मलेशिया को मिनरल ऑयल से लेकर मीट तक देता है भारत…जानें नेहरू के जमाने से चले आ रहे रिश्ते कहां तक पहुंचे

एशिया के मुस्लिम देश मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भारत के दौरे पर हैं. उनकी ये यात्रा कई तरह से खास है. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मलेशिया दौरे के बाद दोनों देशों के रिश्तों में मजबूती आई थी. अब इसको और मजबूत करने और ग्लोबल साउथ की ताकत पूरी दुनिया को दिखाने का वक्त आ गया है. अनवर की इस यात्रा में भारत और मलेशिया इस लक्ष्य को सामने रखकर कई समझौते कर सकते हैं.
ऐसा नहीं है कि भारत और मलेशिया के संबंध अभी अच्छे हुए हैं. भारत की आजादी के बाद से ही भारत और मलेशिया एक दूसरे के करीब रहे हैं. भारत और मलेशिया ने 1957 में ही राजनयिक संबंधों की स्थापना की थी. इन संबंधों को 1960 के दश्क में एक नई ऊर्जा तब मिली जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नहरू और अब्दुल रहमान पुतरा की निजी दोस्ती हुई. इस दोस्ती का फायदा दोनों देशों के संबंधों को खूब मिला.

Alhamdulillah, saya dan delegasi Malaysia selamat tiba di New Delhi, India bagi memulakan lawatan rasmi selama dua hari.
Kunjungan ini akan membuka peluang kepada saya dan rakan sejawat membincangkan kemajuan hubungan kedua-dua negara selain menerokai bentuk kerjasama baharu. pic.twitter.com/4KjO64Dwpf
— Anwar Ibrahim (@anwaribrahim) August 19, 2024

नेता ही नहीं जनता में भी हैं अच्छे संबंध
मलेशिया में लोगों के बीच भारत के प्रति काफी सद्भावना है. मलेशिया में लगभग 2.75 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भारतीय मूल के लोगों का समुदाय है. इसके अलावा भारतीय प्रवासी समुदाय की बात करें तो, मलेशिया तीसरा सबसे बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय वाला देश यहां 2.9 मिलियन भारतीय प्रवासी रहते हैं.
दोनों देशों में होता है खूब व्यापार
मलेशिया भारत का 16वां बड़ा ट्रेड पार्टनर है, वहीं मलेशिया का भारत 10वां बड़ा ट्रेड पार्टनर है. दोनों देशों के बीच फाइनेंशियल साल 2023-24 में द्विपक्षीय ट्रेड 20.02 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. मलेशिया एशिया में भारत की तीसरा बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
भारत की ओर से मलेशिया एक्सपोर्ट होने वाले समान में मिनिरल फ्यूल, मिनिरल ऑयल, एल्यूमीनियम, मीट, लोहा और इस्पात, तांबा, कार्बनिक रसायन, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और मैकेनिकल प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिसिटी मशीनरी और उपकरण आदि शामिल हैं.
फाइल फोटो (PTI)
मलेशिया से इंपोर्ट होने वाले समान की बात करें तो इसमें खास तौर से पाम ऑयल, खनिज ईंधन, खनिज तेल, विद्युत मशीनरी और उपकरण, वनस्पति ऑयल, लकड़ी का कोयला, कार्बनिक रसायन आदि शामिल हैं.
सैकड़ों कंपनी कर रही काम
भारत की मलेशिया और मलेशिया की भारत में सैकड़ों कंपनियां काम कर रही हैं. मलेशिया ने ग्रीन एनर्जी और रिन्यूबल एनर्जी के प्रोजेक्ट के लिए भारत में कई बिलियन का निवेश कर रखा है. साथ ही मलेशिया की करीब 70 कंपनी भारत में काम कर रही हैं.
मलेशिया में 150 से ज्यादा भारतीय कंपनी अपना व्यापार कर रही हैं. भारत ने मलेशिया में करीब 2.62 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. पिछले तीन दशकों में मलेशिया में भारतीय IT कंपनियों की तादाद में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है और इनका निवेश 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है. इनमें कंपनियों में टेक महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, रैमकोसिस्टम्स, विप्रो लिमिटेड आदि शामिल हैं.
व्यापार के साथ रक्षा क्षेत्र में भी समझौता
भारत और मलेशिया रक्षा क्षेत्र में भी साथ मिलके काम कर रहे हैं. रक्षा संबंध को लेकर दोनों देशों ने 1993 में MOU साइन किया था. इस MOU में आतंकवाद से बचाव, संयुक्त अभियास, रक्षा उपकरणों की खरीद, रसद और रखरखाव सहायता और प्रशिक्षण शामिल है.
नौसेना का जहाज मलेशिया तट पर (फोटो-डिफेंस मिनिस्ट्री)
इसके अलावा भारतीय नौसेना जहाज वक्त वक्त पर मलेशिया की बंदरगाहों पर जाती रहती हैं. जिससे दोनों देश की सेनाओं में आपसी संबंध मजबूत होता है.

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