12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं, ‘रात्रेर साथी’ ऐप बनेगा सुरक्षा कवच.. कोलकाता रेप कांड पर ममता का एक्शन
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप कर हत्या के मामले में न्याय दिलाने की मांग पर पूरे देश में आंदोलन हो रहा है. महिलाओं की सुरक्षा की मांग की जा रही है. इनके बीच पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने बंगाल में “रात्रेर साथी” शुरू करने का ऐलान किया है. इस ऐप के जरिए रात में ड्यूटी करने वाली महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी.
नाईट ड्यूटी करनेवाली महिलाओं के लिए बंगाल सरकार ने विशेष ऐप जारी किया है. नाइट ड्यूटी करने वाली महिलाएं किसी भी आपातकालीन स्थिति में इस ऐप के इस्तेमाल कर पाएंगी.
रात में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ममता सरकार द्वारा कई कदम उठाने का ऐलान किया है. राज्य ने महिला डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया. यह खास प्रोग्राम उन लोगों के लिए है जो नाइट शिफ्ट में काम करते हैं.
ममता सरकार ने शुरू किया रात्रेर साथी ऐप
आरजी कर में डॉक्टर रेप कांड को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है. आरजी कर की मेडिकल छात्रा से रेप और हत्या की घटना ने महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. राज्य में कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाया गया है. ऐसे में शनिवार को राज्य सरकार की ओर से नए कार्यक्रम का ऐलान किया गया है.
शनिवार को मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अलापन बनर्जी ने कहा कि रात्रेर साथी परियोजना कई विभागों की पहल पर संचालित की जाएगी. मेडिकल कॉलेजों में पुलिस गश्त जारी रहेगी. महिला डॉक्टरों एवं नर्सों की ड्यूटी 12 घंटे से ज्यादा का न हो. यह भी देखा जाएगा कि महिला डॉक्टरों को कम रात्रि ड्यूटी दी जा सकती है या नहीं.
महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर
अस्पताल में रात्रेर साथी नाम का एक महिला अनुकूल सुरक्षा बल रखा जाएगा. महिलाओं के लिए अलग विश्राम कक्ष एवं शौचालय की व्यवस्था की जाएगी. राज्य एक सुरक्षित क्षेत्र बनाएगा और इसे सीसीटीवी से कवर करेगा. सभी कामकाजी महिलाओं के फोन में ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य होगा.
उन्होंने राज्य से निजी संस्थाओं से सरकार की गाइडलाइन का पालन करने की अपील की. यह कार्यक्रम सभी जिलों में भी अपनाया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत रात्रि ड्यूटी के दौरान दो महिलाओं के एक साथ या टीम में काम करने पर जोर दिया जाएगा. सुरक्षा गार्डों की भर्ती में महिला-पुरुष अनुपात पर भी राज्य की नजर रहेगी.