22 देशों ने तोड़ा 140 करोड़ लोगों का दिल, लिया ये बड़ा फैसला
दुनिया के 22 देशों ने भारत के 140 करोड़ लोगों का दिल तोड़ दिया है. जी हां, ये 22 देश कोई और नहीं बल्कि क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन करने वाले 22 देशों का संगठन ओपेक प्लस है. जिसमें सऊदी अरब, ईरान, इराक के साथ रूस भी शामिल है. वास्तव में कच्चे तेल की कीमतों को गिरता देख ओपेक प्लस ने अपने उस प्लान को पोस्टपोंड कर दिया है, जिससे इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की सप्लाई में 1.80 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से इजाफा होता और कीमतों में गिरावट देखने को मिलती. जिसका असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत के रूप में दिखाई देता.
जैसा कि जानकारों का कहना था कि अगर एक अक्टूबर से कच्चे तेल के प्रोडक्शन में इजाफा होता है तो ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 65 से 68 डॉलर के बीच आ सकते हैं. दूसरी ओर जानकारों का कहना था कि अगर कच्चे तेल के दाम 70 डॉलर के आसपास आते हैं तो ओपेक प्लस अपने प्रोडक्शन हाइक के प्लान को टाल सकता है.
ओपेक प्लस ने अपने इस प्लान को दो महीने के लिए टालते हुए यथास्थिति बनाए रखने का फैसला लिया है. ओपेक प्लस देशों के इस के फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में डेढ़ फीसदी का इजाफा देखने को मिल रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ओपेक प्लस के देशों की ओर से किस तरह का फैसला लिया गया है.
ओपेक प्लस का बड़ा फैसला
कम डिमांड और जबरदस्त सप्लाई के बीच कीमतों में गिरावट के बाद ओपेक ने ऑयल प्रोडक्शन के फैसले को दो महीने के लिए टाल दिया है. संगठन मेंबर्स के अनुसार, ओपेक प्लस के प्रमुख सदस्य अक्टूबर में प्रति दिन 180,000 बैरल की निर्धारित बढ़ोतरी के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे. ये फैसला दुनिया के सबसे बड़े कंज्यूमर चीन और अमेरिका के कमजोर आर्थिक आंकड़ों के बाद आया है. वास्तव में मौजूदा हफ्ते की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गईं थी, जो 2023 के अंत के बाद सबसे निचले स्तर पर थी. इससे दुनिया के तमाम खासकर भारत का क्रूड इंपोर्ट बिल में गिरावट देखने को मिली है.
कुछ ऐसी थी ओपेक की प्लानिंग
सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में, ओपेक ने जून में 2022 से रुकी हुई सप्लाई को धीरे-धीरे शुरू करने के लिए एक रोड मैप पर सहमति व्यक्त की थी. लेकिन योजना का लागू होते यह ढुलमुल हो गया, बार-बार इस बात पर जोर दिया गया कि यदि आवश्यक हुआ तो वृद्धि को “रोका या कम” किया जा सकता है. ऐसा लग रहा था कि लीबिया में उत्पादन में एक बड़ा व्यवधान ग्रुप को आगे बढ़ने का मौका दे रहा है, लेकिन सदस्य अब सावधानी बरत रहे हैं.
सप्लाई कैंसल करने से उस सरप्लस क्रूड को रोका जा सकता है जिसकी इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी और ट्रेडिंग कंपनी ट्रैफिगुरा ग्रुप जैसी मार्केट वॉचर चौथी तिमाही में उम्मीद कर रहे थे. इसके विपरीत, सिटीग्रुप इंक ने चेतावनी दी थी कि अगर सप्लाई में इजाफा हुआ तो कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल 50 डॉलर तक की गिरावट आ सकती है.
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा
वैसे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. कारोबारी सत्र के दौरान ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम में 2 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है और कारोबारी सत्र के दौरान 74 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. मौजूदा समय यानी भारतीय समय के अनुसार 9 बजकर 45 मिनट में 72.97 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वैसे 2 से 4 सितंबर तक ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 7 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी थी.
दूसरी ओर अमेरिकी क्रूड ऑयल डब्ल्यूटीआई के दाम में बड़ोतरी देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमत में कारोबारी सत्र के दौरान 2.32 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है और दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चले गए. वैसे डब्ल्यूटीआई के दाम भारतीय समय के अनुसार 69.50 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं. 1 से 4 सितंबर तक अमेरिकी तेल के दाम में करीब 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी थी.