116 साल पुराना वो तेल का कुआं जो आजतक भर रहा ईरान का खजाना

2018 के बाद से लगे पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से ईरान अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए रास्ते निकाल रहा है. ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं. ईरान की अर्थव्यवस्था भी मिडिल ईस्ट के दूसरे देशों की तरह तेल और गैस पर ही निर्भर करती है. ईरान के स्टेट टेलीविजन के मुताबिक तेल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए ईरानी ऑयल मिनिस्ट्री ने अपने देश की ही कंपनियों के साथ 13 बिलियन डॉलर की डील साइन की है. ये डील देश की 6 ऑयल फील्ड में ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए की गई है, इन 6 फील्ड में मिडिल ईस्ट की सबसे पुरानी ऑयल फील्ड में से एक ‘मस्जिद सोलेमान’ भी शामिल है.

अमेरिकी एजेंसी EIA (Energy Information Administration) के मुताबिक ईरान दुनिया का 7वां तेल उत्पादक देश है, ऑयल रिजर्व के मामले में ईरान का नंबर वेनेजुएला और सऊदी अरब के बाद तीसरा है.

मस्जिद सोलेमान ऑयल रिजर्व

इस डील में तेल मंत्रालय ने खुजेस्तान में सबसे पुरानी ऑयल फील्ड मस्जिद सोलेमन से तेल निकालना भी शामिल है. इस फील्ड के लिए 260 मिलियन डॉलर की डील साइन की गई है. यहां एक कुएं से पहली बार 1908 में तेल निकाला गया था, तब से लेकर आजतक इस फील्ड से ईरान तेल निकाल रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक, अब तक मस्जिद सोलेमन से करीब 1.3 अरब बैरल तेल निकाला जा चुका है. इसके अंदर करीब 6.2 बिलियन बैरल तेल मौजूद होने की उम्मीद है.

“ईरान की सबसे बड़ी तेल डील”

ईरानी न्यूज एजेंसी शहाना ने इस डील को पिछले एक दशक में हुई अब तक की सबसे बड़ी डील के तौर पर लेबल किया है. एजेंसी ने दावा किया कि डील का मकसद देश के तेल उत्पादन में प्रतिदिन 350,000 बैरल बढ़ोत्तरी करना है. इसके साथ ही ईरान के तेल मंत्री जवाद ओवजी ने वादा किया कि 19 मार्च को फारसी साल के आखिर तक देश का तेल उत्पादक 3.6 बिलियन हो जाएगा.

चार कॉन्ट्रैक्ट में सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट अजादेगन फील्ड के लिए किया गया जिसकी कीमत 11.5 बिलियन डॉलर है. ये 1500 स्क्वायर किलोमीटर की एरिया में फैला है जो ईरान और इराक के बॉर्डर पर है. ये ऑयल फील्ड दुनिया का 10वां सबसे बड़ा फील्ड माना जाता है जिसमें करीब 32 बिलियन बैरल तेल है.

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