Explainer : क्या आपके ‘क्यूट’ दिखने पर भी लगता है टैक्स, क्या होता है फ्लाइट में लगने वाला ‘Cute Charge’?
आपका ‘Cute’ दिखना भी आपको महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इसके लिए आपसे टैक्स वसूला जा सकता है. इस बात की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट में Cute Charge को लेकर सवाल किया गया है. ये चार्ज इंडिगो की एक फ्लाइट पर कंपनी ने लगाया है, जिसे लेकर यूजर का सवाल है कि क्या लोगों से उनके क्यूट दिखने के लिए चार्ज वसूला जा रहा है, या उनका एयरोप्लेन क्यूट है. आखिर क्या होता है क्यूट चार्ज?
पहले तो हम आपको ये बता दें कि सोशल मीडिया पर क्यूट चार्ज को लेकर श्रेयांश सिंह नाम के यूजर का पोस्ट वायरल हो रहा है. इसमें सिर्फ क्यूट चार्ज को लेकर ही नहीं बल्कि एयर फेयर में इन्क्लूड होने वाले ‘एविएशन सिक्योरिटी फीस’ और ‘यूजर डेवलपमेंट फीस’ को लेकर भी सवाल किया गया है. पोस्ट के आखिर में लिखा गया है, ‘तुम लोगों का ज्यादा हो रहा है अब.’
Dear @IndiGo6E ,
1. What is this ‘Cute Fee’? Do you charge users for being cute? Or do you charge because you believe that your aeroplanes are cute?
2. What is this ‘User Development Fee’? How do you develop me when I travel in your aeroplane?
3. What is this ‘Aviation pic.twitter.com/i4jWvXh6UM
— Shrayansh Singh (@_shrayanshsingh) August 19, 2024
क्या होता है Cute Charge?
श्रेयांश सिंह की पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए इंडिगो ने कहा कि Cute Charge असल में एयरपोर्ट पर इस्तेमाल किए जाने वाले कई कॉमन इक्विपमेंट्स के लिए लिया जाता है. इसमें मेटल डिटेक्टर्स, एक्लेटर्स और अन्य जरूरी टूल्स शामिल होते हैं. यहां पर Cute का फुल फॉर्म ‘Common User Terminal Equipment’ होता है. हालांकि क्यूट चार्ज की ये बहस यहीं नहीं रुकी.
Hi, we would like to inform you that the Cute charges refer to the Common User Terminal Equipment charge. It is basically the amount that is charged for the use of metal-detecting machines, escalators, and other equipments that are being used at the airport. (1/3)
— IndiGo (@IndiGo6E) August 19, 2024
कंपनी से आगे सवाल किया गया कि क्या मेटल डिटेक्टर या अन्य सामान एयरपोर्ट की सिक्योरिटी का हिस्सा नहीं है. क्या इनका खर्च सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स से पूरा नहीं होता है, जो इन्हें अलग से कस्टमर्स की पॉकेट पर ट्रांसफर किया जा रहा है. इसके बाद सोशल मीडिया पर एयर फेयर के टैक्स में ट्रांसपरेंसी को लेकर एक पूरी बहस ही सोशल मीडिया पर छिड़ गई है.
Isn’t this a part of airport security? Aren’t the metal detectors a property of the CISF, which is a security organisation of the govt. for the security of airports too?
The equipment being used at the airport, including the airport buildings itself, are public utility
— Shrayansh Singh (@_shrayanshsingh) August 19, 2024
एयर टिकट में लगे अन्य चार्जेस का मतलब?
वायरल पोस्ट में इंडिगो के दो अन्य चार्जेस वसूलने पर भी सवाल उठाए गए हैं. ‘एविएशन सिक्योरिटी फीस’ और ‘यूजर डेवलपमेंट फीस’, आखिर एयरलाइंस के इन चार्जेस का क्या मतलब होता है. तो इसमें एविएशन सिक्योरिटी फीस की वसूली केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) का बिल पेमेंट करने के लिए की जाती है. जबकि रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (उड़ान) के तहत कुछ एयरपोर्ट की सुरक्षा राज्य पुलिस के हाथ में है.
वहीं ‘यूजर डेवलपमेंट फीस’ की वसूली एयरपोर्ट ऑपरेटर करते हैं. ये फीस एयरपोर्ट ऑपरेटर के रिवेन्यू को बढ़ाने और उसमें आने वाली कमी के अंतर को भरने के लिए इस्तेमाल की जाती है. इस फीस का मकसद होता है कि एयरपोर्ट ऑपरेटर को उसके निवेश के बदले सही रिटर्न मिले. ये दोनों ही चार्जेस अलग-अलग एयरपोर्ट पर अलग-अलग होते हैं.
आपके एयर टिकट पर लगते हैं कौन-कौन से चार्जेस?
भारत में अगर आप कोई एयर टिकट खरीदते हैं, तो उसका बेस फेयर बहुत कम होता है. एयरलाइंस मुख्य तौर पर ग्राहक से बेस फेयर औ फ्यूल सरचार्ज की वसूली करती हैं. इसके बाद ग्राहक को कई तरह के टैक्स और अन्य फीस देने होते हैं, जिससे उसका ओवरऑल टिकट महंगा हो जाता है.
इसमें पैसेंजर सर्विस फीस, एविएशन सिक्योरिटी फीस, एयरपोर्ट डेवलपमेंट फीस, यूजर डेवलपमेंट फीस, क्यूट फीस, इन्फैंट (शिशु) फीस, सर्विस चार्ज, जीएसटी, सीट फीस, रीजनल कनेक्टिविटी फीस और इंश्योरेंस अमाउंट शामिल होता है. जरूरी नहीं है कि आपसे सारे चार्जेस एक बार ही में ही लिए जाएं, ये आपकी एयरलाइंस, एयरपोर्ट और डोमेस्टिक या इंटरनेशनल रूट पर डिपेंड करते हैं.