42 शहर और 1,981 हाउसिंग प्रोजेक्ट, अटके पड़े हैं 5 लाख से ज्यादा फ्लैट
देश के हाउसिंग या यूं कहें कि रियल एस्टेट सेक्टर की तस्वीर कुछ ऐसी ही है. जिसके कसीदे लगातार डेवलपर्स की ओर से पढ़े जा रहे हैं. खास बात तो है कि इनमें से करीब डेढ़ लाख फ्लैट सिर्फ यूपी के 5 शहरों के ही निकलकर सामने आए हैं. जिसमें नोएडा ग्रेटर और लखनऊ भी शामिल है. वास्तव में इस बात की जानकारी रियल एस्टेट डाटा एनालिसिस कंपनी प्रॉपइक्विटी की ओर से दी गई है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर प्रॉपइक्विटी की ओर से अपनी रिपोर्ट में किस तरह के आंकड़ें दिए हैं.
यूपी के पांच शहरों में 1.46 लाख फ्लैट
नोएडा और ग्रेटर नोएडा सहित उत्तर प्रदेश के पांच प्रमुख शहरों में 378 आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं. इन परियोजनाओं में 1.46 लाख फ्लैट हैं. रियल एस्टेट आंकड़ा विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ और आगरा में 1,45,880 फ्लैट वाले 378 आवासीय परियोजनाएं रुकी हुई हैं. ये संख्या काफी बड़ीर बताई जा रही है. अभी तक इन फ्लैट्स पर काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है.
कहां कितने फ्लैट रुके
आंकड़ों के अनुसार ग्रेटर नोएडा में 74,645 यूनिट्स वाली 167 प्रोजेक्ट पूरी तरह से रुके हुए हैं. नोएडा में 41,438 इकाइयों वाली 103 अटकी आवासीय परियोजनाएं हैं, जबकि गाजियाबाद में 15,278 इकाइयों वाली 50 अवरुद्ध परियोजनाएं हैं. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद दिल्ली-एनसीआर में महत्वपूर्ण प्रॉपर्टी मार्केट है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी 13,024 फ्लैट वाली 48 आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं. आगरा में 10 परियोजनाएं अवरुद्ध हैं, जिनमें 1,495 इकाइयां शामिल हैं.
42 शहरों में 5 लाख फ्लैट अटके
अगर बात पूरे देश की करें तो रिपोर्ट के अनुसार करीब 2000 प्रोजेक्ट्स रुके हुए हैं. प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर 42 शहरों में 1,981 आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं. जिनमें कुल 5.08 लाख फ्लैट शामिल हैं. ये आंकड़ा किसी भी एंगल से कम नहीं है. इन प्रोजेक्ट्स के रुके होने से लाखों होमबायर्स काफी परेशान है. जिन्होंने अपनी गाड़ी कमाई का पैसा भी दिया और उन्हें अपना आशियाना भी नहीं मिल पाया है.
क्या हैं कारण
प्रॉपइक्विटी के फाउंडर और सीईओ समीर जसूजा ने कहा कि अवरुद्ध परियोजनाओं की समस्या डेवलपर में परियोजनाओं को पूरा करने की क्षमता की कमी, नकदी प्रवाह के कुप्रबंधन और नयी जमीन खरीदने या अन्य लोन को चुकाने के लिए धन का इस्तेमाल करने के चलते है. यहीं कारण हैं कि इन 42 शहरों में सैंकड़ों प्रोजेक्ट्स और लाखों फ्लैट्स अटके हुए हैं.