2 लाख में बढ़ाएं अपना छोटा कद! वो सर्जरी, जिससे लोग बढ़ा रहे हैं अपनी लंबाई

Height Increasing Surgery: बच्चे के जन्म के बाद पेरेंट्स उसकी कई चीजों के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं. बच्चे के बड़ा होने पर उसकी स्किन टोन कैसा होगा या फिर कितनी लंबी हाइट होगी. ज्यादातर लोग बच्चे की हाइट को लेकर परेशान रहते हैं. भारत में तो अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को लटकने वाली एक्सरसाइज करने को कहते हैं, जिससे समय रहते उनकी लंबाई बढ़े.
जिन लोगों की हाइट थोड़ी छोटी रह जाती है, उन्हें कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी दिक्कत तो यही है कि शादी के लिए रिजेक्ट हो जाना. जर्नल ऑफ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर की रिपोर्ट की मानें तो भारतीय पुरुषों की औसत लंबाई 1.64 मीटर यानी 5 फीट 4.9 इंच है. वहीं, महिलाओं की औसत लंबाई की बात करें तो 5 फीट 0.05 इंच है. लेकिन लंबाई बढ़ाने के लिए लोग अब लिम्ब लेंथनिंग सर्जरी का सहारा ले रहे हैं.
गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल में डॉ. हेमंत बंसल (कंसल्टेंट- ऑर्थोपेडिक्स) का कहना है कि लोग अपनी लंबाई को लेकर काफी संजीदा हैं. छोटा कद उन्हें काफी परेशान करता है. उन्हें लोगों से काफी ताने-सुनने पड़ते हैं. कई लोगों को रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है. इन चीजों से बचने के लिए वह लिम्ब लेंथनिंग सर्जरी का सहारा लेते हैं.
लिम्ब लेंथनिंग सर्जरी के बारे में जानिए
डॉ. हेमंत कहते हैं कि शारीरिक लंबाई को बढ़ाने में मदद करने के लिए ये सर्जरी की जाती है. शरीर की लंबाई बढ़ाने के लिए लोग एक्सरसाइज, योग, खेलकूद, खानपान आदि पर बहुत ध्यान देते हैं परंतु उसके बाद भी लंबाई नहीं बढ़ पाती. एक्सपर्ट कहते हैं कि मेडिकल साइंस और तकनीकी के द्वारा लंबाई बढ़ाना भी अब संभव हो गया है. शरीर की लंबाई बढ़ाने के लिए लिम्ब लेंथनिंग सर्जरी (Limb Lengthening Surgery) की जा रही है. इसे कॉस्मेटिक हाइट सर्जरी भी कहा जाता है.
यह एक विशेष प्रकार की ऑर्थोपेडिक सर्जरी है. आमतौर ये सर्जरी उन लोगों की होती है, जिन्हें चोट, जन्म से ही किसी अंग में कमी या आनुवंशिक कारणों से शरीर के अंगों में लंबाई की असमानता पाई जाती है. लेकिन आजकल छोटे कद वाले लोग भी इस सर्जरी को करवा रहे हैं. डॉ. हेमंत कहते हैं कि इस सर्जरी को करवाने के लिए पेशेंट को पूरी तरह से फैमिली का सपोर्ट होना चाहिए. इसके अलावा, उसे मानसिक तौर पर भी तैयार होना चाहिए.
कैसे की जाती है सर्जरी
सर्जरी के दौरान सामान्य रूप से पैर की हड्डियों को बढ़ाने के लिए इसे काटा जाता है. इसके बाद एक विशेष उपकरण (एक्सटर्नल फिक्सेटर) का उपयोग करके हड्डी के दोनों हिस्सों के बीच धीरे-धीरे खिंचाव पैदा किया जाता है. प्रक्रिया के दौरान हड्डी के बीच एक नई हड्डी बनने लगती है, जिसे ऑस्टियोजेनेसिस कहते हैं. डॉक्टर कुछ मिलीमीटर तक यह खिंचाव धीरे-धीरे करते हैं, जिससे नई हड्डी और टिश्यू सही तरह से विकसित हो सकें.

हड्डी के पूरी तरह से जुड़ने और मजबूत होने में कई महीने लग सकते हैं. सर्जरी के बाद पेशेंट कोनियमित फॉलो-अप और फिजिकल थेरेपी की आवश्यकता होती है, ताकि हड्डी और मांसपेशियां सही से ठीक हो सकें.
कितनी बढ़ती है लंबाई
ऐसे लोग जिनकी शारीरिक लंबाई किसी कारण वश कम रह जाती है, सामाजिक और मानसिक दबाव महसूस करते हैं- सर्जरी उनके लिए है. इस सर्जरी का उद्देश्य व्यक्ति की शारीरिक लंबाई बढ़ाकर उसे एक बेहतर और संतुलित जीवन जीने में मदद करना है. आमतौर पर यह सर्जरी जांघ (फीमर) या निचले पैर (टिबिया) की हड्डियों पर की जाती है. इस प्रक्रिया में व्यक्ति की लंबाई 5 से 8 सेंटीमीटर (लगभग 2 से 3 इंच) तक बढ़ाई जा सकती है.
डॉ. हेमंत कहते हैं कि कुछ मामलों में सर्जरी के जरिए इससे भी ज्यादा लंबाई बढ़ने के चांस होते हैं. अगर शरीर के एक अंग की लंबाई दूसरे अंग से कम हो, तो इसे बराबर करने के लिए भी इस सर्जरी की जाती है. इसके अलावा किसी गंभीर चोट या दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त हुई हड्डी को ठीक करने के लिए भी इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है. दरअसल, इस सर्जरी के जरिए हड्डियों में गैप बढ़ाया जाता है.
कितना आता है खर्च
हाइट बढ़ाने के लिए आप कम के कम 2 लोख रुपए खर्च करने होंगे. डॉ. हेमंत बताते हैं कि ये महंगा प्रोसेस है. इंटरनेशनल सेंटर फॉर लिंब लेंथनिंग के अनुसार, अगर दूसरी बार सर्जरी करवाने के लिए एक साल का वक्त लग जाता है.

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लिंब लेंथनिंग सर्जरी, नारायणा हॉस्पिटल

जोखिम भी हैं शामिल
लिंब लेंथनिंग सर्जरी में कई जोखिम हो सकते हैं- जिनमें संक्रमण, हड्डी का न जुड़ना और तंत्रिका या मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना. सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा अधिक रहता है क्योंकि इस ऑप्रेशन में बाहरी उपकरण (एक्सटर्नल फिक्सेटर) का इस्तेमाल होता है, जिससे त्वचा में छेद होते हैं. अगर हड्डी ठीक से नहीं जुड़ती तो दूसरी सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है.
मांसपेशियां और रक्त वाहिकाओं के नुकसान के कारण हाथ या पैर में दर्द, सुन्न होना या कमजोरी हो सकती है. इसके अलावा, मांसपेशियों में जकड़न या जोड़ों में स्टिफनेस यानी कठोरता भी हो सकती है. इससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि सर्जरी के बाद नियमित फिजियोथेरेपी, उपकरणों की साफ-सफाई और डॉक्टर के संपर्क में रहना जरूरी है.

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