5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, फिर भी 100 सबसे अमीर देशों में भारत का नाम क्यों नहीं?
भारत एक ऐसा देश है जिसने दुनियाभर में अपनी धाक जमाई है. अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी के बाद 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की है. लेकिन जब बात आती है दुनिया के सबसे अमीर देशों की लिस्ट में शामिल होने की तो भारत का नाम टॉप-100 में भी नहीं आता.
ये हमें सोचने को विवश करता है कि आखिर इतनी असमानता क्यों? आप लोगों को शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के कई सबसे अमीर देश सबसे छोटे देशों में से हैं.
दुनिया के सबसे अमीर देश की कहानी
दुनिया के दस सबसे अमीर देशों की लिस्ट में एशिया के 4 और यूरोप के 5 देश शामिल हैं. पश्चिम यूरोप का एक छोटा सा देश लक्जमबर्ग दुनिया का सबसे अमीर है. ये बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी से घिरा हुआ है. क्षेत्रफल के हिसाब से लक्जमबर्ग यूरोप का 7वां सबसे छोटा देश है. यहां की आबादी सिर्फ 6.50 लाख है.
लक्जमबर्ग की सरकार देश की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा अपने लोगों को बेहतर आवास सुविधा देने, हेल्थ केयर और एजुकेशन पर खर्च करती है. लक्जमबर्ग एक विकसित देश है, जहां जीडीपी प्रति व्यक्ति आय सबसे ज्यादा 143,320 डॉलर है.
लक्जमबर्ग यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ, नाटो और ओईसीडी का संस्थापक सदस्य है.
क्या है जीडीपी प्रति व्यक्ति आय?
किसी देश को किस आधार पर अमीर माना जाए ये मापने के लिए कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीकों में से एक है जीडीपी प्रति व्यक्ति आय. जीडीपी एक साल में बनाए गए सभी प्रोडक्ट्स और सेवाओं की कुल कीमत होती है.
जब जीडीपी को देश की कुल जनसंख्या से भाग कर दिया जाता है तो जीडीपी प्रति व्यक्ति आय निकलकर आ जाती है. प्रति व्यक्ति जीडीपी यह बताती है कि एक देश के हर व्यक्ति को औसतन कितनी कमाई होती है.
ये एक देश के नागरिकों के जीवन स्तर का अंदाजा लगाने का एक तरीका है. इसे किसी देश की आर्थिक स्थिति मापने के लिए जीडीपी से बेहतर पैमाना माना जाता है.
दुनिया के सबसे अमीर देशों में भारत कहां?
जीडीपी पर कैपिटा रैंकिंग 2023 के अनुसार, भारत 129वें स्थान पर है यानी कि सबसे अमीर देशों की लिस्ट में 129वां स्थान है. भारत की जीडीपी प्रति व्यक्ति आय 2673 डॉलर (2.21 लाख रुपये) है. हालांकि जब वर्ल्ड जीडीपी रैंकिंग की बात आती है तो भारत 5वें स्थान पर है.
IMF के अनुमानों के अनुसार, साल 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा. 2014 में भारत इस लिस्ट में 10वें स्थान पर था. प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में भारत की स्थिति पड़ोसी देश बांग्लादेश, श्रीलंका से भी खराब है.
2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को सालाना आठ फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ करनी होगी. आईएमएफ का अनुमान है 2027 में भारतीयों की एवरेज सालाना पर कैपिटा जीडीपी 3466 डॉलर होगी. मगर इससे पर कैपिटा रैंकिंग में कोई सुधार नहीं होगा.
दक्षिण सूडान को दुनिया का सबसे गरीब देश माना जाता है जहां की प्रति व्यक्ति जीडीपी 475 डॉलर है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, दुनिया के दस सबसे गरीब देशों में औसत प्रति व्यक्ति आय 1432 डॉलर है, जबकि दस सबसे अमीर देशों में यह 105,170 डॉलर से ज्यादा है.
छोटे देश दुनिया में सबसे अमीर कैसे?
लक्जमबर्ग, सैन मारिनो, स्वीट्जरलैंड जैसे छोटे देश दुनिया के 10 सबसे अमीर देशों की लिस्ट में शामिल है. ये देश अपने मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम और टैक्स व्यवस्थाओं के कारण समृद्ध हैं.
इस वजह से विदेशी निवेश, प्रोफेशनल टेलेंट और बैंक में ज्यादा डिपोजिट के प्रति लोग आकर्षित होते हैं.
कुछ देश प्राकृतिक संसाधनों के कारण समृद्ध हैं. इन देशों के पास तेल और गैस के बड़े भंडार हैं, जो उन्हें बहुत धनवान बनाते हैं. जैसे- कतर और संयुक्त अरब अमीरात.
टूरिस्ट प्लेस कुछ देशों को समृद्ध बनाता है. आकर्षक पर्यटन स्थल और जुआ उद्योग वाले देश पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं ।चमचमाते कैसीनो और टूरिस्ट की बड़ी संख्या किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है. लॉकडाउन और महामारी की मार झेलने के बाद भी मकाऊ का नाम टॉप-5 देशों में लिस्ट में शामिल है.मकाऊ ‘दुनिया की जुआ राजधानी’ के रूप में जाना जाने लगा है. यहां जुआ खेलना लीगल है.
भारत सबसे अमीर देशों में शामिल क्यों नहीं?भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है लेकिन इसका फायदा समान रूप से जनता को नहीं मिल पा रहा है. असमानता एक बड़ी वजह है. एक तरफ जहां देश में कुछ लोगों के पास करोड़ों अरबों की संपत्ति है, वहीं दूसरी तरफ लाखों लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने को विवश हैं.
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिर्फ 1 फीसदी आबादी के पास देश की करीब 40 फीसदी संपत्ति है. इसका मतलब है कि एक छोटा सा वर्ग बेहद धनी है, जबकि ज्यादातर जनसंख्या आर्थिक रूप से कमजोर है.
भारत का बुनियादी ढांचा अभी भी विश्वस्तरीय मानकों तक नहीं पहुंच पाया है. खस्ताहाल सड़कें, अपर्याप्त बिजली आपूर्ति और कमजोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम देश के आर्थिक विकास में रोड़े अटकाते हैं.ये कमियां न सिर्फ उत्पादन लागत को बढ़ाती हैं, बल्कि निवेश को आकर्षित करने में भी बाधा डालती हैं. हालांकि पिछले दशकों की तुलना में काफी सुधार हुआ है.इसके अलावा भारत में कुशल श्रमबल की कमी भी एक बड़ी चुनौती है. इस कारण कई कंपनियां कुशल कर्मचारियों की तलाश में विदेशों का रुख करती हैं. ये कंपनियां भारत में निवेश करने से कतराती हैं, जिससे देश के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.भ्रष्टाचार भी भारत की अर्थव्यवस्था का एक गंभीर रोग है. यह न केवल धन की बंदरबांट को रोकता है, बल्कि निवेश को रोकता है और आर्थिक विकास को बाधित करता है. हालांकि यह भी ध्यान रखना अहम है कि भारत इस दिशा में सुधार करते हुए तेजी से प्रगति कर रहा है.