40 साल में पहली बार… विधानसभा चुनाव हारे सिक्किम के पूर्व CM पवन कुमार चामलिंग

सिक्किम विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. राज्य के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग को करारी हार का सामना करना पड़ा है. करीब 40 साल में यह पहला मौका है जब चामलिंग विधानसभा नहीं पहुंच पाए हैं. उन्हें शिष्य से चिर प्रतिद्वंद्वी बने प्रेम सिंह तमांग के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी है.
रविवार को आए सिक्किम विधानसभा चुनाव के नतीजों में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 32 सीट में से 31 पर जीत दर्ज की. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) को केवल एक सीट मिली है. 73 साल के एसडीएफ प्रमुख चामलिंग दो सीटों पर चुनाव लड़े और उन्हें दोनों पर हार का सामना करना पड़ा.
पांच साल पहले ही शुरू हो गया था पतन
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक समय राज्य के मुद्दों को लेकर मुखर रहने वाले चामलिंग का सियासी पतन पांच साल पहले से ही शुरू हो गया था. 2019 के विधानसभा चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने चामलिंग के 25 साल के शासन को एक झटके में समाप्त कर दिया था. इसके तुरंत बाद उन्हें उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब एसडीएफ के 10 विधायक बीजेपी और दो विधायक एसकेएम में शामिल हो गए.
पार्टी नेता और कार्यकर्ता भी साथ छोड़ दिए
विधायकों के दलबदल की वजह से विधानसभा में एसडीएफ की ओर से केवल चामलिंग ही रह गए थे. चुनाव से पहले एसकेएम और बीजेपी ने जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में एसडीएफ कार्यकर्ताओं को अपने पाले में कर लिया था. यहां तक कि पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भाटिया के एसडीएफ में शामिल होने से भी पार्टी की संभावनाओं में सुधार नहीं हुआ और नेता दल बदलते रहे.
25 साल तक सिक्किम के सीएम रहे
चामलिंग को लेकर बता दें कि वो करीब 25 साल तक सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे. सिक्किम की सियासत में चामलिंग के कद का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि वो ज्योति बसु के 23 साल के कार्यकाल से अधिक समय तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. बसु 1977 से 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे. बसु की तरह चामलिंग ने 1994 से 2019 तक अपनी पार्टी को पांच बार सत्ता में पहुंचाया था.

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