16 की उम्र में रीढ़ की हड्डी टूटी, फिर भी नहीं मानी हार, मिस्टर इंडिया ने बैठे-बैठे पेरिस में कर दिया कमाल

भारतीय एथलीट प्रणव सूरमा ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुष क्लब थ्रो F51 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. उनकी इस जीत के साथ ही भारत के अभी तक कुल 24 मेडल हो गए हैं. इसके साथ ही भारत मेडल टैली में 13वें नंबर पर पहुंच गया है. पैरालंपिक में भारत का ये अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. हरियाणा के रहने वाले प्रणव की जीत का सफर काफी प्रेरणादायी है. 16 साल की उम्र में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद से उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है. प्रणव ने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया लेकिन उनका मानना है कि खेल ने ही असल मायनों में उनकी जिंदगी बदला.
14 साल से व्हीलचेयर पर
प्रणव सूरमा का जन्म साल 1994 में हुआ था. वो हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं. 16 साल की छोटी सी उम्र में ही उनके साथ एक बड़ी दर्दनाक घटना घटी. 16 साल की उम्र में वह एक एक्सीडेंट का शिकार हो गए. इस दुर्धटना में वो गंभीर रूप से चोटिल हो गए. उनकी रीढ़ की हड्डी में इतनी गंभीर रूप से इंजरी हुई कि वो तब से चलने में असमर्थ हो गए. इसके बाद उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा और 14 साल से इसी के भरोसे अपने सभी काम पूरे करते आए हैं. हालांकि, युवा अवस्था में चोट लगने के बावजूद प्रणव ने हार नहीं मानी और आगे अपने सामान्य जीवन को जारी रखा.
बैंक मैनेजर, फिर बने मिस्टर इंडिया
प्रणव सूरमा ने पिछले 14 सालों में एक लंबा और प्रेरणादायी सफर तय किया है. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी कॉम पूरा किया. इसके बाद प्रणव ने कॉमर्स की पढ़ाई के लिए सबसे अच्छे इंस्टिट्यूट में गिने जाने वाले दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से एम कॉम की डिग्री हासिल की. पढ़ाई पूरी करने के बाद 2020 में उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में एसिस्टेंट मैनेजर के तौर पर जॉइन किया. इतना ही नहीं प्रणव की इंस्टाग्राम अकाउंट पर दिए जानकारी के अनुसार वो मिस्टर इंडिया भी रह चुके हैं.

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