यूरोप में महंगाई घटकर बहुत नीचे आई, क्या भारत पर होगा असर?
महंगाई की आग में जल रही दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है. यूरो (Euro) को करेंसी के तौर पर इस्तेमाल करने वाले यूरोप के करीब 20 देशों में महंगाई का स्तर नीचे आ गया है.ये सभी देश यूरोपीय यूनियन (EU) के सदस्य हैं और एक कॉमन करेंसी का इस्तेमाल करते हैं. इनका एक कॉमन सेंट्रल बैंक ‘यूरोपियन सेंट्रल बैंक’ (ECB) भी है. वहीं महंगाई से जुड़े आंकड़े ईयू की सांख्यिकी एजेंसी ‘यूरोस्टैट’ (EuroStat) ने हाल में जारी किए हैं.
यूरोस्टैट के मुताबिक अगस्त में यूरो जोन में महंगाई दर तेजी से नीचे आई है. ये घटकर महज 2.2 प्रतिशत रह गई है. इसे एक अच्छा संकेत माना जा रहा है, क्योंकि इससे ईसीबी के ब्याज दरों में कटौती करने का रास्ता खुल गया है.क्या इसका असर भारत पर भी होगा?
सस्ता होगा लोगों के लिए कर्ज
ईसीबी के अलावा अमेरिकन फेडरल रिजर्व लंबे समय से ब्याज कटौती करने की प्लानिंग कर रहे हैं. ऐसा करने से ना सिर्फ कंपनियों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी कर्ज सस्ता हो सकेगा और इकोनॉमी को रफ्तार देने में मदद मिलेगी. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक सितंबर में ब्याज कटौती कर सकता है.
वैसे भी कोविड के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक तमाम चुनौतियों उभरने की वजह से पूरी दुनिया महंगाई की चपेट में है. भारत में ये स्थिति ज्यादा भयावह है क्योंकि यहां पर फूड इंफ्लेशन सामान्य रिटेल महंगाई से ऊंची बनी हुई है. इस वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने करीब 1.5 साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
जर्मनी में 2% ही रह गई महंगाई दर
यूरोस्टैट के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में यूरो जाने की महंगाई दर 2.6 प्रतिशत थी. अगस्त में ऊर्जा की कीमतों में तीन प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे महंगाई में ओवरऑल गिरावट देखने को मिली है. यूरो जोन की की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में महंगाई घटकर दो प्रतिशत पर आ गई है. ईसीबी ने मंथली आधार पर महंगाई को 2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया है. ये अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अच्छा माना जाने वाला लेवल है.
यूरोपीय केंद्रीय बैंक को यूरोपीय यूनियन की स्थापना करने वाली संधि के तहत स्थिर कीमतें बनाए रखने का काम सौंपा गया है. यूरोपीय संघ के सभी 27 देश यूरो का उपयोग नहीं करते हैं. सिर्फ 20 देश में ही ये मुद्रा प्रचलन में है. ईसीबी अगले महीने 12 सितंबर को अपनी मौद्रिक नीति से जुड़ी बैठक में नीतिगत ब्याज दर को 3.75 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत तक घटा सकता है, जबकि फेडरल रिजर्व 17-18 सितंबर की अपनी नीतिगत बैठक में भी ब्याज दर में कटौती कर सकता है.
भारत पर दिखेगा इसका असर
भारतीय अर्थव्यवस्था पर ग्लोबलाइजेशन का असर साफ दिखता है. ऐसे में अगर अगले महीने फेडरल रिजर्व और ईसीबी की ब्याज दरों में बदलाव होता है. तो भारतीय रिजर्व बैंक की अक्टूबर में होने वाली बैठक में नीतिगत ब्याज दर कम हो सकती हैं. हालांकि यूरो जोन में महंगाई घटने के बाद भारत का एक्सपोर्ट सुधरने की उम्मीद है.