15 अगस्त को Box Office पर नहीं गूंजेगा ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’, दर्शक क्या देखे?

पंद्रह अगस्त का मौका देशभक्ति के जज्बातों से लैस होता है. वतन से प्यार, कुर्बानी की गाथा, बॉर्डर पर युद्ध और आज़ादी की भावना हरेक हिंदुस्तानी के दिलों की शान होती है. और यही वजह है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर लोग सिनेमा घरों में या टीवी पर उन फिल्मों को अधिक से अधिक देखना पसंद करते रहे हैं जिनमें ये बातें गौरवपूर्ण तरीके से दिखाई जाती हैं. टीवी पर तमाम मनोरंजन चैनल इस दिन देशभक्ति की क्लासिक फिल्में दिखाते हैं. इनमें बॉर्डर पर युद्ध तो सबसे लोकप्रिय विषय रहा है और यह युद्ध अगर पाकिस्तान से हो तो सोने पे सुहागा. पाकिस्तान मुर्दाबाद सुनना किस हिंदुस्तानी को प्रिय नहीं लगता. यह बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाने और तोड़ने का हिट फॉर्मूला है. पिछले कुछ सालों में ये नजीर बखूबी देखने को मिले हैं. साल 2023 में 15 अगस्त के मौके पर रिलीज ‘गदर 2’ को देखकर बीस साल पुराना नॉस्टेल्जिया जाग उठा लेकिन 2024 में आजादी पर्व पर रिलीज होने वाली फिल्मों की फेहरिस्त पर नजर डालें तो निराशा हाथ लगती है.
हालांकि ‘गदर 2’ में पहले वाली ‘गदर’ का केवल गुबार ही था, लेकिन सन्नी देओल के किरदार ने जब पाकिस्तान की धरती पर जाकर तोप की तरह ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे दहाड़े और वहां के हाईटेंशन वायर के खंभे उखाड़कर देश की बत्ती गुल कर दी (पिछली बार हैंडपंप उखाड़ा था) तो सिनेमा हॉल में सीटियों और तालियों से मानो सिल्वर स्क्रीन भी थर्रा उठा. बेशक फिल्म में दम नहीं था लेकिन जज्बात जगाने का पूरा दमखम था. 2024 में 15 अगस्त के मौके पर सिनेमा हॉल में ना ये जोश-जज्बात दिखने वाला है और ना ही पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा गूंजने वाला है तो दर्शक आखिर क्या देखे? अक्षय कुमार की कॉमेडी और सरकटी लाश का हॉरर?
देश भक्ति के मौके पर कॉमेडी और हॉरर
15 अगस्त के मौके पर बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होने वाली फिल्मों की क्या परंपरा रही है, इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि इस साल आजादी पर्व पर कौन-कौन सी फिल्में देखने को मिल रही हैं. और उनमें क्या खास है. आंकडों के हिसाब से देखें तो 15 अगस्त को इस साल कुल आठ फिल्में रिलीज होने जा रही हैं. इसमें हिंदी, साउथ और भोजपुरी फिल्म भी शामिल है लेकिन केवल हिंदी की बात करें तो इस दिन तीन बड़ी फिल्मों ने दस्तक दी है. ये तीन फिल्में हैं- श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी की ‘स्त्री 2’. यह कॉमेडी हॉरर ज़ॉनर की फिल्म है. रहस्य-रोमांच के साथ हंसना-हंसाना इस फिल्म का आधार है. मुस्कराती और नाचती श्रद्धा कपूर के बीच अचानक हॉरर का आतंक दर्शकों को गुदगुदाता है.
दूसरी फिल्म ‘खेल खेल में’ है. वैसे तो यह फिल्म मल्टीस्टारर है जिसमें फरदीन खान और तापसी पन्नू भी हैं लेकिन इसे अक्षय कुमार के लिए काफी अहम बताया जा रहा है. यह शुद्ध हास्य फिल्म है. कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद अक्षय कुमार फिर से कॉमेडी की शरण में आए हैं, टाइमिंग उनकी किस्मत के साथ इस बार कौन सा खेल खेलती है, ये बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट से ही पता चलेगा. यानी इस फिल्म में भी देशभक्ति का जोशीला जज्बात दूर की कल्पना है. हालांकि जॉन अब्राहम की फिल्म ‘वेदा’ में ऐसे मुद्दे को उठाया गया है जिसमें धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय की बातें की गई हैं, यहां संविधान, लोकतंत्र और स्त्री सुरक्षा का संवाद और प्रसंग भी है. लेकिन यह एक एक्शन ड्रामा फिल्म है इसमें कहानी और देश भक्ति से ज्यादा जॉन की बॉडी देखने को मिल सकती है.
पिछले सालों में दिखा अनसंग देशभक्ति का ट्रेंड
पिछले कुछ सालों में हिंदी फिल्मों का मिजाज काफी बदला है. सिनेमा में बड़े पैमाने पर राष्ट्रवाद का नवाचार देखने को मिला है. कहानियां ऐसी प्रस्तुत की गईं जिनमें देशभक्ति के जोशीले जज्बात के बदले राष्ट्रवाद अधिक लाउड होकर सामने आया. हमारी फिल्म इंडस्ट्री का ये पुराना चलन है, जो एक थीम हिट हो जाए तो उसकी भेड़चाल नकल शुरू हो जाती है. इसे ही ‘ट्रेंड’ कहते हैं. बहती गंगा में हाथ धोने के बाजार में उछाल आ जाता है. पिछले कुछ सालों में 15 अगस्त के आस-पास कई ऐसी फिल्में आईं जो इसी कोशिश का नतीजा थीं. फिल्म चले या ना चले- फिल्मकारों ने अपने इरादों की उपस्थिति दर्ज करा दी. इससे इंडस्ट्री को नुकसान भी हुआ और लाभ भी. इसका विश्लेषण फिर कभी. लेकिन 2024 के आज़ादी पर्व पर अब इंडस्ट्री ने जिस प्रकार की फिल्मों से दस्तक दी है तो समझा जा सकता है जो ‘ट्रेंड’ शुरू हुआ था और उसका आशय क्या था.
19 अगस्त 2021 में अक्षय कुमार ‘बेलबॉटम’ लेकर आए थे. पहले तो लोग समझ नहीं पाए कि ये बेलबॉटम फैशनेबल फुलपैंट है या कुछ और लेकिन फिल्म देखने पर पता चला यह अनसंग स्पॉय थ्रिलर थी. अगस्त 1984 में इंडियन एयरलाइंस के अपहरण की कहानी दिखाई गई थी. इसमें लारा दत्ता इंदिरा गांधी बनी थी. इससे पहले 12 अगस्त को डायरेक्टर विष्णुवर्धन लेकर आए- ‘शेरशाह’. यह फिल्म परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बिक्रम बतरा के साहसिक जीवन पर आधारित थी, जिन्होंने करगिल युद्ध में लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दी थी. फिल्म प्रभावशाली हो सकती थी लेकिन इस रोल में सिद्धार्थ मलहोत्रा को दर्शकों ने पसंद नहीं किया. फिल्म भेड़चाल साबित हुई. इसी साल 13 अगस्त को अजय देवगन लेकर आए ‘भुज-द प्राइड ऑफ इंडिया’. यह फिल्म भुज बेस में सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध पर आधारित थी. तानाजी में अजय को देख चुके दर्शकों में इस फिल्म के अजय देवगन को फिर से देखने का एक चाव था लेकिन वह पूरा नहीं हो सका.
आमिर खान भी चलन से दूर नहीं रह सके
इससे पहले 2022 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ देखने को मिली. 11 अगस्त को रिलीज हुई ‘लाल सिंह चड्ढा’ हालांकि अमेरिकी फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ का हिंदी रीमेक थी लेकिन उसमें देश में घटे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को बहुत ही ह्यूमरस भावुकता के साथ प्रस्तुत किया गया था. इसका मकसद उन अहम पड़ावों को दिखाना था जो आजाद भारत में अपनी खास अहमियत रखता है और जिसने देश के माहौल और विकास को प्रभावित किया. लेकिन कथानक में इतना जंप था कि दर्शक उससे सिलसिलेवार तरीके से जुड़ नहीं पाए और यह फिल्म भी भेड़चाल साबित हुई. इसी साल अक्षय कुमार ने सिल्वर स्क्रीन पर सालों से लुप्तप्राय हो चुके ‘रक्षाबंधन’ का त्योहार लेकर आए लेकिन कहानी कोई आकर्षण नहीं था लिहाजा यह बुरी तरह से पिट गई. उनके गोलगप्पे से दर्शकों का पेट नहीं भरा.
स्वतंत्रता दिवस पर फिल्म रिलीज का रिवाज
हालांकि हिंदी फिल्मों के इतिहास पर एक नजर डालें तो ऐसा कोई रिवाज नहीं दिखाई देता कि 15 अगस्त के मौके पर केवल देशभक्ति के विषय पर आधारित फिल्में ही रिलीज हुई हैं. ‘शोले’ इसका का अन्यतम उदाहरण है. यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी जो देशभक्ति फिल्म कत्तई नहीं है. हिंदी की महान देशभक्ति फिल्मों में जिनको गिना जाता है, वे फिल्में भी 15 अगस्त के मौके पर रिलीज नहीं हुईं. मनोज कुमार देशभक्ति फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि ‘उपकार’ उन्होंने 11 अगस्त (1967) को रिलीज की थी लेकिन उसके बाद ‘क्रांति’ 8 फरवरी (1981) को रिलीज हुई थी. इसी तरह जेपी दत्ता की ‘बॉर्डर’ 13 जून (1997) को तो आमिर खान की ‘सरफरोश’ 30 अप्रैल (1999), अमिताभ बच्चन, ऋतिक रोशन की ‘लक्ष्य’ 18 जून (2004), आलिया भट्ट की ‘राज़ी’ 11 मई (2018) और विकी कौशल की ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ 11 जनवरी, (2019) आदि कई ऐसी ब्लॉकबस्टर देशभक्ति की फिल्में हैं तो 15 अगस्त या 26 जनवरी के मौके पर रिलीज नहीं हुईं और अवाम के दिलों में बखूबी जगह बनाई.
आज भी इस मौके पर देश भक्ति के पुराने तराने सबसे अधिक गूंजते हैं. मसलन ‘जिस मुल्क की सरहद की निगहबान है आंखें’… या कि ‘हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के’… लेकिन ऐसा लगता है फिल्म इंडस्ट्री अपने पुराने चलन की ओर लौट रही है. कम से कम 2024 में आजादी पर्व पर रिलीज फिल्मों की लिस्ट तो यही बताती है. लेकिन आज़ाद मुल्क में मनोरंजन की भी अपनी आज़ादी है. दर्शक जो देखना पसंद करें, इसके लिए वो आज़ाद हैं. पुरानी देशभक्ति फिल्में देखें या ताजा कॉमेडी और हॉरर.

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