यूपी कांग्रेस में होने जा रही ‘ओवरहालिंग’, निष्क्रिय नेताओं को संगठन से बाहर करने का प्लान तैयार

उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन दशक से सत्ता का वनवास झेल रही है कांग्रेस के लोकसभा चुनाव में मिली जीत से हौसले बुलंद हैं. कांग्रेस ने अब यूपी संगठन की पूरी तरह से ओवरहालिंग करने का प्लान बनाया है. कांग्रेस ने अपने तमाम जिला और शहर अध्यक्षों को बदलने की रूपरेखा बनाई है, जो एक्टिव मोड में काम नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस निष्क्रिय नेताओं की छटनी करके संगठन में तेज-तर्रार नेताओं को जगह देने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस 2027 विधानसभा चुनाव के लिए अभी से संगठन को एक्टिव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले छह राष्ट्रीय सचिवों को फिर से उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है. प्रदेश सचिव की तैनाती के बाद कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ छह सचिवों की बैठक दिल्ली में हुई है. इस दौरान पार्टी संगठन को भी फिर से चुस्त-दुरुस्त करने का आदेश दिया गया है. यूपी कांग्रेस नेताओं की बैठक एक बार फिर से शनिवार को दिल्ली में होनी है. इस बैठक में उपचुनाव के साथ-साथ यूपी संगठन में ‘ओवरहालिंग’ की पठकथा लिखी जाएगी.
पार्टी को दोबारा से संजीवनी देने में जुटे राहुल गांधी
यूपी में 1989 के बाद से कांग्रेस सत्ता में नहीं आ सकी है. साल 2014 में दो जबकि 2019 में केवल एक लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में थी. इस बार कांग्रेस 17 सीटों पर लड़कर छह सीटों पर जीतने में सफल रही है. अमेठी, रायबरेली के अलावा इलाहाबाद, सीतापुर और सहारनपुर सीट भी है, जहां कांग्रेस 40 साल के बाद जीती है. सपा के साथ गठबंधन और फिर मुस्लिम और दलित वोटरों का कांग्रेस के पक्ष में रुझान दिखाई दिया है, इसके चलते ही कांग्रेस अपने लिए 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ा अवसर तलाश रही है. ऐसे में राहुल गांधी यूपी में सक्रिय हैं और पार्टी को दोबारा से संजीवनी देने में जुटे हैं.
कांग्रेस ने हाल ही में छह राष्ट्रीय सचिव को यूपी की जिम्मेदारी फिर से सौंपी है. धीरज गुर्जर, राजेश तिवारी, तौकीर आलम, प्रदीप नरवाल, नीलांशु चतुर्वेदी और सत्यनारायण पटेल को सचिव बनाकर यूपी में लगाया गया है. प्रियंका गांधी जब उत्तर प्रदेश की प्रभारी थीं, उस समय से ही छह नेता जिम्मा संभाल रहे हैं. तीन दिन पहले यूपी के सभी सचिवों की दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक हुई थी. इसमें संगठन को लेकर चर्चा हुई और तय हुआ है कि जिलों के संगठन की समीक्षा की जाए. जो भी जिला और शहर अध्यक्ष फिलहाल पूरी तत्परता से काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें चिह्नित करके उनकी जगह पर किसी दूसरे को यह जिम्मेदारी दी जाए.
10 से 15 दिन में जारी हो सकती है लिस्ट
यूपी कांग्रेस नेताओं को फिर से दिल्ली तलब किया गया है. अविनाश पांडेय, अजय राय और अनिल यादव सहित यूपी संगठन से जुड़े नेताओं की बैठक शनिवार को दिल्ली में शाम चार बजे है. माना जा रहा है कि इस बैठक में उपचुनाव की रणनीति पर मंथन करने के साथ-साथ यूपी संगठन में बदलाव को लेकर चर्चा होगी. कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि यूपी संगठन में बदलाव के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. सूबे के जिन जिला और शहर के अध्यक्ष को हटाना है, उनकी सूची भी तैयार कर ली गई है. उन जगह पर नए जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष के नाम भी तय कर लिए गए हैं.
दिल्ली में शनिवार को होने वाली बैठक में कांग्रेस नेतृत्व से यूपी संगठन में बदलाव पर विचार-विमर्श किया जाएगा. इसके बाद अगले 10 से 15 दिनों में जिला और शहर अध्यक्षों की लिस्ट नए सिरे से जारी की जा सकती है. जिला और शहर अध्यक्ष तय होने के बाद प्रदेश कमेटी में भी कुछ और लोगों को शामिल करने की तैयारी है. यूपी कांग्रेस संगठन में पहले से शामिल लोगों की जिम्मेदारी बदलने पर विचार किया जा रहा है.
कांग्रेस ने बनाई अल्पसंख्यक अध्यक्ष बनाने की रणनीति
कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम को राष्ट्रीय सचिव बनाकर बिहार का प्रभार सौंपा गया है. इसके चलते यूपी में नए अल्पसंख्यक अध्यक्ष की भी नियुक्ति होनी है. माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार किसी एक नेताओं को अध्यक्ष बनाने के बजाय तीन से चार अध्यक्ष बनाने का दांव चल सकती है. कांग्रेस ने यूपी को अपने संगठन के लिहाज से चार हिस्सों में बांट रखा है. माना जा रहा है कि इसी फॉर्मूले पर कांग्रेस ने अल्पसंख्यक अध्यक्ष भी बनाने की रणनीति बनाई है.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की मंशा है कि विधानसभा उपचुनाव के पहले ही यह प्रक्रिया पूरी करने कर ली जाए. हालांकि नेतृत्व की तरफ से साफ कर दिया गया है कि बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन इससे उपचुनाव की तैयारियां प्रभावित नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस यूपी संगठन में बदलाव को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. अब देखना है कि कांग्रेस अपने किन अध्यक्ष को हटाती है और उनकी जगह किसे कमान सौंपती है.

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