रोजगार पैदा करने के मामले में भारत जी-20 देशों में सबसे पिछड़ा क्यों? आज मिला सही जवाब
आज के समय में देश के युवा जिस बात से सबसे अधिक परेशान हैं. उसमें से एक है- रोजगार ना मिलना. इसके लिए वह समय-समय पर अपनी मांग देश की सरकार के सामने उठाते रहते हैं. कई बार सरकार सुनती है, लेकिन फिर भी इसका अभी तक स्थाई समाधान नहीं मिल पाया है. इस बार के बजट में सरकार ने रोजगार पैदा करने पर अपना फोकस बढ़ाया है. अब सवाल यहां ये जरूरी हो जाता है कि क्या सरकार के इस पहल से आने वाले समय में युवाओं को रोजगार मिलेगा. इसपर अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने भी अपना ओपिनियन दे दिया है. उन्होंने बताया है कि क्यों भारत रोजगार पैदा के मामले में जी-20 देशों में पिछड़ा हुआ है.
भारत के क्यों लिए जरूरी है ये काम?
उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए देश को 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करने की जरूरत है. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हीरक जयंती कार्यक्रम में कहा कि 2010 से शुरू होने वाले दशक में भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर दो प्रतिशत से कम रही. गोपीनाथ कहती हैं कि इसलिए भारत की रोजगार दर, अन्य जी-20 देशों की तुलना में काफी कम है.
भारत के सामने है चुनौती
उन्होंने कहा कि यदि आप जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से भारत के अनुमानों को देखें, तो भारत को अब से लेकर 2030 तक कुल मिलाकर 6 करोड़ से 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करनी होंगी. हम पहले से ही 2024 में हैं, इसलिए हमें कम समय में बहुत सारी नौकरियां पैदा करनी होंगी. इसके लिए भूमि सुधार और श्रम संहिताओं को लागू करने सहित बुनियादी सुधारों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि की जरूरत है, क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत वृद्धि के अनुरूप नहीं है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है, लेकिन निजी निवेश में सुधार करना होगा. गोपीनाथ ने यह भी कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए, ताकि वह अपने कार्यबल का कौशल विकास कर सके.
वित्त मंत्री के साथ की बैठक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आईएमएफ की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ के साथ बैठक की. इस दौरान सीतारमण ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए और अधिक तरीके तलाशने को तैयार है. बैठक में गोपीनाथ ने राजकोषीय समेकन के लिए भारत सरकार के उपायों के लिए वित्त मंत्री को बधाई दी.
वित्त मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत आईएमएफ के साथ अपने संबंधों और निरंतर जुड़ाव को बहुत महत्व देता है. भविष्य में भारत सरकार आईएमएफ के साथ अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए और अधिक तरीके तलाशने को तैयार है. भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता का जिक्र करते हुए गोपीनाथ ने आईएमएफ के साथ भारत के मजबूत संबंधों की सराहना की.