यहां 70 लाख लोग भुखमरी के कगार पर पहुंचे… मदद के लिए लगा रहे गुहार
दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) ने जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में कहा कि साउथ अफ्रीका में लगभग 68 मिलियन (6 करोड़ 80 लाख) लोग अल नीनो सूखे के प्रभाव से पीड़ित हैं. 16 देशों के दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) के राष्ट्राध्यक्षों ने फूड सिक्योरिटी सहित कई अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में बैठक की. 2024 की शुरुआत से ही ये देश सूखे की चपेट में हैं, जिससे दक्षिणी अफ्रीका के देशों में खाने की भी कमी हो गई है.
बैठक में एसएडीसी के कार्यकारी सचिव एलियास मैगोसी ने कहा कि लगभग 68 मिलियन लोगों के 17 प्रतिशत आबादी वाले इलाकों में सहायता की आवश्यकता है. इस साल इन इलाकों के ज्यादातर हिस्सों में बारिश देर से शुरू हुई, इसी कारण इन देशों को सूखे का सामना कर पड़ रहा है.
क्या है अल नीनो?
अल नीनो प्रभाव एक विशेष मौसम संबंधी स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा होने पर होती है. इसकी वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है, जिसके कारण पश्चिमी प्रशांत सागर के इलाके का पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है. ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी पड़ती है और सूखे के हालात बनते हैं. यह स्थिति आमतौर पर 9 से 12 महीनों तक बनी रहती है.
लोगों से मदद करने की अपील
इस प्राकृतिक संकट के बीच सूखाग्रस्त देश लोगों से आर्थिक मदद की अपील कर रहे हैं. अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लौरेंको ने कहा कि मई में ही सूखे से निपटने के लिए 5.5 अरब डॉलर की मानवीय सहायता की थी, लेकिन लोग मदद नहीं कर रहे हैं. उन्होंने शिखर सम्मेलन में कहा, ‘दुर्भाग्य से अब जितने पैसे मिले हैं वो अनुमानित मात्रा से बहुत कम हैं और मैं क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से अल नीनो से प्रभावित हमारे लोगों की मदद के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने की अपील दोहराना चाहता हूं.’
अल नीनो के इफेक्ट से जिम्बाब्वे, जाम्बिया और मलावी सहित कई साउथ अफ्रीका के देश भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं, जबकि लेसोथो और नामीबिया ने भी लोगों से मदद करने की अपील की है.