14 राज्य 355 सीट, 6200 किमो. 67 दिन, बीजेपी के मजबूत दुर्ग में राहुल गांधी क्या INDIA को जिता पाएंगे?
कांग्रेस लोकसभा चुनाव का शंखनाद नागपुर से गुरुवार को करने जा रही है तो राहुल गांधी अगले महीने से भारत जोड़ा यात्रा के दूसरे चरण पर निकल रहे हैं. राहुल गांधी पूर्वोत्तर से पश्चिम भारत तक यात्रा करेंगे, जिसकी शुरुआत 14 जनवरी को मणिपुर से होगी और समापन 20 मार्च को मुंबई में होगा. राहुल गांधी 67 दिनों में कुल 6200 किलोमीटर की यात्रा तय करेंगे. इस दौरान 14 राज्यों की तकरीबन 355 लोकसभा सीटों को साधने की कवायद करते वो नजर आएंगे. इनमें से ज्यादातर राज्य बीजेपी के मजबूत का दुर्ग माने जाते हैं, जहां पर पार्टी का दबदबा है. ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा करके क्या कांग्रेस को सियासी संजीवनी दे पाएंगे?
बता दें कि राहुल गांधी ने पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक करीब 3900 किलोमीटर की पदयात्रा की थी. कांग्रेस ने दशकों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर पदयात्रा का आयोजन किया था. राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा पिछले साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी में शुरू होकर 30 जनवरी को श्रीनगर में खत्म हुई थी. राहुल गांधी ने 130 दिनों में 12 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में 3970 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी. इस यात्रा से कांग्रेस को सियासी तौर पर दक्षिण भारत में फायदा मिला था.
भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को मिला फायदा
राहुल गांधी की भारत जोड़ा यात्रा का प्रभाव कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव पर पड़ा है, जिसका लाभ कांग्रेस को मिला था. कहा जाता है कि भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की इमेज एक गंभीर नेता के तौर पर बनी और विरोधियों द्वारा गढ़ी गई ‘पप्पू’ की इमेज से बाहर निकलने में कामयाब रहे. माना जा रहा है इसी तरह के फायदे के लिए कांग्रेस पार्टी फिर से भारत जोड़ो यात्रा-2 शुरू कर रही है, जो पूर्वोत्तर से पश्चिमी भारत तक की होगी. हालांकि, इस बार राहुल गांधी लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच यात्रा पर निकल रहे हैं तो उसके सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं.
अब राहुल करेंगे ‘भारत न्याय यात्रा’
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब राहुल गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ‘भारत न्याय यात्रा’ निकालने वाली है. पूर्वोत्तर के मणिपुर से पश्चिमी के मुंबई तक करीब 6200 किलोमीटर की यह लंबी यात्रा राहुल गांधी 67 दिनों में पूरी करेंगे. यह यात्रा 14 राज्यों से होकर निकलेगी, जो मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के 85 जिलों से गुजरेगी. जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ा यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने तीन मुद्दे उठाए थे, जिसमें आर्थिक विषमता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानशाही, लेकिन इस बार भारत न्याय यात्रा का मुद्दा आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय को उठाएंगे.
14 राज्यों से निकलेगी ‘भारत न्याय यात्रा’
कांग्रेस की यह ‘भारत न्याय यात्रा’ मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र पहुंचेगी. इन 14 राज्यों में कुल 355 लोकसभा सीटें आती है. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो इन 355 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने अपने दम पर 237 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों को 45 सीटें मिली थी. इस तरह से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 282 सीटें जीती थी, जो सराकर बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े के पार था. वहीं, कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें ही मिली थी जबकि 59 सीटें विपक्षी के क्षेत्रीय दलों के हिस्से में आईं थी.
बीजेपी के मजबूत दुर्ग में कांग्रेस की सेंधमारी
हालांकि, बीजेपी के 2019 में रहे दो सहयोगी अब अलग हो चुके हैं, जिसमें एक बिहार की जेडीयू और दूसरी महाराष्ट्र की शिवसेना. लेकिन, शिवसेना दो गुटों में बंट गई है, जिसमें एक धड़ा बीजेपी के साथ है तो दूसरी विपक्षी खेमे के संग खड़ा है. इस तरह बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में खड़ी नजर आ रही है. राहुल गांधी अब बीजेपी के इस मजबूत दुर्ग में सेंधमारी के लिए यात्रा पर निकल रहे हैं, जिसमें सामाजिक न्याय का नारा बुलंद करके अपना आधार मजबूत करेंगे. बीजेपी ने अभी हाल में इस रूट पर पड़ने वाले तीन राज्यों में मात देकर सत्ता पर काबिज हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ है. इससे बीजेपी के हौसले बुलंद है और 2024 के चुनावी जंग फतह करने के लिहाज से पुराने छत्रपों की जगह नए चेहरों को कमान सौंपी है, साथ ही दो-दो डिप्टीसीएम बनाकर सामाजिक संतुलन भी बनाने का दांव चल चुकी है.
बीजेपी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाने वाले रास्ते पर राहुल गांधी 67 दिनों तक चलकर मोदी के अभेद दुर्ग को भेदना चाहते हैं. इसके लिए राहुल गांधी आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय के नारे को बुलंद करेंगे. इसके पीछे वजह यह है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओबीसी सियासत हावी है. बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराकर आरक्षण की लिमिट बढ़ा चुके हैं तो यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक में मांग उठ रही है. उत्तर भारत की जातीय पॉलिटिक्स को देखते हुए कांग्रेस ने राहुल गांधी की मणिपुर से महाराष्ट्र तक की यात्रा को भारत न्याय यात्रा का नाम दिया है.
बीजेपी के विजय रथ को रोकना मकसद
पीएम मोदी के चेहरे को आगे करके बीजेपी ओबीसी वोटबैंक पर मजबूत पकड़ बना चुकी है. पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में ओबीसी वोटर की भूमिका अहम रही है. ओबीसी वोटों की ताकत को देखते हुए विपक्षी भी अब बीजेपी को घेरने के लिए सामाजिक न्याय का एजेंडा सेट कर रहा है. बीजेपी को 2024 में मात देने के लिए कांग्रेस विपक्षी गठबंधन INDIA का मजबूत हिस्सा है. कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग में लचीला रुख अपनाने की बात करके साफ संकेत दे दिया है कि बीजेपी को हराने के लिए हर समझौते के लिए तैयार है.
राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा के दौरान जिन राज्यों से गुजरेंगे, वहां पर क्षेत्रीय दल भी मजबूत स्थिति में है. पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय, नागालैंड में क्षेत्रीय दल मजबूत है. बंगाल में टीएमसी सत्ता पर काबिज है तो झारखंड में जेएमएम और बिहार में नीतीश कुमार के अगुवाई में महागठबंधन. इसके अलावा यूपी में बीजेपी के खिलाफ सपा है तो महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी एक बड़ी ताकत हैं. ओडिशा में बीजेपी के खिलाफ नवीन पटनायक की बीजेडी को छोड़कर बाकी छत्रप विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ हैं.
कांग्रेस विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ चुनाव लड़ रही है और इस कारण बीजेपी के सामने भी कम चुनौती नहीं होगी, वहीं INDIA गठबंधन में भी कई चुनौतियां हैं. कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पूरी तरह व्यस्त होगी तो INDIA गठबंधन को एकजुट रखने, आने वाली चुनौतियों से निपटने, रणनीति बनाने और इस सबसे बढ़कर देश भर की लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव अभियान को संभालने में कैसे सक्षम होगी? ऐसे में देखना है कि राहुल गांधी पूर्वोत्तर से महाराष्ट्र तक यात्रा करके क्या कांग्रेस में संजीवनी दे पाएगी?