7 साल, ₹111 करोड़ की ग्रांट और खाली हाथ इमाम… दिल्ली वक्फ बोर्ड पर बड़ा खुलासा

दिल्ली वक्फ बोर्ड को लेकर आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ है. ये जानकारी सामने आई है कि साल 2015 से 2022 के बीच दिल्ली सरकार ने 111 करोड़ रुपये दिए. फिर भी इमामों को वेतन नहीं मिल रहा है. 2021-22 में 71 करोड़ 90 लाख रुपये दिए गए. बावजूद इसके 18 महीनों से मस्जिदों के इमाम और मौजीन को वेतन नहीं मिला. अब सवाल उठ रहे हैं कि इतने पैसे कहां खर्च किए गए?
आरटीआई ऐक्टिविस्ट ने सवाल उठाए हैं कि दिल्ली सरकार से मिली ग्रांट को आखिरकार वक्फ बोर्ड कहां खर्च कर रहा है? दावा है कि सात साल में 111 करोड़ की ग्रांट दिल्ली सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी. इसके बावजूद दिल्ली की मस्जिदों में इमाम और मौजीन को वेतन नहीं मिल रहा है.
दिल्ली सरकार ने वक्फ बोर्ड को 111 करोड़ रुपये दिए
आरटीआई ऐक्टिविस्ट अजय बोस ने कहा, साल 2023 में मैंने एक आरटीआई फाइल की थी. ये जानने की कोशिश की थी कि दिल्ली सरकार से दिल्ली वक्फ बोर्ड को कितना पैसा मिला. इसमें ये पता चला कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को 111 करोड़ रुपये दिए. 185 इमाम और 59 मौजीन ही वक्फ बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है. इनकी भी सैलरी पेंडिंग है.
दूसरा चौंकाने वाला खुलासा ये भी हुआ है कि मस्जिदों में जो ईमाम और मौजिन हैं, इनको बारह हजार पंद्रह हजार रुपये सैलरी मिलती है. उनको जनवरी 2021 के बाद सैलरी नहीं मिली है. जबकि 2021-22 में दिल्ली वक्फ बोर्ड को दिल्ली सरकार ने 71 करोड़ 90 लाख रुपये दिए हैं.
जो गरीब इमाम और मौजीन हैं, उनको न्याय दिया जाए
ये चौंकाने वाली बात है कि इमामों और मौजीन को उनकी तनख्वाह नहीं मिली. जबकि वक्फ बोर्ड के चेयरमैन उस समय आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान थे. ईडी ने अमानतुल्लाह को गिरफ्तार भी किया था और वक्फ बोर्ड में धांधली पर जांच भी चल रही है.
आरटीआई ऐक्टिविस्ट ने कहा, मेरा ऐसा कहना है कि ये जो गरीब इमाम और मौजीन हैं, जिनको बारह पंद्रह हजार सैलरी मिलती है, उनको न्याय दिया जाए. इनका जो भी बकाया है वो तुरंत दिया जाए. इस मुद्दे पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

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