ग्रामीण भारत की इकोनॉमी बन रही विकसित भारत की नींव, इस रिपोर्ट को पढ़ झूम उठेगा इंडिया

दुनिया के हर देश की तरह भारत के पास भी ग्रामीण और शहरी इकोनॉमी है. अक्सर यह देखने को मिलता है कि कोई देश तरक्की की रफ्तार शहरी इकोनॉमी की वजह भरता है, लेकिन भारत के मामले में यह कहानी थोड़ी अलग हो जाती है. क्योंकि भारत की एक बड़ी आबादी आज भी गावों में रहती है. यही वजह है कि डिमांड एंड सप्लाई का सिस्टम गांव भी काफी मायने में सेट करते हैं. रोजमर्रा के उपयोग वाले उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) को उम्मीद है कि बढ़ती खाद्य महंगाई की चिंताओं के बावजूद ग्रामीण बाजारों में मांग में सुधार और अच्छे मानसून के कारण आगामी तिमाहियों में उनकी बिक्री में वृद्धि जारी रहेगी.
ग्रामीण भारत से आ रही डिमांड
एचयूएल, आईटीसी, डाबर, ब्रिटानिया, नेस्ले और इमामी जैसी प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों की जून तिमाही की आय में ग्रामीण बाजारों से अच्छी खबर और ई-कॉमर्स मंचों के जरिये मजबूत वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में उद्योग की मात्रा वृद्धि लगभग 6.6 प्रतिशत रही. हालांकि, कंपनियां खाद्य महंगाई बढ़ने से चिंतित हैं क्योंकि कॉफी और कोकोआ की कीमतें कापी तेजी से बढ़ गई हैं. अनाज और अनाज की कीमतों में वृद्धि की संभावनाओं के बीच कुछ कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी का संकेत भी दिया है.
गांव ने शहर को किया पीछे
मैरिको के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं सीईओ सौगत गुप्ता ने कहा कि एफएमसीजी क्षेत्र में जून तिमाही में मांग के रुझान में क्रमिक सुधार जारी रहा तथा ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि शहरी क्षेत्र से आगे रही. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि स्थिर खुदरा महंगाई, स्वस्थ रूप से आगे बढ़ रहे मानसून सत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार के बजट में किये गये आवंटन से मात्रा रुझान में सुधार जारी रहेगा.
हालांकि, गुप्ता ने कहा कि उच्च खाद्य महंगाई और वर्षा का स्थानिक वितरण नजर रखने के लिहाज से महत्वपूर्ण कारक होंगे. नेस्ले ने अपनी पहली तिमाही के नतीजों में कहा कि कॉफी और कोको की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल देखी जा रही है क्योंकि इनकी कीमतें सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं और कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है. अनाज और दालों की कीमतों में एमएसपी के समर्थन से संरचनात्मक लागत वृद्धि हो रही है.
ई-कॉमर्स ने बदली तस्वीर
हालांकि, मैगी और किटकैट बनाने वाली कंपनी ने कहा कि दूध की कीमतों, पैकेजिंग और खाद्य तेलों में सापेक्षिक स्थिरता है. जून तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों ने ई-कॉमर्स से भी बड़ी बढ़त दर्ज की है, जिसमें इस सेगमेंट ने उच्च वृद्धि दर्ज की है. हालांकि, उनमें से कुछ ने शहरी बाजारों में किराना स्टोर जैसे पारंपरिक चैनलों में नरमी की सूचना दी.
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड (जीसीपीएल) के एमडी और सीईओ सुधीर सीतापति ने कहा कि हमने आधुनिक व्यापार, ई-कॉमर्स और ग्रामीण क्षेत्रों में तीव्र हिस्सेदारी हासिल की है, लेकिन शहरी सामान्य व्यापार में हिस्सेदारी में कमी आई है. डाबर के लिए ई-कॉमर्स और आधुनिक व्यापार जैसे उभरते चैनलों ने दहाई अंक की मजबूत वृद्धि दर्ज की और अब ये उसके घरेलू कारोबार में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देते हैं.

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