8 महीने में 33 FIR, 40% रिटर्न का वादा… कहानी IFS अफसर निहारिका एंड पति के करोड़ों के फ्रॉड की
फ्रॉड का ऐसा मामला सामने आया है जिसमें भारतीय विदेश सेवा (IFS) की महिला अधिकारी शामिल है. आरोप है कि उसने अपने पति के साथ करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है. महज 8 महीने में 33 एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच एजेंसियों ने अपनी जांच शुरू की तो मामला खुलता चला गया. पुलिस ने कम से कम 12 मामलों में 25 चार्जशीट भी दायर किए हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कल बुधवार को बताया कि उसने निवेश में धोखाधड़ी से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी निहारिका सिंह, उनके पति और उनकी कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. लखनऊ की एक स्पेशल कोर्ट ने पिछले दिनों 25 नवंबर को अभियोजन पक्ष की शिकायत का संज्ञान लिया.
कब दर्ज हुई मामले की शिकायत
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि यह शिकायत 2 सितंबर को दायर की गई थी. आईएफएस अधिकारी निहारिका, उनके पति अजीत कुमार गुप्ता, अनी बुलियन एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, अनी कमोडिटी ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड और अनी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की अलग-अलग धाराओं के तहत चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है.
फ्रॉड से जुड़े इस मामले में ईडी ने निहारिका सिंह से भी पूछताछ की थी और बताया जाता है कि वह आखिरी बार दिल्ली में विदेश मंत्रालय (MEA) में पोस्टेड थीं.
कब दर्ज हुईं 33 FIR
जांच एजेंसी के अनुसार, 21 फरवरी 2020 से 26 अक्टूबर 2020 के बीच लोगों को धोखा देने के इरादे से धोखाधड़ी वाली योजनाओं में निवेश करने को लेकर लोगों को लालच देने और 110 करोड़ रुपये की जालसाजी को लेकर अजीत गुप्ता और कई अन्य लोगों तथा संस्थाओं के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही थीं. इन 8 महीनों के अंदर उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज 33 एफआईआर का संज्ञान लिए जाने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरू की गई. इस दौरान पुलिस की ओर से कम से कम 12 मामलों में 25 चार्जशीट भी दायर की गई थी.
एजेंसी ने ये भी आरोप लगाया कि अजीत कुमार गुप्ता ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अपने स्वामित्व वाली कंपनी एनी बुलियन ट्रेडर के जरिए दैनिक जमा योजनाओं (daily deposit schemes), मासिक आवर्ती जमा योजनाओं (RD) और सावधि योजनाओं (FD) जैसी धोखाधड़ी वाली कई योजनाओं को शुरू करके छोटे निवेशकों से भारी मात्रा में पैसा जमा करवाया. कंपनी ने इन लोगों से हर साल 40 फीसदी से अधिक रिटर्न का वादा किया था. लेकिन बाद में आरोपी इस दर पर पैसा नहीं दे सके.
ठगों ने पैसों का कहां किया इस्तेमाल
जांच में यह बात भी सामने आई कि आगे चलकर अजीत गुप्ता ने आई विजन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के खाते का इस्तेमाल करके अपने करीबी सहयोगी उक्त सोसाइटी के पदाधिकारियों के जरिए नए निवेशकों से पैसे जमा करवाना शुरू कर दिया. जांच में सामने आया कि निवेश के जरिए एकत्र की गई धनराशि को कभी वापस नहीं किया गया और निवेशकों से 60 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई.
ईडी ने ठगी के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “अजीत गुप्ता ने नए निवेशकों को लुभाकर उनसे अर्जित आय को एनी ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के जरिए जमा कराया. साथ ही खुद के लिए और अपनी आईएफएस पत्नी निहारिका सिंह तथा अन्य के नाम पर घर, खेती योग्य जमीन जैसे कई अचल संपत्तियों की खरीद के लिए इस्तेमाल किया गया.” इस मामले में ईडी पहले ही 9 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त कर चुकी है.