जम्मू-कश्मीर में आधी आबादी को नहीं मिली कभी हिस्सेदारी, पांच दशक में सिर्फ 12 महिलाएं बनीं विधायक
जम्मू-कश्मीर की सियासत में महबूबा मुफ्ती पहली महिला मुख्यमंत्री रही हैं, लेकिन ‘आधी आबादी’ को उनकी भागीदारी के लिहाज से हिस्सेदारी नहीं मिल सकी है. महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दलों के हाथ हमेशा से तंग रहे हैं. इसी का नतीजा रहा कि कभी दो तो कभी तीन महिलाएं विधानसभा में चुनकर आती रही हैं. 1972 से लेकर 2014 तक यानि पांच दशक के सियासी इतिहास में 12 महिलाएं ही विधायक बन सकी हैं. ऐसे में अब देखना है कि इस बार के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कितनी महिलाएं विधायक चुनी जाती हैं?
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के समाप्त होने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में 18 सिंतबर को पहले चरण में 24 सीटों पर वोटिंग है, जिसके लिए कुल 219 उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. इनमें सिर्फ नौ महिलाएं ही मैदान में उतरी हैं. इसके बाद दो चरणों में बाकी बची 66 सीटों के लिए चुनाव होंगे. अभी तक के टिकट को देकर साफ तौर पर समझा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की सियासत में भागीदारी के लिए राजनीतिक दल किस तरह उदासीन हैं.
जम्मू-कश्मीर में केवल 12 महिलाएं बनीं विधायक
साल 1972 से लेकर 2014 तक जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ 12 महिला ही विधायक बनने में कामयाब रही हैं. इन 52 सालों में सिर्फ 172 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाया है, जिसमें से 142 महिलाओं की जमानत जब्त हो चुकी है. 12 महिलाएं विधायक चुनी गई हैं, जिसमें 1972 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक चार महिलाएं विधायक बनीं थी, लेकिन उसके बाद हुए चुनावों में महिलाएं दो से तीन ही जीतती रही हैं. इनमें भी महबूबा मुफ्ती ने तीन बार विधायक बनने के साथ ही मुख्यमंत्री का पद भी संभाला.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में महिला विधायकों की संख्या देखें तो साल 1972 में चार महिलाएं विधायक चुनी गईं. राजदुलारी हंडू और सरोजिनी योगाचार्य प्रमुख थी. 1987 में भी चार महिला विधायक चुनी गईं. इसके बाद 1996 महिला विधायकों की संख्या दो, 2002 महिला विधायकों की संख्या दो, 2008 महिला विधायकों की संख्या तीन, 2014 महिला विधायकों की संख्या दो मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती चुनकर आईं और महिला विधायकों की संख्या फिर तीन हो गई. नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमीम फिरदौस के नाम भी 2008 और 2014 में विधायक बनने का इतिहास दर्ज है.
महबूबा मुफ्ती पहली महिला सीएम
महबूबा मुफ्ती को सियासत विरासत में अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद से मिली है. साल 1996 में महबूबा पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई गई. इसके बाद लोकसभा सांसद रही और 2002 और 2008 में सांसद बनीं. इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन बीजेपी के साथ उनके रिश्ते बिगड़ जाने के बाद इस्तीफा दे दिया है. इस बार महबूबा मुफ्ती खुद चुनाव नहीं लड़ रही हैं बल्कि अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को विधानसभा चुनाव में पीडीपी के टिकट से उतारा है.
2024 में महिला विधायक कितनी होंगी?
जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. राज्य के प्रमुख दलों ने महिलाओं को टिकट देने का वादा किया है. बीजेपी, नेशनल कॉफ्रेंस और पीडीपी ने महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के वादे किए हैं. बीजेपी ने एक किश्तवाड़ से शगुन परिहार को प्रत्याशी बनाया है. नेशनल कॉफ्रेंस ने तीन महिलाओं को टिकट दिया है. हव्वाकदल से शमीम फिरदौस, टीएच पोरा सकीना इत्तू, पाडर नागसेनी से पूजा ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे ही पीडीपी ने हजरतबल से आशिया निकास और विजबिहाड़ा से इल्तिजा मुफ्ती को प्रत्याशी बनाया है.
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहले चरण में 9 महिलाएं किस्मत आजमा रही हैं. आरपीआई से डेजी रैना राजपोरा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. अनंतनाग पश्चिम सीट से निर्दलीय गुलशन अख्तर मैदान में है. श्रीगुफवारा-बिजबेहरा से पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती, कुलगाम से अफरोजा बानो, डीएच पोरा से सकीना मसूद इटू नेशनल कॉन्फ्रेंस से चुनाव लड़ रही हैं. इसके अलावा मीनाक्षी भगत भद्रवाह सीट से बसपा से किस्मत आजमा रही हैं. डोडा पश्चिम से निर्दलीय उम्मीदवार मीनाक्षी कालरा चुनाव लड़ रही हैं. पद्दार-नागसेनी से नेशनल कॉन्फ्रेंस से पूजा ठाकुर चुनाव में उतरी हैं. किश्तवाड़ से बीजेपी के टिकट पर शगुन परिहार चुनाव लड़ रही हैं.