TMC के कई सांसद-मंत्री 70 की उम्र पार, बुजुर्ग बनाम नई पीढ़ी पर बहस तेज; ममता बनर्जी पर भारी पड़ेगा भतीजा?
तृणमूल कांग्रेस का गठन हुए सोमवार को 26 साल पूरे हो गए। अब इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या पार्टी के सीनियर नेताओं को युवा पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहिए? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनुभवी नेताओं का समर्थन कर रही हैं जबकि उनके भतीजे अभिषेक बुजुर्ग नेताओं की सेवानिवृत्ति की वकालत कर रहे हैं। बुजुर्ग नेताओं बनाम नई पीढ़ी के नेताओं के बीच छिड़ी इस बहस के बीच मुख्यमंत्री बनर्जी ने पिछले महीने पार्टी के सीनियर नेताओं का सम्मान किए जाने की अपील की थी। इसके बाद इस तरह के दावे खारिज हो गए थे कि बुजुर्ग नेताओं को राजनीति से रिटायर किया जाना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बढ़ती उम्र के साथ कार्य कुशलता में गिरावट का हवाला दिया। उन्होंने कहा था कि राजनीति में सेवानिवृत्ति की उम्र होनी चाहिए। अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि पुराने और नए नेताओं के बीच कोई खींचतान नहीं है। उन्होंने कहा कि पुराने नेताओं को यह पता होना चाहिए कि कहां रुकना है और उन्हें अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए जगह बनाने की जरूरत है। घोष के इस बयान पर बहस तब तेज हो गई थी। 70 वर्ष से अधिक उम्र के कई मौजूदा सांसदों, मंत्रियों और विभिन्न पदों पर आसीन कई वरिष्ठ नेताओं ने घोष की टिप्पणी का विरोध किया।
‘ममता बनर्जी पार्टी प्रमुख… उनका फैसला अंतिम’
तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में पार्टी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘ममता बनर्जी पार्टी प्रमुख हैं… उनका निर्णय अंतिम है। अगर उन्हें लगता है कि कोई सेवानिवृत्त होने लायक हो गया है, तो वह रिटायर हो जाएगा। यदि उन्हें लगता है कि ऐसा नहीं है तो वह व्यक्ति पार्टी के लिए काम करता रहेगा। पार्टी के 74 वर्षीय नेता बंदोपाध्याय ने कहा कि इस बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पार्टी को युवा और सीनियर सदस्यों दोनों की जरूरत है। इस तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए 76 वर्षीय सौगत रॉय ने कहा, ‘पार्टी के भीतर उम्र कोई समस्या नहीं है। सीनियर्स और अगली पीढ़ी के नेताओं की भूमिकाओं पर अंतिम निर्णय ममता बनर्जी पर निर्भर है। वह तय करती हैं कि कौन चुनाव लड़ेगा या पार्टी में किस पद पर रहेगा। वह अंतिम प्राधिकारी हैं।’
एक व्यक्ति-एक पद के प्रस्ताव पर भी चर्चा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बंदोपाध्याय और रॉय दोनों उन नेताओं की सूची में शीर्ष पर हैं जिन पर पार्टी में प्रस्तावित आयु सीमा लागू होने पर प्रभाव पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी कहा कि केवल मुख्यमंत्री बनर्जी अधिकतम आयु सीमा या एक व्यक्ति-एक पद के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्रदराज नेताओं को बाहर करने और अभिषेक बनर्जी की ओर से चुने गए युवा नेताओं के लिए रास्ता बनाने के लिए उम्र सीमा और एक व्यक्ति-एक पद की मांग बढ़ रही है। तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेता ने कहा, ‘बेहतर होता कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह बहस नहीं होती क्योंकि यह हमारी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।’