चंपई सोरेन को BJP ने क्या दिया टास्क, उनकी एंट्री पर कैसे तैयार हुए बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा?

चंपई सोरेन को एक विशेष टास्क सौंपा गया है. उस टास्क को पूरा करने के बाद ही बीजेपी उन्हें बड़े पदों पर सम्मान के साथ पुरस्कृत करेगी. चंपई के बेटे बाबूलाल सोरेन भी बीजेपी में शामिल हुए हैं. बाबूलाल को चंपई की सीट से लड़ाया जा सकता है. मगर, चंपई सोरने को संथाल परगना की सीटों पर आदिवासी की संख्या घटने और मुस्लिम आबादी बढ़ने को लेकर बड़ा काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीजेपी का इरादा साफ है कि 28 आदिवासी बाहुल्य सीटों पर चंपई का जादू 10 सीटों पर भी चला तो झारखंड में हेमंत सोरेन की सत्ता जानी तय है. इसलिए बीजेपी चंपई सोरेन की एंट्री को एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही है.
चंपई सोरेन को आगे कर बीजेपी क्या साधना चाह रही है ?
चंपई सोरेन संथाल परगना से आते हैं. इसलिए संथाल में मुस्लिमों की आबादी की बढ़ोतरी और आदिवासियों की संख्या में कमी बड़ा मुद्दा बनाने की योजना है. जाहिर है इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ने का प्रयास है जिसे चंपई सोरेन खुद बढ़-चढ़कर लोगों के बीच प्रचारित करेंगे, ये तय हो चुका है.
आदिवासी बहू-बेटियों के साथ दूसरे धर्म के लोगों की शादी और दूसरे देश से आकर संथाल में पैर जमा लेना, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में घटती आदिवासी आबादी का पर्याय बन चुका है. चंपई सोरेन यही बात जनता के सामने रखकर बताएंगे कि कैसे जेएमएम और कांग्रेस वोट बैंक की लालच में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मुसलमानों को बसाने में लगी हुई है.
चंपई सोरेन बीजेपी में एंट्री से पहले ही अपनी रणनीति का इशारा तो कर चुके हैं. इसलिए बीजेपी का पूरा जोर 28 में से 10 से 15 सीटों पर जीत हासिल करने की है. जाहिर है बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व जानता है कि बाबूलाल मरांडी या अर्जुन मुंडा संथालियों के बीच लोकप्रियता के मापदंड में कितने कारगर होंगे, ये पुख्ता तौर पर कहा नहीं जा सकता है.
मगर, चार दशकों से जेएमएम की राजनीति करने वाले चंपई सोरेन आदिवासियों के बीच आदिवासियों की अस्मिता को मुद्दा बनाकर उन्हें जोड़ने में कामयाब होंगे. इसलिए चंपई को तवज्जो पार्टी के शीर्ष नेता भी जोर-शोर से दे रहे हैं.
कोल्हाण क्षेत्र पर होगा कितना असर ?
चंपई संथाली हैं लेकिन कोल्हाण के टाइगर कहे जाते हैं. कोल्हाण में 14 विधानसभा सीटें हैं, विधानसभा चुनाव में जहां से 13 सीट जेएमएम जीतने में कामयाब रही थी. पोटका सीट से चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं बाकी की अन्य सीटों पर चंपई सोरेन अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार की बात लोगों को सुनाकर कोल्हाण की अस्मिता से भी जोड़ने का प्रयास करेंगे.
कहा जा रहा है कि चंपई का जादू कोल्हाण में भी जरूर चलेगा, जो जेएमएम के लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है. इसलिए जेएमएम के मुखिया हेमंत सोरेन चंपई सोरेन के बागी रुख को देखते हुए कोल्हाण पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर चुके हैं. कोल्हाण से रामदास सोरेन को मंत्री बनाकर मंइया योजना के तहत महिलाओं को पुरस्कृत करना हेमंत सोरेन शुरू कर चुके हैं.
मगर, पूर्वी और पश्चिम सिंहभुम और सराय केला और खरसांवा में चंपई सोरेन के द्वारा लिए गए फैसले के बाद भारी संख्या में चंपई के समर्थक आज रांची पहुंचे थे और चंपई के समर्थन में बीजेपी जिंदाबाद के नारे लगाने में आगे दिख रहे थे. जाहिर है चार दशक से जेएमएम की राजनीति को बारीक से समझने वाले चंपई सोरेन को जेएमएम की जड़ को उखाड़ने का जिम्मा सौंपा गया है. इससे बीजेपी झारखंड में सरकार बनाने में कामयाब हो सके.
बीजेपी नेता मरांडी और मुंडा चंपई के नाम पर तैयार कैसे हुए ?
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी चंपई सोरेन के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी, ऐसा बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा को बताया जा चुका है. इन सभी नेताओं को आदिवासी इलाकों में मेहनत कर पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जाहिर है चंपई का जादू 10 सीटों पर चल पाता है तो बीजेपी प्रदेश में डिप्टी सीएम का पद या केंद्र में मंत्री पद ऑफर कर सकती है.
चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल को भी चंपई की मेहनत का इनाम दिया जा सकता है. बीजेपी के लिए चार राज्यों का विधानसभा चुनाव सर्वाईवल का सवाल बना हुआ है. इसलिए इनमें से एक झारखंड में चुनाव जीतकर केंद्र सरकार को मजबूती के साथ चलाना चाह रही है. जाहिर है इस कवायद के लिए मजबूत आदिवासी नेता का साथ मिलना बीजेपी को एक बड़ी कामयाबी दिख रही है. वहीं बाबूलाल मरांडी और लोकसभा चुनाव हारने वाले अर्जुन मुंडा के लिए चंपई की एंट्री अब समझ में आ चुकी है. इसलिए शिवराज सिंह चौहान के साथ अर्जुन मुंडा भी चंपई की औपचारिक एंट्री के समय आह्लादित दिख रहे थे.

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