4 साल में 3 विधायकों ने छोड़ा अरविंद केजरीवाल का साथ, कितनी आसान होगी आगे की सियासी राह?

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा है कि दो दिन बाद वो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. उनके इस अप्रत्याशित ऐलान ने सियासी भूचाल मचा दिया है. केजरीवाल ने ये भी कहा है कि वो दिल्ली में समय से पहले चुनाव कराने की मांग करेंगे. जब तक लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाणपत्र नहीं दे देंगे, वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. इस तरह उन्होंने इमोशनल कॉर्ड भी खेल दिया है. अभी उनकी पार्टी के 59 विधायक हैं. हालांकि, केजरीवाल की पार्टी ने पिछले चुनाव में 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. मगर, तीन विधायकों ने पार्टी बदल ली.
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 2020 में चुनाव हुए थे. इसमें आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी को महज 8 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था. विधानसभा में आम आदमी पार्टी की अभी ही स्थिति पर नजर डालें तो केजरीवाल तीन सीटों के घाटे में दिख रहे हैं.
इन विधायकों ने छोड़ा अरविंद केजरीवाल का साथ
62 में से उनके 2 विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा चुके हैं. एक विधायक कांग्रेस में भी गया है. इस तरह अब आम आदमी पार्टी के पास 59 विधायक रह गए हैं. इसमें एक सत्येंद्र जैन भी हैं, जो कि अभी जेल में हैं. आम आदमी पार्टी के साथ बगावत करने वाले विधायकों में राजकुमार आनंद और करतार सिंह तंवर हैं. ये दोनों अब बीजेपी में हैं. वहीं, तीसरे बागी विधायक राजेंद्र पाल गौतम हैं, जो कि अब कांग्रेस में हैं.
पिछले 3 विधानसभा चुनावों के परिणाम

पार्टी
2013
2015
2020

बीजेपी
31
3
8

आप
28
67
62

कांग्रेस
8
0
0

बीएसपी
0
0
0

अन्य
3
0
0

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केजरीवाल ने पहली बार 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. सियासी रण में उतरी उनकी नई नवेली पार्टी ने सत्तारूढ़ दल को उंखाड़ फेंका था. उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस की सबसे मजबूत स्तंभ शीला दीक्षित को मात दी थी. इस चुनाव में केजरीवाल को बेशक सीटें कम मिली थीं लेकिन हौंसले बुलंद थे.
उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी. तालमेल न बैठने की वजह से महज 49 दिन बाद 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद हुए चुनाव मेंआम आदमी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी और केजरीवाल दूसरी बार सीएम बने थे.
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इसके बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने अपना दबदबा बरकरार रखा. हालांकि 2015 के चुनाव के मुकाबले उन्हें 5 सीटों का नुकसान हुआ था. उन्हें 62 सीटें मिली थीं और वो तीसरी बार दिल्ली के सीएम चुने गए. अब ताजा घटनाक्रम ने दिल्ली की सियासत में भूचाल मचा दिया है.
यहां अहम बात ये है कि केजरीवाल ने इस्तीफा का ऐलान करते हुए ‘ईमानदारी के प्रमाणपत्र’ वाला इमोशनल कार्ड भी खेला है. इसका उन्हें अगले चुनाव में कितना लाभ मिलेगा, ये तो परिणाम ही बताएंगे. मगर, केजरीवाल की जो राजनीतिक शैली है, वो इस ओर इशारा जरूर कर रही है कि एक बार फिर वो दिल्ली की सड़कों पर उतर जनता के सामने अपनी बात रखेंगे.

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