गुजरात का ऐतिहासिक शहर चंपानेर, जहां देख सकते हैं आकर्षक इमारतें

पश्चिमी भारत के व्यापारिक राज्य गुजरात में यूनेस्को द्वारा संरक्षित एक शहर है चंपानेर, जो पंचमहल जिले में स्थित है. इस शहर को कभी गुजरात की राजधानी होने का गौरव प्राप्त था. इतिहासकारों के अनुसार 8वीं शताब्दी में चावड़ा शासक राजा वनराज चावड़ा ने इस शहर को बसाया और विकसित किया था. वनराज चावड़ा ने अपने सेनापति चंपा के नाम पर इस शहर का नाम चंपानेर रखा था.
15वीं शताब्दी की शुरुआत में इस शहर पर राजस्थान के शासक चौहान राजपूतों ने विजय प्राप्त की थी. 1482 में गुजरात के युवा सुल्तान महमूद बेगड़ा ने युद्ध जीतकर चंपानेर पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद सुल्तान महमूद बेगड़ा ने पावागढ़ के किले पर आक्रमण करने के लिए घेराबंदी शुरू कर पावागढ़ किले पर भी विजय प्राप्त कर ली. अपने शासन के दौरान सुल्तान महमूद बेगड़ा ने पावागढ़ का नाम बदलकर मुहम्मदाबाद कर दिया और गुजरात की राजधानी को अहमदाबाद से मुहम्मदाबाद स्थानांतरित कर दिया था.
इस दौरान सुल्तान ने यहां कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण कराया, जिनमें से चंपानेर की जामा मस्जिद भी एक है. यहां की खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों की वजह से यूनेस्को ने साल 2004 में इस शहर को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिया था.
जामा मस्जिद
इस जामा मस्जिद की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है. जो एक ऊंचे चबूतरे पर बनी हुई है. जामा मस्जिद के बीच में एक गुंबद है, मस्जिद के दोनों तरफ दो मीनारें बनी हैं, जिनकी ऊंचाई करीब 30 मीटर है. जामा मस्जिद में 172 खंभों के साथ सात खूबसूरत मेहराब बनी हुई हैं. इसके दरवाजे पर आकर्षक नक्काशी की गई है.
मुगल शासन के दौरान बादशाह हुमायूं ने गुजरात के बादशाह बहादुर शाह को भागने पर मजबूर कर दिया था और चंपानेर के साथ पावागढ़ के इस किले पर भी कब्जा कर लिया था. पावागढ़ का किला एक पहाड़ी पर बना हुआ है.
कालिका माता मंदिर
चंपानेर शहर का अपना पुरातात्विक, ऐतिहासिक महत्व है, यहां की जीवंत सांस्कृतिक विरासत और संपत्तियों को विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है. 16वीं शताब्दी में गुजरात राज्य की राजधानी होने के अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं. इसके अलावा 8वीं से 14वीं शताब्दी तक के ऐतिहासिक अवशेषों में किला, महल, धार्मिक भवन, आवासीय परिसर शामिल हैं.
शक्ति की देवी कालिका माता का मंदिर पावागढ़ पहाड़ी की चोटी पर बना है जो देवी के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. शरद और चैत्र नवरात्रि के दौरान साल में दो बार कालिका माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसका निर्माण काल ​​900 से 1000 ई. के बीच का है. यह कालिका माता मंदिर पावागढ़ पुरातत्व पार्क में स्थित है. कालिका माता मंदिर दो मंजिल का है. इस मंदिर की पहली मंजिल पर सदन शाह नामक एक सूफी की कब्र है.
मंदिर के भूतल पर देवी मां के कई चित्र और मूर्तियां हैं. कालिका माता की मूर्ति लाल रंग के बीच में है, उनके दाईं ओर मां काली और बाईं ओर बहुचरा माता की मूर्ति स्थापित है. पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए या तो जंगल के रास्ते ट्रैकिंग करके जाया जा सकता है या फिर केबल कार से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह शहर भारत का एकमात्र अपरिवर्तित मुगल पूर्व शहर है.
जैन मंदिर
पावागढ़ किले पर कालिका माता मंदिर से थोड़ी दूरी पर जैन मंदिर बने हुए हैं. इन मंदिरों की खोज यूनानी भूगोलवेत्ता टॉलेमी ने 140 ई. में की थी. इनका निर्माण 20वें तीर्थंकरों के समय में हुआ था. पावागढ़ तीर्थ पर दो मुख्य मंदिर बने हुए हैं जो भगवान श्री पार्श्वनाथ और श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ को समर्पित हैं. इनमें से एक मंदिर पावागढ़ पहाड़ी की चोटी पर बना है और दूसरा पावागढ़ पहाड़ी की तलहटी में. इन मंदिरों की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है.
चंपानेर के पर्यटक स्थल
चंपानेर में पर्यटकों के देखने के लिए ऐतिहासिक स्मारकों मे जामा मस्जिद, सहर मस्जिद, नगीना मस्जिद, केवड़ा मस्जिद, लाल गुम्बद मस्जिद, कमानी मस्जिद, बावमान मस्जिद, खजूरी मस्जिद, बावड़ी, जैन मंदिर, उड़न खटोला, सात कमान, अमीर मंजिल, चंपानेर किला, महमूद बेगड़ा का किला, खपरा जावेरी पैलेस, सिकंदर शाह का मकबरा, हेरिटेज फॉरेस्ट, बड़ा तालाब, खुनिया महादेव मंदिर (खुनिया महादेव के पास झरने का आनंद लेने के लिए मानसून के मौसम में यहां आना सबसे अच्छा है) को देख सकते हैं.
चंपानेर कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग: चंपानेर वड़ोदरा से लगभग 50 किमी और अहमदाबाद से 150 किमी दूर है. चंपानेर के लिए गुजरात राज्य परिवहन की बसें चलती हैं, पर्यटक निजी बस, टैक्सी और अपने वाहन से भी आ सकते हैं.
रेल मार्ग : चंपानेर के पास सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन वड़ोदरा जंक्शन है, जो दिल्ली-मुंबई को जोड़ने वाला एक प्रमुख स्टेशन है. यह चंपानेर से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है. रेलवे स्टेशन के बाहर से चंपानेर पहुंचने के लिए टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं.
हवाई मार्ग : चंपानेर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा वड़ोदरा है जो चंपानेर शहर से लगभग 50 किमी दूर है. आप वड़ोदरा हवाई अड्डे से टैक्सी लेकर आसानी से चंपानेर पहुंच सकते हैं.

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