यक यजीदी कौन हैं?
दरअसल ISIS इस समुदाय को ‘शैतान को पूजने वाला’ मानता है. ज्यादातर यहूदी इराक के उत्तर-पश्चिम इलाके में रहते हैं. जिन्हें 2014 में ISIS ने अपना निशाना बनाया. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्लामिक स्टेट के आतंकी यजीदी लड़कियों और महिलाओं को सेक्स स्लेव के तौर पर इस्तेमाल करते थे या फिर उन्हें दूसरे लोगों और संगठनों को बेच देते थे. वहीं छोटे लड़कों को जबरन ISIS में शामिल कराया जाता था.
उत्तर-पश्चिमी इराक और सीरियाई सीमा के करीब रहने वाले यजीदी समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं. ये न हिंदू हैं, न मुसलमान और न ही ईसाई. इस इलाके में सिंजर पर्वत के बीच एक लंबी, संकरी पर्वतमाला है जो यजीदी समुदाय के लोगों का पवित्र स्थल है. मान्यता है कि नूह की नाव कयामत के बाद इसी जगह पर आकर रुकी थी. अल्पसंख्यक होने के चलते इनके खिलाफ कई तरह के जुल्म होते रहे हैं लेकिन यह समुदाय इस्लामिक स्टेट के खास निशाने पर रहा है.
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