2 दिन में 21% गिरे वोडा-आइडिया के शेयर, क्यों नहीं आ रहे अच्छे दिन? ये है बड़ा कारण

वोडाफोन और आइडिया का जब मर्जर हुआ था, तब वह देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन चुकी थी. लेकिन अब उसकी जो हालत है, उसके बारे में सबको पता है. कुछ ऐसी ही हालत कंपनी के शेयर की भी है, जो बीते दो ट्रेडिंग सेशन में 20 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया. अभी कंपनी के शेयर का बंद भाव करीब 10 रुपए है. तो आखिर ऐसा क्या है कि कंपनी के शेयर में गिरावट आ रही है और आखिर इसमें सुधार कब होगा?
वोडाफोन-आइडिया के शेयर में हालिया गिरावट की बड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है. कंपनी ने एडजस्टेट ग्रॉस रिवेन्यू (एजीआर) के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव याचिका दाखिल थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दलील मानने से इंकार कर दिया. इसके बाद अब वोडाफोन आइडिया को सरकार का करीब 70,300 करोड़ रुपए का बकाया चुकाना पड़ेगा. एजीआर बकाया को लेकर कंपनी का खुद का एस्टीमेट ही करीब 35,400 करोड़ रुपए का है.
मार्केट में मौजूद हैं 63,05,98,03,922 शेयर्स
वोडाफोन आइडिया पहले से कर्ज के भारी बोझ में दबी हुई है. इसके उलट हाल में कंपनी ने अपना एफपीओ भी जारी किया था जिससे कि वह अपनी माली हालत ठीक करने के लिए थोड़ा पैसा जुटा सके. इसका असर ये हुआ कि अब कंपनी के बाजार में 63,05,98,03,922 (6,305 करोड़) शेयर मौजूद हैं. कंपनी पर जितना सरकार का बकाया है, उससे कुछ ही ज्यादा उसका टोटल मार्केट कैपिटलाइजेशन है. ये राशि 71,304.75 करोड़ रुपए है.
कंपनी के इन आंकड़ों को देखकर मार्केट के अधिकतर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनी का शेयर अभी मुश्किल दौर में है. नोमुरा इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वोडाफोन आइडिया का ये सबसे बुरा दौर है,जो अब पीछे छूट रहा है. हालांकि अन्य एक्सपर्ट इस बारे में एकमत नजर नहीं आते हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक नोमुरा जहां इसे ‘बाय’ रेटिंग देती है. तो वहीं नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ‘होल्ड’, जेएम फाइनेंशियल्स ‘सेल’ और गोल्डमैन सैक्स इसे ‘अंडरपरफॉर्म’ की रेटिंग देता है.
बिड़ला ने खरीदे 1.86 करोड़ शेयर
वोडाफोन आइडिया के प्रमोटर कुमार मंगलम बिड़ला ने हाल में कंपनी के 1.86 करोड़ शेयर खरीदे हैं. वहीं पिलानी इंवेस्टमेंट ने भी 30 लाख शेयर्स की खरीद की है. इसके बावजूद गोल्डमैन सैक्स ने कंपनी के शेयर की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है. इसकी वजह मार्केट में कंपनी के शेयर्स की जरूरत से ज्यादा उपलब्धता होना है. कंपनी के 6,305 करोड़ शेयर्स में से प्रमोटर्स के 1.86 करोड़ शेयर खरीदने से मार्केट में इनकी उपलब्धता पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है.

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