25% सैलरी बढ़ने से भी नही हैं खुश ये कर्मचारी, आखिर क्या है मामला?

व्यक्ति जब नौकरी शुरू करता है तो वह साल भर इस उम्मीद के साथ अपना 100% कंपनी में देता ताकि अगले साल जब अप्रेजल हो तो उसकी सैलरी बढ़ सके. लेकिन प्राइवेट सेक्टर में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि कभी कपंनिया अच्छी-खासी सैलरी बढ़ा देती हैं तो किसी साल 1-2% का मामूली अप्रेजल थमा देती है. ऐसे में कर्मचारी नौकरी जाने की डर से इसका विरोध भी नहीं करता. लेकिन एक कंपनी में कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ सैलरी ना बढ़ाने की समस्या के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है. यह मामला एयरलाइन मेकिंग कंपनी बोइंग से जुड़ा है.
कर्मचारियों ने विरोध के लिए कराया वोटिंग
एयरलाइन बोइंग के कर्मचारियों (मशीनिस्ट) ने हड़ताल पर जाने के पक्ष में मतदान किया. इस विशाल विमान मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिति को नुकसान के बाद उसके लिए यह एक और झटका है और अब उसे अपने सर्वाधिक बिकने वाले एयरलाइन विमानों का उत्पादन बंद होने का सामना करना पड़ रहा है.
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मशीनिस्ट्स एंड एयरोस्पेस वर्कर्स ने कहा कि उसके सदस्यों ने एक कॉन्ट्रैक्ट को अस्वीकार कर दिया, जिसके तहत चार वर्षों में वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि की जानी थी. कॉन्ट्रैक्ट को अस्वीकार करने के पक्ष में 94.6 प्रतिशत वोट पड़े और हड़ताल करने के पक्ष में 96 प्रतिशत वोट पड़े. हड़ताल करने के लिए 33,000 कर्मचारियों में से दो-तिहाई वोट की आवश्यकता थी.
कंपनी के सामने खड़ी हुई ये समस्या
इस वर्ष बोइंग के लिए बहुत कम चीजें ठीक हुई हैं. जनवरी में इसके एक यात्री विमान का पैनल फट जाने से उसमें बड़ा छेद हो गया था, तथा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा दो अंतरिक्ष यात्रियों को समस्याग्रस्त बोइंग अंतरिक्ष यान से घर भेजने के बजाय अंतरिक्ष में ही छोड़ देना पड़ा. जब तक हड़ताल जारी रहेगी, तब तक बोइंग को इस समय उसके लिए बहुत जरूरी नकदी नहीं मिल पाएगी, जो उसे एयरलाइनों को नए विमान देने से मिलती है.
सीईओ के सामने है ये चुनौती
यह नए सीईओ केली ऑर्टबर्ग के लिए एक और चुनौती होगी, जिन्हें छह सप्ताह पहले एक ऐसी कंपनी को फिर से खड़ा करने का काम दिया गया था, जिसने पिछले छह सालों में 25 अरब डॉलर से ज़्यादा का नुकसान उठाया है और यूरोपीय प्रतिद्वंद्वी एयरबस से पीछे रह गई है. ऑर्टबर्ग ने मशीनिस्टों को चेतावनी दी कि हड़ताल के कारण बोइंग का सुधार खतरे में पड़ जाएगी और एयरलाइन ग्राहकों की नज़र में कंपनी के बारे में और संदेह पैदा होगा.

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