ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने पर भी हो सकता है ट्रांसप्लांट, जानें क्या है ये तकनीक

जब किसी व्यक्ति के शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है तो मरीज की जान बचाने के लिए उसका ट्रांसप्लांट किया जाता है. लिवर के खराब होने पर इसका भी ट्रांसप्लांट किया जाता है. ट्रांसप्लांट कई तरह के होते हैं. अब देश के कई अस्पतालों में मरीजों के लिए एबीओ-इनकम्पेटिबल लिवर ट्रांसप्लान्ट की सुविधा भी शुरू हो गई है. यह एक एक आधुनिक प्रक्रिया है जो नॉर्मल ट्रांसप्लान्ट से अलग होती है. इसमें डोनर का ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने पर भी ट्रांसप्लांट हो सकता है. ऐसे ही एक केस में दिल्ली में लिवर के मरीज का ट्रांसप्लांट किया गया है.
मरीज संदीप पाटिल को लिवर सिरोसिस की बीमारी थी. इस वजह से लिवर ट्रांसप्लांट करना जरूरी थी, लेकिन कोई डोनर ही नहीं मिल रहा था. उनकी पत्नी ने लिवर दान की इच्छा जताई लेकिन ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ, मरीज की जान बचाना जरूरी था ऐसे में डॉक्टरों ने बीओ इन्कपेटिबलिटी करने का फैसला किया. शैल्बी सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स में डायरेक्टर और हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट ऑफ एचपीबी सर्जरी एंड लिवर ट्रांसप्लान्ट डॉ अंकुर गर्ग के नेतृत्व में यह सर्जरी की गई. इममें मरीज को सेम ब्लड ग्रुप के डोनर की जरूरत नहीं पड़ी और बीओ-इन्कपेटिबल लिवर ट्रांसप्लान्ट कर दिया गया.
कितना अलग है ये ट्रांसप्लांट
डॉ अंकुर गर्ग ने बताया कि एबीओ-इन्कपेटिबल लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी में बिना ब्लड ग्रुप मैच के भी ट्रांसप्लांट हो जाता है. यह तकनीक सामान्य ट्रांसप्लांट से अलग है. इस मामले में मरीज की सर्जरी की गई जो सफल रही. मरीज को सर्जरी के बाद कुछ दिन तक आईसीयू में रखा गया और फिर उसको छुट्टी दे दी गई. मरीज अब स्वस्थ है. डॉ अंकुर ने बताया कि मरीज को लिवर सिरोसिस था. यह लिवर की गंभीर बीमारी होती है. अगर इसमें समय पर मरीज का ट्रांसप्लांट न हो तो मौत का रिस्क भी होता है.
जरूरी है अंगदान
अंगदान बहुत जरूरी है इससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. लिवर की बीमारियों के मामले में स्वस्थ व्यक्ति मरीज के लिए लिवर डोनेट कर सकता है. लिवर एक ऐसा अंग है जो कुछ दिनों के बाद खुद पूरा फिर से बन जाता है. ऐसे में आप लिवर डोनेट कर सकते हैं. इससे कोई नुकसान नहीं होता है.

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