भारत की सबसे तेज क्रिकेट पिच, जहां ढाई महीने पहले ही शुरू होगी ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारी

भारतीय क्रिकेट टीम इस साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाएगी, जहां दोनों टीमों के बीच 5 टेस्ट मैच की सीरीज खेली जाएगी. ये सीरीज इस साल टीम इंडिया के टेस्ट कैलेंडर का सबसे अहम हिस्सा है. टीम इंडिया ने पिछले लगातार 2 ऑस्ट्रेलियाई दौरों पर टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास कायम किया था और अब वो हैट्रिक लगाने के इरादे से उतरेगी. उन दोनों ही सीरीज में टीम इंडिया की जीत में उसके तेज गेंदबाजों की भूमिका सबसे अहम थी और इस बार भी इसकी जरूरत पड़ेगी. लेकिन बड़ा सवाल है कि जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज का साथ देने के लिए बाकी पेसर कौन होंगे? इसका ही जवाब तलाशने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने दलीप ट्रॉफी के मुकाबलों के लिए एक ऐसा वेन्यू चुना है, जिसका नाम कम ही सुना गया है लेकिन जो एहसास बिल्कुल ऑस्ट्रेलिया जैसा देता है.
5 सितंबर से दलीप ट्रॉफी मुकाबलों के साथ ही भारत का डॉमेस्टिक क्रिकेट सीजन शुरू होगा, जिसमें 4 टीमें- इंडिया ए, बी, सी और डी, हिस्सा ले रही हैं. वैसे तो इस टूर्नामेंट को बांग्लादेश के खिलाफ 19 सितंबर से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के लिए तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है, जो कि सही भी है और इसलिए भी बोर्ड ने टेस्ट टीम का हिस्सा ज्यादातर खिलाड़ियों को इन टीमों में शामिल किया है लेकिन बोर्ड सिर्फ एक सीरीज नहीं, बल्कि करीब 3 महीने बाद शुरू हो रही ‘बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी’ (BGT) के बारे में भी अभी से सोच रहा है और तैयारी में जुट गया है.
भारत की सबसे तेज पिच
करीब 11 साल बाद फर्स्ट क्लास क्रिकेट की आंध्र प्रदेश के छोटे से कस्बे, अनंतपुर में वापसी हो रही है. बेंगलुरु से करीब किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश में मौजूद इस वेन्यू में पिछले 11 सालों में सिर्फ 2018 में एक मैच खेला गया था लेकिन सही सही मायनों में 2013 के बाद अनंतपुर में डॉमेस्टिक क्रिकेट के उच्च दर्जे का क्रिकेट खेला जाएगा, जिसमें टीम इंडिया की टेस्ट और वनडे टीम से जुड़े कई खिलाड़ी मैदान पर उतरते दिखेंगे. अब ऐसे में सवाल उठा कि अचानक बोर्ड ने इस अनजान सी जगह को क्यों चुना, जहां तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भी करीब 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर है? जवाब है यहां मौजूद मैदान की पिचें.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अनंतपुर मैदान को भारत की सबसे तेज पिच का गढ़ माना जाता है. भले ही यहां पिछले 11 साल में कोई बड़ा क्रिकेट नहीं हुआ लेकिन उससे पहले करीब 10 साल तक यहां फर्स्ट क्लास मैच खेले जाते थे और तब यहां तेज गेंदबाजों का बोलबाला था, जिन्होंने बल्लेबाजों पर कहर बरपाया था. रिपोर्ट में कुछ आंकड़ों का हवाला भी दिया गया है- इस मैदान पर 2004 से 2013 के बीच खेले गए 15 फर्स्ट क्लास मैच में 345 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए थे, जबकि स्पिनर्स की झोली में सिर्फ 96 विकेट आए. क्या ये बात भारत में मौजूद किसी दूसरे मैदान के लिए बोली जा सकती है?
पर्थ और एडिलेड जैसी तेज-उछाल वाली पिच
आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की मदद से एक एनजीओ इस मैदान को ऑपरेट करता है, जिसने इसे स्थानीय लोगों में खेलों के जरिए मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस पूरे मैदान और फेसिलिटी को तैयार किया था. साथ ही तैयार की गई थीं काली मिट्टी से बनी पिच, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका की पिच के आधार पर वैज्ञानिक तरीकों से बनाया गया था, इसलिए ही उनमें रफ्तार और तेज उछाल मिलता रहा है. रिपोर्ट में इस मैदान की संचालक संस्था RDT के डाइरेक्टर के हवाले से बताया गया है कि यहां की पिच का बर्ताव भी बिल्कुल वैसा ही है, जैसा ऑस्ट्रेलिया में पर्थ और एडिलेड जैसे मैदानों की पिच हैं, जिन्हें तेज रफ्तार और उछाल के लिए मददगार बताया जाता रहा है.
सिर्फ बॉलिग नहीं, बैटिंग भी तो परखनी है
दलीप ट्रॉफी के 6 में से 5 मैच इसी मैदान की अलग-अलग पिच पर खेले जाएंगे, जबकि पहला ही मैच बेंगलुरु में खेला जाएगा. इन पिच पर भारतीय बोर्ड और सेलेक्टर्स अर्शदीप सिंह, खलील अहमद, आवेश खान, प्रसिद्ध कृष्णा जैसे तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन पर नजर रखेंगे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ बुमराह, शमी और सिराज पर ही सारा बोझ नहीं लादा जा सकता. खास तौर पर पिछले दौरे के अनुभव को याद रखा गया होगा, जब शमी और बुमराह चोटिल हो गए थे और टीम को बिल्कुल नए तेज गेंदबाजों के साथ गाबा के मैदान पर उतरना पड़ा था. सिर्फ तेज गेंदबाज ही नहीं, बल्कि बोर्ड बल्लेबाजों पर भी नजर रखेगा कि वो ऐसी परिस्थितियों का कैसे और कितनी देर तक डटकर सामना करते हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ अच्छे तेज गेंदबाज ही नहीं चाहिए बल्कि विरोधी पेसर्स को अच्छे से खेलने वाले बल्लेबाज भी चाहिए.

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