मोदी सरकार आज लोकसभा में पेश करेगी वक्फ बिल, जानें क्या होंगे सुधार

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर सियासी पारा लगातार बढ़ रहा है. इसी बीच इस बिल को आज मोदी सरकार लोकसभा में पेश करने वाली है. इस बिल को सदन में सुबह 12 बजे अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू पेश करंगे. एक तरफ NDA इस बिल को पास कराने हर मुमकिन कोशिश करेगा तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसका पुरजोर विरोध करेगा. सरकार 1995 के वक्फ एक्ट को संशोधित करेगी. सरकार नए बिल में कई तरह के संशोधन कर सकती है.
वक्फ बोर्ड में सुधारों को लेकर सरकार की एक बिल की कॉपी जारी हुई है. सरकार वक्फ से जुड़े दो बिल संसद में लाएगी. एक बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा. दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे. संशोधन बिल 2024 के जरिए सरकार 44 संशोधन करने जा रही है. सरकार ने कहा कि बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन है.
महिलाओं का मिलेगा प्रतिनिधित्व
इस बिल से सरकार महिलाओं को इसमें उचित प्रतिनिधित्व देगी. केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा. एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित किया जाएगा. इसके साथ ही दो सदस्यों के साथ ट्रिब्यूनल संरचना में सुधार करना और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील के लिए
नब्बे दिनों की मियाद भी होगी.
इसमें वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है जिसके तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था. वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 होगा. केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा. इस कानून से मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग; शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी का प्रतिनिधित्व प्रदान करना है.
वक्फ परिषद में शामिल होंगे ये लोग
वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा. बोहरा और अघाखानी. के औकाफ के लिए अलग बोर्ड की स्थापना का प्रावधान होगा. किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस देना होगा. वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक प्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे. इनमें से कम से कम दो महिलाओं का होना आवश्यक होगा.

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