जातिगत गोलबंदी, BJP अध्यक्ष का चयन… क्या पलक्कड़ में इन पांच सवालों का हल ढूंढेगा संघ?

केरल के पलक्कड़ में 31 अगस्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 3 दिन की समन्वय बैठक होने जा रही है. पिछले 45 दिन में यह तीसरी बार है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारी महामंथन में जुट रहे हैं. पहली बैठक पिछले महीने की 16 तारीख को रांची में प्रांत प्रचारकों की जबकि दूसरी बैठक 29 जुलाई को भोपाल में बड़े पदाधिकारियों के साथ विचारकों की हुई थी. पलक्कड़ की बैठक में संघ ने बीजेपी समेत 36 फ्रंटल संगठनों के मुखिया को भी आमंत्रित किया है.
आधिकारिक तौर पर संघ ने इस बैठक में तात्कालिक मुद्दों पर चर्चा की बात कही है, लेकिन आरएसएस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में 5 बड़े मुद्दों के समाधान को लेकर प्लान तैयार होगा. इनमें से 3 मुद्दे सीधे तौर पर बीजेपी से जुड़े हुए हैं.
कौन होगा बीजेपी अध्यक्ष, सबसे बड़ा मुद्दा यही
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस समन्वय बैठक में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के शामिल होने की चर्चा है. नड्डा पहले भी संघ की बैठक में शामिल होते रहे हैं. बीजेपी में नड्डा के उत्तराधिकारी को भी ढूंढा जाना है. 1980 से लेकर अब तक बीजेपी में जितने भी अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं, उनमें संघ की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भूमिका रही है.
ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बैठक में बीजेपी के नए अध्यक्ष पर भी चर्चा हो सकती है. इस चर्चा को बल इसलिए भी मिल रहा है, क्योंकि इस बैठक में बड़े नेताओं की मौजूदगी है. बैठक में जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मौजूद रहेंगे, वहीं दूसरी तरफ जेपी नड्डा के साथ-साथ सभी फ्रंटल संगठनों के प्रमुख भी इसमें शामिल हो रहे हैं.
पदाधिकारियों की बदली जा सकती है जिम्मेदारी
बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी संघ से जुड़े पदाधिकारियों को दी जाती रही है. अभी भी बीजेपी के जितने भी संगठन महामंत्री हैं, वो सीधे संघ से जुड़े हुए हैं. उनकी नियुक्ति और अदला-बदली संघ का काम भी संघ ही करता है.
लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में बीजेपी का परफॉर्मेंस काफी खराब रहा है, जिसके बाद से ही कई राज्यों में संगठन महामंत्रियों के बदले जाने की बात कही जा रही है. संघ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पदाधिकारियों के बदले जाने पर भी फैसला हो सकता है.
पहले भी बीजेपी की डिमांड पर संघ की तरफ से संगठन महामंत्रियों का काम बदला जाता रहा है.
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर भी होगी चर्चा
बांग्लादेश में हाल में शेख हसीना का तख्तापलट हुआ है. नई अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों के शह से गठित हुई है, जिसके बाद वहां के हिंदुओं में डर का माहौल है. कई जगहों पर हिंदुओं के प्रदर्शनों की भी खबरें सामने आई है.
आरएसएस की बैठक बांग्लादेश में हिंदुओं के हालत पर भी चर्चा होगी. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने शुक्रवार को एक सवाल के जवाब में कहा- यह मुद्दा चिंतनीय है और हम इसे भी देखेंगे.
बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या करीब 1.3 करोड़ है, जो कुल आबादी का 7.9 प्रतिशत है.
हिंदी पट्टी में जातीय उभार ने RSS की टेंशन बढ़ाई
देश के हिंदी पट्टी वाले राज्यों में जातिगत मुद्दे का हावी होना संघ के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है. हालिया लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कास्ट फैक्टर हावी रहे. चुनाव के बाद भी जाति आधारित जनगणना की मांग उठ रही है.
गुरुवार को सरकार के सहयोगी जेडीयू ने भी ओबीसी स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में इसकी मांग उठा दी. कहा जा रहा है कि संघ अब इसकी तोड़ निकालने में जुटी है.
संघ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक संघ को यह लगता है कि अगर इसमें और देरी की जाती है तो बात बहुत आगे बढ़ सकती है. इसी महीने की शुरुआत में संघ ने इसकी तोड़ निकालने के लिए भोपाल में वैचारिक विभाग से जुड़े 23 लोगों के साथ एक बैठक की थी.
बैठक में मौजूद एक पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर टीवी-9 डिजिटल को बताया था- इसमें यह तय किया गया कि किन मुद्दों के सहारे जाति की धार को कुंद किया जा सकता है और उन मुद्दों को लोगों तक कैसे पहुंचाया जा सकता है?
इस पदाधिकारी के मुताबिक राज्यवार और जोन वार प्लान पर डिस्कस किया गया है और जल्द ही इस पर अमल भी किया जाएगा.
शताब्दी वर्ष को लेकर तैयार होगा प्लान
अब से 2 महीने बाद संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर जाएगा. यानी आरएसएस स्थापना से 100 साल में प्रवेश कर जाएगी. संघ की स्थापना साल 1925 में हुई थी. संघ अपने स्थापना वर्ष को भव्य और यादगार बनाने की तैयारी कर रहा है.
समन्वय की जो मीटिंग होने जा रही है, वो इस साल की आखिर बड़ी मीटिंग है. ऐसे में समन्वय को लेकर क्या प्लान होंगे, इसमें चर्चा की जाएगी.
सुनील आंबेकर के मुताबिक संघ शताब्दी वर्ष पर पंच परिवर्तन के अंतर्गत सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व आधारित व्यवस्था का आग्रह एवं नागरिक कर्तव्य की दिशा में काम करेगी. इसके लिए खाका तैयार किया जाएगा.

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