33000 करोड़ के कर्ज में घिरे किशोर बियानी ने मॉल बचाने के लिए खेला 476 करोड़ का दांव
कर्ज में घिरे और कंगाल हो चुके कारोबारी किशोर बियानी ने अब मुंबई में अपने ही एक मॉल को बचाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. बियानी के इस ऑफर ने बैंकों को चौंका दिया है. केनरा बैंक की अगुवाई वाले कंसोर्टियम को किशोर बियानी ने 476 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. बता दें, 33 हजार करोड़ के कर्ज में घिरे बियानी ने ये ऑफर अपने बंसी मॉल मैनेजमेंट कंपनी के 571 करोड़ रुपए के कर्ज के वन टाइम सेटलमेंट के लिए दिया गया है. आइए आपको बियानी के इस ऑफर के बारे में डिटेल जानकारी देते हैं.
इस डील के बाद आया कॉन्फिडेंस
BMMC कंपनी मुंबई के हाजी अली इलाके में सोबो सेंट्रल मॉल चलाती है. कुछ ही दिन पहले बैंकों ने इसके लिए रनवाल ग्रुप की 475 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दी थी. बैंकों ने कंपनी के खिलाफ सरफेसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी और इसी महीने की शुरुआत में उसे 475 करोड़ रुपये की बोली मिली थी. लेकिन सूत्रों के मुताबिक बियानी ने बैंकों के फैसले को डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है और खुद ही कर्ज चुकाने का ऑफर दिया है.
वहीं, इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने बताया कि बियानी बैंकों से कांटेक्ट में थे लेकिन जबसे बैंकों ने Runwal की बोली को मंजूरी दी है, तबसे वह ज्यादा एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने Runwal को बोली से ज्यादा बड़ा ऑफर दिया है और इस बारे में कोर्ट को अप्रोच किया है. कोर्ट में इसी महीने सुनवाई शुरू होगी. बैंकों को कोर्ट के फैसले का इंतजार है.
अब तक मिल चुके हैं उतने रुपए
बैंकों को Runwal से बोली की दस फीसदी राशि यानी 47.5 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. डीआरटी में बियानी की याचिका से इस प्रोसेस में देरी हो गई है. Runwal Group ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार किया है. SOBO Central मॉल में अब केवल मैकडॉनल्ड का ही एक जॉइंट रह गया है.
मॉल की हालत खस्ता
कोरोना महामारी के कारण मुंबई के SOBO Central मॉल की हालत खस्ता होती गई है. इसका करीब सारा रियल एस्टेट फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों को दिया गया था जो मुश्किलों से गुजर रही हैं. कैनरा बैंक का कंपनी पर 131 करोड़ रुपये का बकाया है जबकि पीएनबी पर का बकाया 90 करोड़ रुपये है. पीएनबी और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का फ्यूचर ब्रांड्स पर 350 करोड़ रुपये का बकाया है. बैंकों का फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों पर 33,000 करोड़ रुपये का बकाया है. ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी फ्यूचर रिटेल लिक्विडेशन में चली गई जबकि फ्यूचर एंटरप्राइजेज दूसरी बार रेजॉल्यूशन प्रोसेस से गुजर रही है.