30 की उम्र की है पार तो चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए रोज करें कुछ मिनट के ये योगासन
अपनी सुबह की शुरुआत अनुलोम-विलोम प्रणायाम से करें. इससे स्ट्रेस कम होता है और बढ़ती उम्र में दिल संबंधित बीमारियों से भी बचाव होता है. इस योगासन को करने से फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सही रहता है, जिससे एनर्जी बनी रहती है. (Pic: Getty Image)30 की उम्र के बाद अपने रूटीन में वीरभद्रासन भी शामिल करें. इस आसन का मतलब होता है वॉरियर यानी योद्धा पोज. वीरभद्रासन रोजाना करने से बढ़ती उम्र में साइटिका (लक्षण/कमर दर्द), नींद न आना, कमजोरी आदि दिक्कतों से बचाव होता है. ये आसन कूल्हों, कंधों, जांघ, पिंडलियों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करता है, इसके अलावा संतुलन, एकाग्रता आदि में सुधार होता है. (Pic: Getty Image)
अधोमुखासन का अभ्यास करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे मांसपेशियों में ताकत महसूस होती है. ये आसन ऊर्जा और एकाग्रता को बढ़ाने में भी कारगर है और कमर, पैर, कंधों और पैर की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग भी करता है. इस योगासन को करने से एक उम्र के बाद होने वाले पीठ दर्द आदि में आराम मिलता है. (Pic: Getty Image)30 की उम्र के बाद रोजाना मार्जरी योगासन भी करना चाहिए. ये योगासन पीठ और कमर दर्द से बचाव करता है, क्योंकि इस योगासन को करने से रीढ़ की हड्डि को अच्छा स्ट्रेच मिलता है. ये योगासन पीठ व कमर के साथ ही कूल्हों, पेट, और गर्द की मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद है और पोस्चर में सुधार करता है. इस योगासन से पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं और ल्यूकोरिया में भी फायदा मिलता है. (Pic: Getty Image)
बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए वृक्षासन काफी फायदेमंद रहता है. इस योगासन को करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ने के साथ ही बैलेंस में सुधार होता है और घुटनों, पिंडलियों, टखनों वा जांघ की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. ये आसान रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत करने में सहायक है. वृक्षासन का अभ्यास करने से पाचन में सुधार होने के साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और दिल की कार्यक्षमता भी बेहतर होती है. (Pic: Getty Image)