2024 में बॉलीवुड फिल्मों की सफलता का गिरता स्तर, अब 50 करोड़ क्लब शुरू करना पड़ेगा!

2024 में कई सारी फ्लॉप फिल्मों के चलते हिंदी फिल्मों की सफलता का स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है. 100 से 200 करोड़ का बिजनेस करने वाली फिल्मों का क्लब अब ज्यादातर 50 करोड़ तक सीमित हो गया है. 100 में से 10 फिल्में भी हिट की लिस्ट में नहीं आती. लेकिन इसके बावजूद फिल्म का बजट 500 से 600 करोड़ और फिल्मी हीरो की फीस 200 करोड़ तक भी जा रही है. जबकि उन हीरो को लेने के बाद भी फिल्म से सिवाय नुकसान के कुछ नहीं मिल रहा है.
हाल ही में आई फिल्म की बात की जाए, तो अजय देवगन-तब्बू की ‘औरों में कहां दम था’ का कलेक्शन ‘फर्स्ट डे’ पर सिर्फ 1 करोड़ के आसपास ही रहा. जबकि फिल्म का बजट 40 से 50 करोड़ के करीब था. ऐसे में कहना गलत न होगा कि अगर आने वाले सालों में फिल्मों के हालात ऐसे ही रहे तो फिल्म उद्योग का दम निकलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री का उसूल है शो मस्ट गो ऑन… और इस उसूल को फॉलो करते हुए सारे निर्माता अपने-अपने तरीके से फिल्म निर्माण में जुटे हुए हैं.

फ्लॉप हो रही हैं हिंदी फिल्में
साल 2024 अगस्त में भी कई ऐसी फिल्में रिलीज हुईं, जिससे दर्शकों को ही नहीं इन फिल्म के निर्माता को भी बहुत उम्मीदें थीं. साउथ की फिल्म कल्कि 2898 AD और स्त्री 2 को छोड़कर बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में फिल्म की लागत तक भी नहीं पहुंच पाए हैं, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आने वाले समय में हिंदी फिल्मों का भविष्य कितना सुरक्षित है? सफल फिल्में बनाने का ऐसा क्या फार्मूला है जो साउथ वालों को तो मिल गया है लेकिन बॉलीवुड वाले अभी तक उससे दूर है? क्या फिल्म मेकर्स को सफल हीरो की मुंहमांगी फीस पर रोक लगाने की जरूरत है? इस बारे में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को ‘होम वर्क’ करने की जरूरत है.
साउथ की सुपरहिट फिल्मों पर बनी बॉलीवुड की फ्लॉप फिल्में
आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की फिल्म ब्रह्मास्त्र जब रिलीज हुई तब बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई करने के बावजूद इसके फिल्म को असफलता की श्रेणी में रखा गया, क्योंकि मेकर्स जो भी दावा करें, लेकिन फिल्म से जो उम्मीद थी, उतना बिजनेस वो कर नहीं पाई. जबरदस्त वीएफएक्स इफेक्ट के बावजूद ज्यादातर दर्शकों ने इस फिल्म को नकारा. इसके अलावा साउथ में कई ऐसी फिल्में हैं, जो वहां के मार्केट में तो सुपरहिट रही हैं. लेकिन उनका रीमेक जब हिंदी में बना तो वो पूरी तरह से फ्लॉप रहा. जैसे ऋतिक की ‘विक्रम वेदा’ तमिल में तो खूब चली, लेकिन जब हिंदी रीमेक बनाया गया, तब वो फिल्म फ्लॉप हुई.
अक्षय कुमार की बच्चन पांडे जो तमिल फिल्म ‘जिगर थंड’ की रीमेक है, ये दर्शकों द्वारा सुपर फ्लॉप करार दी गई थी. ‘अन्ना’ सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी की फिल्म ‘तड़प’ जो कि तेलुगु हिट फिल्म आर एक्स हंड्रेड की रीमेक है वो भी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई. राजकुमार राव की फिल्म ‘हिट’ भी साउथ की फिल्म हिट द फर्स्ट केस की रीमेक थी और वो भी अपना काम करने में सफल न हो पाई.

अक्षय कुमार की ‘लक्ष्मी जो कि साउथ की सुपरहिट फिल्म कंचना की रीमेक थी, वो भी हिंदी मार्केट में फ्लॉप साबित हुई. शाहिद कपूर की जर्सी साउथ की सुपरहिट फिल्म जर्सी की रीमेक है, जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रही है. सनी देओल के बेटे करण देओल की फिल्म ‘वेले’ जो साउथ की फिल्म ‘ब्रोचेवरेवरुणा’ की रीमेक है, वो फिल्म भी सुपर फ्लॉप रही है.
सिर्फ साउथ ही नहीं ऐसी कई सारी फिल्में हैं जो कि कोरियाई, ब्रिटिश और फ्रेंच भाषा में बनी इंटरनेशनल फिल्मों की रीमेक थीं और वो बॉलीवुड में अपना कमाल नहीं दिखा पाईं. बावजूद इसके ऐसी कई बिग बजट बॉलीवुड फिल्में, जो दूसरी फिल्मों का रीमेक हैं और रिलीज के लिए तैयार हैं. अब इन फिल्मों का क्या हश्र होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
छोटी सफलता के बाद हो रहा है सेलिब्रेशन
भले ही फिलहाल बॉलीवुड के बुरे दिन चल रहे हों, लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ये मानने के लिए तैयार ही नहीं है. यही वजह है कि हर वीकेंड फिल्म रिलीज होने के बाद बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को ग्लोरिफाई किया जाता है. जिस फिल्म से 10 करोड़ के ओपनिंग की उम्मीद रहती हैं, उस फिल्म के 5 करोड़ की कमाई करने पर भी खुशियां मनाई जाती हैं. 100 करोड़ वाली फिल्म के 50 करोड़ कमाने पर भी सक्सेस पार्टी रखी जाती है और इस बीच स्त्री 2 जैसे कोई फिल्म चल जाए, तब तो कई दिन तक जश्न चलता रहता है. भले ही फिल्म इंडस्ट्री ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ओटीटी के आने से फिल्मों के बॉक्स ऑफिस बिजनेस पर असर पड़ा है, लेकिन ये सच है.

लौट आएंगे बॉलीवुड के अच्छे दिन
ओटीटी के आने से रीजनल और ग्लोबल कंटेंट के दरवाजे ऑडियंस के लिए खुल चुके हैं. अब उन्हें रीमेक का इंतजार नहीं करना पड़ता, वो सीधे अपने मोबाइल में ओरिजिनल कंटेंट देख सकते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इंडस्ट्री खत्म हो रही है, जरूरत है थोड़े होम वर्क की, लोगों की चॉइस और बदली हुई सोच को समझकर आगे बढ़ने की. फिलहाल मैडॉक फिल्म्स वाले इस सोच को अच्छी तरह से समझ रहे हैं, उम्मीद है बाकी भी समझेंगे और बॉलीवुड के अच्छे दिन लौट आएंगे.

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