आ गई डेट, इस साल अमेरिका को पीछे छोड़ देगा भारत, यहां होगा चीन
भारत की ग्रोथ रेट दुनिया के बड़े देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. हाल ही में आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष में देश की ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी लगाया है. जबकि बीते वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ 8 फीसदी से ज्यादा थी. वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड बैंक का अनुमान 6.6 फीसदी और आईएमएफ का अनुमान 7 फीसदी है.
वहीं दूसरी ओर भारत के प्रधानमंत्री ने साल 2047 तक देश विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है. अनुमान के अनुसार उस समय देश की जीडीपी 30 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है. आज हम जरा उससे और 28 साल आगे की ओर चलते हैं. जी हां, यहां बात साल 2075 की हो रही है. उस साल देश की जीडीपी क्या होगी? अमेरिकी मल्टीनेशनल बैंक और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी गोल्डमैन सैश के अनुसार उस समय देश दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होगा.
इसका मतलब है कि वो इकोनॉमी के मामले में मौजूदा आर्थिक महाशक्ति अमेरिका को पीछे छोड़ देगा. एक अनुमान और भी है कि उस दौरान दुनिया की तीन सबसे बड़ी जीडीपी का साइज 50 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा होने के आसार हैं. आइए जरा गोल्डमैन सैश इस अनुमान को समझने की कोशिश करते हैं. साथ जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर चीन साल 2075 में कहां खड़ा होगा?
गोल्डमैन सैश का अनुमान
गोल्डमैन सैश के अनुमान के अनुसार भारत की इकोनॉमी साल 2075 तक 52.5 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है. खास बात तो ये है कि उस समय भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होगा. गोल्डमैन सैश का अनुमान के मुताबिक अगले 50 साल में देश की जीडीपी का साइज करीब 14 गुना तक बढ़ जाएगा.
अनुमान के अनुसार देश की मौजूदा जीडीपी 3.75 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. जिसके अगले 4 साल में 5 ट्रिलियन के होने का अनुमान लगाया गया है. दूसरी ओर अमेरिका की जीडीपी साल 2075 तक 51.5 ट्रिलियन डॉलर होगी. जोकि भारत की अनुमानित जीडीपी के साइज से 1 ट्रिलियन डॉलर कम है. खास बात तो ये है कि मौजूदा समय में अमेरिका जीडीपी 29 ट्रिलियन डॉलर है. इसका मतलब है कि अमेरिका जीडीपी में इजाफा अगले 50 साल में दोगुने से भी कम होगा.
चीन कहां होगा?
गोल्डमैन सैश के अनुमान के अनुसार चीन जीडीपी के मामले में साल 2075 में नंबर 1 पर काबिज होगा. जी हां, उसकी जीडीपी का साइज 57 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया है. जोकि भारत के अनुमानित आंकड़ें के मुकाबले 4 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा और अमेरिका की जीडीपी के मुकाबले 5 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा होगा. खास बात तो ये है कि अगले 50 साल में चीन की जीडीपी के साइज में 3 गुना का इजाफा देखने को मिल सकता है. खास बात तो ये है कि साल 2075 में देश की तीन इकोनॉमी की जीडीपी का साइज 50 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा देखने को मिल सकता है.
ये भी आया है अनुमान
वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारों ने भारत की आर्थिक वृद्धि को 8 फीसदी तक ले जाने के लिए जरूरी पॉलिसीज लागू कीं तो देश वर्ष 2047 तक 55 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है.
सुब्रमण्यन ने यहां इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में अपनी पुस्तक इंडिया ऐट 100 के अनावरण पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि 55 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य दुस्साहसी लग सकता है लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का निजी ऋण एवं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात वर्ष 2020 में 58 फीसदी था, जो एडवांस इकोनॉमीज से करीब छह दशक पीछे है और ये देश अब 200 फीसदी पर हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना जैसी योजनाओं के जरिये वित्तीय समावेशन के मामले में अभूतपूर्व काम किया जा रहा है.
क्या दिया फॉर्मूला
आईएमएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह लक्ष्य निश्चित रूप से दुस्साहसिक प्रतीत होता है लेकिन चक्रवृद्धि की शक्ति इसे संभव बनाती है. आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज करने में सक्षम होने पर हम वास्तव में 55 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं. भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके सुब्रमण्यन ने इस विश्वास का कारण पूछे जाने पर कहा कि मेरी धारणा 72 के नियम पर आधारित है. इसके मुताबिकख् डॉलर के संदर्भ में 12 फीसदी की वृद्धि दर (8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि और पांच प्रतिशत महंगाई को जोड़ने के बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में एक प्रतिशत का ह्रास) होने पर जीडीपी हर छह साल में दोगुनी हो जाती है.
चार बार दोगुनी होगी जीडीपी
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 से अगले 24 साल की अवधि में 3.25 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था चार बार दोगुनी होगी, जिसकी वजह से यह वर्ष 2047 तक 52 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगी. उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि इसकी इकोनॉमी 1970 में 215 अरब डॉलर पर थी लेकिन 1995 में यह 5.1 लाख करोड़ डॉलर हो गई। उन्होंने कहा कि भारत को भौतिक बुनियादी ढांचे के अलावा मानव पूंजी, स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने और डिजिटल पूंजी बनाने में भी निवेश करने की जरूरत है.