2000 करोड़ का ‘मिशन मौसम’, अब आंधी, तूफान और बाढ़ को ऐसे रोकेगी टेक्नोलॉजी
भारत में एक पुरानी कहावत है कि ‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’, ये कहावत सिर्फ देश की डायवर्सिटी को नहीं दिखाती, बल्कि देश के अलग-अलग मौसम की भी जानकारी देती है. भारत में आपको बर्फीले पहाड़ों पर हिमस्खलन या भूस्खलन से लेकर उफनती नदियों की बाढ़ और सूखा या सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अब सरकार एक ‘मिशन मौसम’ शुरू करने जा रही है.
‘मिशन मौसम’ के तहत सरकार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मौसम की भविष्यवाणी को बेहतर बनाने का काम करेगी. ये एक लार्ज-स्केल इनिशिएटिव होगा, जिसमें जलवायु परिवर्तन विज्ञान की क्षमताओं को पूरा लाभ उठाया जाएगा.
रखा है 2000 करोड़ रुपए का बजट
सरकार ने ‘मिशन मौसम’ के लिए 2,000 करोड़ रुपए का बजट रखा है. इस मिशन का मुख्य लक्ष्य भारत के मौसम विभाग को अपग्रेड करने का है. ताकि देश में मौसम की सटीक भविष्यवाणियां की जा सकें. इतना ही नहीं ये सरकार को आपदा के आने से पहले तैयार होने और उसके बाद जनजीवन को जल्द से जल्द सुचारू करने में भी मदद करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर फैसला हो चुका है.
बचेगी 10,000 लोगों की जान
ईटी की खबर के मुताबिक देश में हर साल चक्रवात, बाढ़, सूखा और हीटवेव जैसे जलवायु परिवर्तन से उपजी आपदाओं के चलते करीब 10,000 लोगों की मौत हो जाती है. ‘मिशन मौसम’ की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मौसम की सटीक भविष्यवाणी से इनमें से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.
‘मिशन मौसम’ को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये ना सिर्फ मौसम की भविष्यवाणियों को बेहतर बनाएगा. बल्कि लोगों के पास समय से सूचनाएं पहुंचाने के काम को भी बेहतर करेगा. इतना ही नहीं ये कृषि, एविएशन, डिफेंस, डिजास्टर मैनेजमेंट और पर्यटन जैसे उद्योगों के लिए भी परिस्थितियों को बेहतर करेगा.