25,000 करोड़ रुपए के शेयर्स का कोई दावेदार नहीं, कहीं ये आपका तो नहीं…ऐसे कर सकते हैं क्लेम

देश की इकोनॉमी लगातार तरक्की कर रही है. इस आर्थिक तरक्की का हिस्सा बनने के लिए जनता भी अब आगे आ रही है. स्टॉक मार्केट से लेकर म्यूचुअल फंड में ही हाल में निवेश भी काफी बढ़ा है. लेकिन इस तरक्की के आगे एक चुनौती ऐसी भी है जहां ये निवेश कोई क्लेम करने वाला नहीं है. या तो आपका कोई करीबी निवेश करके भूल गया है या फिर अकाउंट बंद कराए बगैर SIP में निवेश बंद कर देते हैं. ऐसे खातों में नॉमिनी का इंफॉर्मेशन अपडेटेड नहीं होता है. हालात ये हो गए हैं कि अनक्लेम्ड निवेश की रकम अब लगभग 25000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुकी है.
हजारों करोड़ के शेयर्स पर कोई भी दावा नहीं कर रहा है. जो फिनांशियल सिस्टम के लिए मुसीबत बन गया है. ऐसे में अगर ये पैसे आपके किसी करीबी के है या आपके हैं तो आइए बताते हैं कि आप इसे कैसे क्लेम कर सकते हैं.
क्या है लावारिस पैसों की वजह
कई इनवेस्टर्स दूसरे शहरों में बस जाते हैं, लेकिन वे अपना एड्रेस चेंज नहीं कराते हैं. इससे उनके पास न तो फाइनेंशियल स्टेटमेंट पहुंच पाता है न ही डिविडेंड के नोटिस की डिलीवरी हो पाती है. कुछ मामलों में इनवेस्टमेंट से जुड़ा बैंक अकाउंट डॉरमेंट या इनएक्टिव होता है, जिससे इनवेस्टमेंट पर मिला डिविडेंड उनके अकाउंट में नहीं पहुंच पाता है. कुछ मामलों में इनवेस्टर की मौत हो जाती है. लेकिन सही सक्सेशन प्लानिंग नहीं होने से उसके इनवेस्टमेंट का कोई दावेदार नहीं होता है.
आंकड़ों में हुआ खुलासा
एक सरकारी संस्था इनवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च, 2023 तक देश में 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर्स गुमनाम पड़े हुए थे. इन्हें सही लोगों तक पहुंचाने के लिए एक प्रभावी सिस्टम बनाने की सख्त जरूरत है. इस गुमनाम निवेश के पीछे कई कारण हैं. कई निवेशक अपनी कॉन्टैक्ट जानकारी को अपडेट नहीं करते. इसके अलावा कई बार लोगों के पते भी बदल जाते हैं. बैंक अकाउंट बंद करे देना और नॉमिनी की जानकारी दिए बिना निवेशक की मृत्यु भी फंसे हुए निवेश के बड़े कारण हैं. इसके चलते उन्हें डिविडेंड का लाभ भी नहीं मिल पाता है. साथ ही कई निवेशकों के पास अभी भी फिजिकल शेयर हैं, जो कि अब अमान्य घोषित हो चुके हैं. इन्हें अभी तक डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर नहीं करवाया गया है.
बैंक और ईपीएफओ भी हैं परेशान
एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ म्युचुअल फंड में ही लगभग 35 हजार करोड़ रुपयों पर कोई दावा नहीं कर रहा है. इंश्योरेंस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी एलआईसी के पास ही लगभग 21500 करोड़ रुपये अनक्लेमड पड़े हुए हैं. ठीक इसी तरह प्राइवेट कंपनियों के पास भी ऐसी बड़ी राशि है. ईपीएफओ से मिली जानकारी के अनुसार, उनके पास भी लगभग 48000 करोड़ रुपये बिना किसी दावे के पड़े हुए हैं. आरबीआई के अनुसार, बैंकों के पास भी लगभग 62000 करोड़ रुपये मौजूद हैं.
कैसे मिल सकता है यह पैसा
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, इस पैसे को हासिल करना एक कठिन प्रक्रिया है. लोग इन झंझटों से बचने के लिए ही यह पैसा छोड़ दे रहे हैं. हालांकि, आप आरबीआई की वेबसाइट से अपने अकाउंट में पड़े पैसे की रिकवरी की कोशिश कर सकते हैं. साथ ही कुछ कंपनियां अपनी तरफ से इस पैसे की रिकवरी में आपकी मदद करने को तैयार हैं. ये आपको दस्तावेज और क्लेम प्रोसेस की पूरी जानकारी दे सकती हैं.
कुछ कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट या डिपॉजिट की समस्या के समाधान के लिए आगे आई हैं. ये कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट रिकवरी में स्पेशियलाइज्ड होती हैं. ये इंडिविजुअल और कंपनियों को अपनी सेवाएं देती हैं. इस सर्विस में इनवेस्टमेंट आइडेंटिफिकेशन, डॉक्युमेंट कलेक्शन और वेरिफिकेशन आदि शामिल होता है. ये कंपनियां उस कंपनी या रेगुलेटरी बॉडी से बातचीत करती हैं, जिनमें इनवेस्ट्स का पैसा पड़ा होता है. ये कंपनियां प्रदर्शन आधारित मॉडल पर काम करती हैं. ये रिकवर किए गए अमाउंट का एक हिस्सा फीस के रूप में लेती हैं.

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