महंगाई से घबराए या ट्रंप से…दुनिया के चौथे सबसे अमीर देश के प्रधानमंत्री ने क्यों किया कुर्सी छोड़ने का फैसला?

जापान के प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा ने अचानक ऐलान किया कि वे अगले महीने होने वाले पार्टी के चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे. उनके इस ऐलान ने उनके कार्यकाल को महज तीन सालों में खत्म कर दिया है. जापान की सत्ताधारी पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) 1945 से जापान पर राज कर रही है. फूमिओ किशिदा ने इसका नेतृत्व साल 2021 में संभाला था. जापान में बढ़ती महंगाई की वजह से इस पार्टी को देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
जापान में लगातार बढ़ रही महंगाई फूमिओ किशिदा के लिए मुसीबत बनी हुई है. देश में बढ़ती महंगाई का सहारा लेकर उनके विरोधियों ने उनके खूब निशाना साधा. इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान चीन की आक्रामकता भी अपने चरम पर पहुंच गई है. उनके विरोधी मानते हैं कि किशिदा की पॉलिसी चीन को रोकने के लिए नाकाम रही हैं.
इसके अलावा अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सत्ता में लौटने की संभावना भी किशिदा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान उनकी चीन विरोधी नीतियों का असर जापान पर देखने मिला था. ट्रंप अगर वापस सत्ता में आते हैं और फिर से ऐसा करते हैं, ऐसे में जापान की मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी, जब महंगाई अपने चरम पर है और लोग सरकार से नाराज हैं.
मकसद बदलाव दिखाना या नाकामी छिपाना?
प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “इस राष्ट्रपति चुनाव में लोगों को यह दिखाना जरूरी है कि LDP बदल रही है और पार्टी एक नई LDP है. इसके लिए पारदर्शी और स्वतंत्र चुनाव जरूरी है, LDP में बदलाव दिखाने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि मैं पीछे हट जाऊं.” उन्होंने आखिर में कहा, कि मैं आगामी अध्यक्ष चुनाव में हिस्सा नहीं लूंगा.
67 साल के किशिदा अक्टूबर 2021 से जापान के प्रधानमंत्री के पद पर हैं, और बढ़ती कीमतों के वजह से उनकी और उनकी पार्टी की पोल रेटिंग में तेजी से गिरावट देखी गई है.
दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था मुश्किल में
NHK पोल के मुताबिक इस साल उनकी कैबिनेट की रेटिंग करीब 25 फीसदी रह गई है. अगर चुनाव से पहले कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उनकी पार्टी के लिए ये बुरा हो सकता है. दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को इस वक्त पटरी पर लौटने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ रहा है, साल की पहली तिमाही में उत्पादन में 0.7 फीसद की गिरावट आई है.
नवंबर में किशिदा ने महंगाई कम करने और अपने प्रधानमंत्री पद को बचाने के लिए 17 ट्रिलियन येन के पैकेज का ऐलान किया था. सालों से कीमतों में बमुश्किल बदलाव देखने के बाद, जापानी मतदाता हाल में तेजी से बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से जापान में महंगाई आसमान पर पहुंच गई है, जिसकी वजह से सरकार पर दबाव बना हुआ है.

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