1882 में इंग्लैंड के साथ जो हुआ था, 142 साल बाद वही पाकिस्तान के साथ हुआ, मुल्तान टेस्ट में शर्मनाक हार
पाकिस्तान की टीम अपने घर में पहली पारी में 556 रन बनाकर हार गई. ये टेस्ट क्रिकेट के करीब डेढ़ सौ साल के इतिहास में पहली बार हुआ. ऐसा नहीं है कि पहली पारी में 556 रन बनाकर कोई टीम हारी नहीं है. 2003 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को और 2012 में वेस्टइंडीज ने बांग्लादेश को हराया है. लेकिन मुल्तान में पाकिस्तान की हार इसलिए शर्मनाक है क्योंकि वो दुनिया की पहली ऐसी टीम बन गई है जो पहली पारी में 556 रन बनाने के बाद भी पारी के बड़े अंतर से मैच हार गई. वो भी अपने घर में. जहां उसने अपनी मर्जी की विकेट बनवाई थी.
किस्मत ने साथ दिया और टॉस भी उसके पक्ष में गया. जिस विकेट पर गेंदबाजों के लिए कुछ मदद नहीं थी वहां पाकिस्तान के तीन बल्लेबाज़ों ने पहली पारी में शतक भी जड़ दिया. इसमें कप्तान शान मसूद भी शामिल हैं. मुल्तान टेस्ट में सलामी बल्लेबाज अब्दुल्ला शफीक ने 102, कप्तान शान मसूद ने 151 और सलमान आगा ने नॉट आउट 104 रन बना दिए. सउद शकील भी शतक के करीब जाकर 82 रन पर आउट हो गए वरना एक पारी में चार शतक होते. लेकिन दूसरी पारी में जब दबाव की सूरत में बल्लेबाजी करनी थी तो यही बल्लेबाज घुटने टेकते नजर आए. पिच वही थी जिस पर गेंदबाजों के लिए कुछ नहीं था. बल्लेबाज भी वही थे. बस परिस्थितियां बदली थीं और इन बदली परिस्थियों ने ही पाकिस्तान को शर्मनाक हार की तरफ ढकेल दिया.
267 रन का दबाव पड़ा पाकिस्तान पर भारी
पहली पारी के आधार पर इंग्लैंड के खाते में 267 रन की बढ़त थी. इस बढ़त को हासिल करने के लिए उसने कमाल की हिम्मत दिखाई. इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों ने लगभग साढ़े पांच के रन-रेट से रन बनाए. हैरी ब्रूक ने तो 310 गेंद पर 300 रन जड़ दिए. जो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का दूसरा सबसे तेज शतक है. इंग्लैंड की इस रणनीति का टीम इंडिया से भी कनेक्शन है. हाल ही में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को कानपुर टेस्ट में हराया था. कानपुर टेस्ट में करीब ढाई दिन का खेल बारिश की भेंट चढ़ गया था. इसके बाद भारतीय टीम जब बल्लेबाजी करने उतरी तो उसने पहले तीन ओवर में रिकॉर्ड पचास रन जोड़ दिए. यशस्वी जायसवाल ने पहले ओवर में तीन चौके और रोहित शर्मा ने दूसरे ओवर में दो छक्के जड़कर इरादे साफ कर दिए.
सीधी-सीधी रणनीति थी कि मैच की ‘ड्राइविंग सीट’ पर खुद बैठना है. रोहित शर्मा ने मैच के बाद कहा भी था कि हमें इस बात की फिक्र नहीं थी कि हम रन कैसे बनाएंगे, हम बस ये सोच रहे थे कि दूसरी पारी में बांग्लादेश को कितने ओवर में आउट करेंगे. भारत ने कानपुर टेस्ट में 8 से ज्यादा की रनरेट से रन बनाए थे. बिल्कुल यही रणनीति मुल्तान में इंग्लैंड की टीम की रही. उन्होंने भी साढ़े पांच के रन रेट से 800 से ज्यादा रन जोड़ दिए. ये अलग ही लेवल की क्रिकेट है, जिसमें टीम का सिर्फ और सिर्फ एक मकसद है- मैच में जीत हासिल करना. उसके लिए चाहे जिस तरह खेलना पड़े.
इससे नीचे कहां जाएगा पाकिस्तान का टेस्ट क्रिकेट?
इंग्लैंड के खिलाफ इस सीरीज से पहले बांग्लादेश ने पाकिस्तान को रावलपिंडी में लगातार दो टेस्ट मैच में हराया था. पाकिस्तान के टेस्ट इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था जब बांग्लादेश के खिलाफ उसे हार का सामना करना पड़ा हो. इंग्लैंड के खिलाफ मुल्तान टेस्ट का नतीजा साफ बता रहा है कि पाकिस्तान के लिए अब उसका घर भी सुरक्षित नहीं रह गया है. पिछले 10 साल में पाकिस्तान की टीम ने अपने घर में जितने मैच जीते हैं उससे ज्यादा हारे हैं. ये आंकड़ा 30 और 36 का है. यानी पिछले 10 साल में पाकिस्तान अपने घर में 30 मैच जीती है जबकि 36 में उसे हार का सामना करना पड़ा है. पिछले 10 साल में भारतीय टीम सिर्फ 4 टेस्ट मैच अपने घर में हारी है. ये आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान की टीम लगातार गर्त में जा रही है.
अफसोस की बात ये है कि पाकिस्तान का प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं है. फैंस के लिए अच्छा नहीं है. इस दुर्दशा के लिए अकेले खिलाड़ियों को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा. खिलाड़ी तो हर मैच में इस डर के साथ मैदान में उतरते हैं कि ‘कहीं हार तो नहीं जाएंगे’…’कहीं हार तो नहीं जाएंगे’. ये डर धीरे धीरे उनके सिर पर चढ़कर बोलने लगता है. नतीजा पाकिस्तान ऐसी टीम हो गई है जिसे टी20 और वनडे के बाद अब टेस्ट क्रिकेट में भी उलटफेर का शिकार होना पड़ता है.
ज्यादा दिक्कत पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अंदर है. जहां की गंदी राजनीति टीम के प्रदर्शन पर असर डाल रही है. हर सीरीज के बाद कप्तान को बदलना, किसी एक-दो खिलाड़ी को बलि का बकरा बनाना बोर्ड की आदत हो गई है. बाबर आजम और शाहीन शाह अफरीदी जैसे खिलाड़ियों को इतना चढ़ा दिया गया कि वो अपनी ताकत ही भूल गए हैं. जिस मैच में इंग्लैंड के गेंदबाज 20 विकेट लेते हैं उस मैच में शाहीन शाह अफरीदी को सिर्फ एक विकेट मिला है. जिस टेस्ट मैच में पांच शतक लगे हैं उसमें बाबर आजम ने 30 और 5 रन की पारी खेली. कहानी कुल मिलाकर कुल ऐसी है कि आज की तारीख में फजल महमूद, हनीफ मोहम्मद जैसे दर्जनों महान खिलाड़ियों की आत्मा रो रही होगी कि कितनी मेहनत से पाकिस्तान क्रिकेट को विश्व क्रिकेट में पहचान दिलाई थी, आज वो एक ऐसी टीम बनकर रह गई है जो हार के डर से बचने को विरोधी टीम के लिए गड्ढा खोदती है और खुद उसी में गिर जाती है.