आखिरी बातचीत, डायरी और नाइट शिफ्ट…कोलकाता की पीड़िता के माता-पिता ने क्या-क्या बताया

कोलकाता रेप और मर्डर मामले में जिस तरह से देशभर से पीड़िता के लिए इंसाफ की आवाड़ उठी, उसने कहीं न कहीं पीड़िता के माता-पिता को ताकत का एहसास ज़रूर कराया. ऐसे वक्त में जब बेटी के साथ दरिंदगी हुई हो, उसे मार दिया गया हो और शासन-प्रशासन की तरफ से उम्मीद के मुताबिक कार्रवाई ना हो रही हो, तब एक ही रास्ता बचता है और वो है प्रदर्शन का. इसी रास्ते के ज़रिए कोलकाता कांड को देशभर में चर्चा में ला दिया. एक शहर से उठी आवाज़ पूरे देश में गूंजने लगी और सभी उसी आवाज़ में आवाज़ मिलाने लगे.
इस विभत्स घटना के बारे में जिसने भी सुना उसकी आंखे भर आईं. देश के तमाम डॉक्टर, आम लोग और कई बड़े सेलिब्रिटीज़ उस डॉक्टर बेटी की इंसाफ की लड़ाई में शामिल हुए और पीड़ित परिवार को एहसास कराया कि वो इस मुश्किल घड़ी में अकेले नहीं हैं, पूरा देश उनके साथ है. अब पीड़िता के पिता ने भी यही बात कही है. टीवी9 बांगला से बातचीत में पीड़िता के पिता ने कहा, “इतने लोग हमारे साथ हैं, इसलिए हम मजबूत हैं.”
‘एक बेटी खोई, हज़ारों बेटा-बेटी मिले’
पीड़िता की मां का कहना है कि मैंने अपने एक बेटी खोई, पर हज़ारों बेटा-बेटी और मां बाप मिल गए मिले, हमारा साथ दिया इसके लिए हम शुक्रगुज़ार हैं. पिता ने कहा कि मेरा खुद का दिल कचोट रहा है, लेकिन मुझे लोगों को शुक्रिया कहना होगा. मेरी बेटी को अपनी बेटी समझकर लोग लड़ रहे हैं.
विरोध प्रदर्शन की तस्वीर
इस दौरान मां से पूछा गया कि जिस दिन आरजी कर कॉलेज और अस्पताल में तोड़-फोड़ हुई, उस दिन कुछ लोग कह रहे थे कि सेमिनार हॉल में चलो. ऐसा क्यों? इस पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि फोकस को इस मामले से हटाने के लिए ऐसा किया गया.” मां ने कहा कि उस दिन जो हिंसा हुई वो साज़िश के तहत हुई.
मां ने किया डायरी का ज़िक्र
पिता ने कहा, “एक मां बाप के लिए ये सहना कितना मुश्किल है. मैं नहीं चाहूंगा कि किसी भी मां-बाप की हालत कभी ऐसी हो.” मां ने बताया कि पीड़िता का सपना था कि वो डॉक्टर बने. इस दौरान उन्होंने बेटी की डायरी का भी ज़िक्र किया. मां ने कहा, ” पुलिसवाले डायरी लेकर आए थे. उन्होंने हमसे पूछा कि क्या ये आपकी बेटी का डायरी है?” उन्होंने बताया कि उस डायरी का पेज फटा हुआ था. उन्होंने हमें दिखाया था. मां ने कहा कि ऐसी कोई भी बात नहीं थी, जो मेरी बेटी मेरे साथ शेयर नहीं कर सकती थी.
नाइट शिफ्ट को लेकर कही ये बात
बातचीत के दौरान मां से सवाल हुआ कि पीड़िता की महीने में कितने दिन नाइट शिफ्ट होती थी? इस पर मां ने जवाब दिया, “महीने में 4 नाइट शिफ्ट होती थी.” नाइट शिफ्ट के दौरान वो सोती कहां थी? इस सवाल पर मां ने बताया, “स्लीप स्टडी एक रूम है, वो वहां सोती थी. कभी-कभी सोना नहीं हो पाता था. सेमिनार हॉल में कभी-कभी जाया करती थी.
इस सवाल पर कि सेमिनार हॉल में ऊपर भी बिस्तर था, लेकिन आपको बॉडी नीचे लगे बिस्तर पर मिली? मां ने कहा, “हमें तो सूत्रों ने बताया कि वो नीचे के बिस्तर पर भी नहीं थी. बॉडी नीचे पड़ी हुई थी. हमारे पास इस बात का कोई सबूत नहीं है, हमने सिर्फ सुना है.”
आखिरी बार क्या बातचीत हुई?
निर्भया कांड के बाद हर मां-बाप के मन में चिंता होती थी वो फोन करके पूछते थे? आपसे आखिरी बार कब बात हुई थी? इस सवाल पर मां ने कहा, “अस्पताल पहुंचने के बाद अस्पताल भी तो उसका दूसरा घर ही था. वहां वो सुरक्षित थी. वहां मैं फोन क्यों करती.” आखिरी बातचीत के बारे में मां ने बताया, “जब उससे आखिरी बर बातचीत तब हुई थी तो उसने कहा था कि आप लोग खाना-पीना खा लीजिए. पिता जी को दवा दे दीजिएगा. चिंता की कोई बात नहीं है. उसके बाद उससे कोई बात नहीं हुई.
घटना को 11 दिन बीत जाने और अब तक की प्रशासन की कार्रवाई पर पीड़िता के पिता ने कहा, “हम शंतुष्ट नहीं हैं. उम्मीद में हैं.”

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