हरियाणा कांग्रेस ने सुरजेवाला-शैलजा की मान ली ये डिमांड तो खतरे में आ जाएगी खरगे की ‘कुर्सी’? पढ़ें पूरी रिपोर्ट
राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा की हरियाणा से विधायकी लड़ने की महत्वकांक्षा कहीं कांग्रेस पार्टी पर भारी न पड़ जाए. इसकी 2 वजहें बताई जा रही हैं. पहली वजह, संख्याबल के कारण राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की कुर्सी का खतरे के निशान पर होना है तो दूसरी वजह लोकसभा में 99 का फेर लगना है. कांग्रेस पिछले 3 महीने से कई तरह की कवायद करने के बावजूद 99 सीटों से आगे नहीं बढ़ पा रही है.
क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं सुरजेवाला-शैलजा?
सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला चुनाव लड़ना चाहते हैं. दोनों सीएम पद के दावेदार भी हैं. शैलजा खुलकर इस दावेदारी को जता भी चुकी हैं.
सुरजेवाला पारंपरिक कैथल और शैलजा सिरसा या अंबाला की किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं. सुरजेवाला और शैलजा को गांधी परिवार का करीबी भी माना जाता है.
कहा यह भी जा रहा है कि इन दोनों नेताओं को यह डर सता रहा है कि अगर वे हरियाणा का चुनावी मैदान छोड़ते हैं तो भूपिंदर सिंह हुड्डा कांग्रेस की सरकार बनने पर अपने बेटे दीपेंद्र को मुख्यमंत्री बना सकते हैं.
रोहतक से लोकसभा के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा सुरजेवाला और शैलजा से काफी जूनियर हैं. कहा जा रहा है कि इन्हीं सब चिंताओं की वजह से हाल ही में सुरजेवाला और शैलजा ने राहुल गांधी से संपर्क साधा है.
दोनों नेताओं ने राहुल से विधायकी लड़ने की अनुमति मांगी है. कहा जा रहा है कि राहुल ने दोनों को सकारात्मक आश्वासन दिया है.
राज्यसभा में कांग्रेस के पास कितनी सीटें?
राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक कांग्रेस के पास अभी उच्च सदन में 26 सांसद हैं, जो नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी 25 सांसद से एक ज्यादा है. राज्यसभा में कुल 245 सांसद होते हैं. इनमें 233 चुनाव के द्वारा और 12 मनोनयन से सांसद बनते हैं. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए कुल सांसदों का 10 प्रतिशत संख्या जरूरी है. यानी नेता प्रतिपक्ष कुर्सी के लिए 25 सांसद होना अनिवार्य है.
कांग्रेस के 8 सांसदों का कार्यकाल अप्रैल 2026 तक है. अन्य 18 सांसदों का कार्यकाल 2028 और 2030 तक है. कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 5-5 सांसद राजस्थान और कर्नाटक से 4 सांसद छत्तीसगढ़ से और 3-3 सांसद महाराष्ट्र और तेलंगाना से है.
कर्नाटक छोड़कर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार चली गई है. कांग्रेस को हाल ही में राज्यसभा में 2 सीटों का नुकसान उसके सांसदों के लोकसभा जाने की वजह हुई है.
सुरजेवाला गए तो क्या असर पड़ेगा?
रणदीप सिंह सुरजेवाला अगर विधानसभा चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं, तो उन्हें राज्यसभा की सांसदी छोड़नी पड़ सकती है. सुरजेवाला अभी राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं और वहां पर बीजेपी की सरकार है. सुरजेवाला की रिक्त सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को ही जीत मिलेगी.
ऐसे में एक सीट कांग्रेस के खाते से कम हो जाएगी, जिससे मल्लिकार्जुन खरगे की नेता प्रतिपक्ष वाली कुर्सी खतरे के निशान पर पहुंच जाएगी. इसके बाद एक-दो सांसद इधर-उधर होते हैं तो खरगे से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी छीन सकती है.
पहले भी संख्याबल न होने की वजह से लोकसभा में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला था.
कांग्रेस को एक डर यह भी
सुरजेवाला-शैलजा अगर विधायकी के लिए चुनाव लड़ते हैं और सांसदी छोड़ते हैं तो पार्टी में यह ट्रेंड शुरू हो सकता है. महाराष्ट्र और अगले साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. यहां के सांसद भी फिर राज्य की राजनीति में बड़ा पद पाने के लिए हाईकमान पर दबाव बना सकते हैं.
वर्तमान में कांग्रेस न तो इस स्थिति में ही हर उपचुनाव जीत सके और न ही इस स्थिति में कि उसके सांसद सदन छोड़कर जाए तो उसके नंबर गेम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस ने हाल ही में 99 के फेर को खत्म करने के लिए सांगली से सांसद विशाल पाटिल और पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का साथ लिया था, लेकिन इसी बीच पार्टी को एक झटका नांदेड़ में लग गया.
नांदेड़ के सांसद वसंत चव्हाण का निधन हो गया है. इसी तरह राहुल गांधी की छोड़ी हुई वायनाड सीट पर भी अभी चुनाव की कोई संभावनाएं नहीं है. कांग्रेस 2 निर्दलीय सांसदों के समर्थन के बावजूद 99 के फेर में फंसी हुई है.