World Lungs Cancer day : धूम्रपान न करने वाले भी क्यों हो रहे लंग्स कैंसर का शिकार, एक्सपर्ट्स से जानें

कैंसर दुनियाभर के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है. इस बीमारी के मामले हर साल तेजी से बढ़ रहे हैं. कैंसर कई प्रकार के हैं. इनमें लग्स कैंसर को काफी खतरनाक माना जाता है. इस कैंसर के मामले सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग्स कैंसर डे मनाया जाता है. बीते साल मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि धूम्रपान न करने वाले भी बड़ी संख्या में लंग्स कैंसर का शिकार हो रहे हैं. इनमें महिला और पुरुष दोनों ही हैं. कुछ मामलों में बच्चों में भी यह कैंसर देखा जा रहा है, लेकिन धूम्रपान न करने के बाद भी यह कैंसर क्यों हो रहा है? इस बारे में एक्सपर्ट्स ने बताया है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं की लंग्स कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान ही है. हालांकि कई केस अब ऐसे भी हैं जहां धूम्रपान न करने वाले भी इस कैंसर का शिकार हो रहे हैं. स्वास्थ्य नीति और विशेषज्ञ और कैंसर सर्जन डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि बीते कुछ सालों में वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है. प्रदूषण के छोटे-छोटे कण सांस के जरिए लंग्स में जाते हैं और बाद में यह कैंसर का कारण बन सकते हैं. कई मामलों में सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी कैंसर का कारण बनती है. यानी आपके आसपास मौजूद जो लोग स्मोकिंग कर रहे हैं उसको धुआं भी आपके लंग्स में जाता है और बाद में ये कैंसर का कारण बन सकता है.
हॉर्मोनल मेकअप भी है कारण
शैल्बी सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डायरेक्टर डॉ अर्चित पंडित बताते हैं किव्यक्ति का हॉर्मोनल मेकअप भी लंग्स कैंसर होने का कारण बन सकता है. लैंसेंट की रिसर्च में पता चला है कि धूम्रपान न करने वाली महिलाओं में पुरुषों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर का रिस्क अधिक होता है. ऐसे में यह जरूरी है कि जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं वह भी कैंसर की जांच कराएं. कैंसर की जांच के लिए छाती का लो डोज एलडीसीटी टेस्ट किया जाता है. इसके कैंसर की पहचान की जा सकती है.
क्या होते हैं लक्षण
छाती में दर्द बने रहना
खांसी आना
बलगम में खून आना
सांस लेने में परेशानी
बार-बार छाती में इंफेक्शन
क्या है इलाज
डॉ अर्चित के मुताबिक, लंग्स कैंसर के इलाज के लिए मरीज की थोरेकोस्कोपिक सर्जरी की जाती ह. इसके अलावा कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी से मरीज का इलाज किया जाता है. कुछ मामलों में इम्यूनोथेरेपी भी दी जाती है

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