चीन से सावधान रहने की जरुरत, वर्ना भारत बन जाएगा ईवी कॉलोनी

देश में ईवी सेक्टर जिस तरह से ग्रो करना चाहिए उतनी तेजी के साथ नहीं कर रहा है. जिसकी वजह से चीनी कंपनियों की इस सेक्टर में तेजी के साथ सिर्फ एंट्री ही नहीं हो रहा है, बल्कि भारतीय कंपनियों की निर्भरता भी बढ़ रही है. यही कारण है कि आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने शुक्रवार को कि सरकार को घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेक्टर को प्रोत्साहनों पर निर्भरता के बिना स्वाभाविक रूप से बढ़ने देना चाहिए, ताकि देश चीन के लिए ईवी कॉलोनी ना बन सके. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर जीटीआरआई की ओर से क्या क​हा गया है?
भारत जैसी चुनौतियां कहीं नहीं
जीटीआरआई ने कहा कि भारत को बड़े पैमाने पर ईवी को अपनाने में ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका सामना अन्य देशों को नहीं करना पड़ रहा है. जीटीआरआई ने कहा कि इन चुनौतियों में कोयले जैसे फॉजिल फ्यूल से उत्पन्न 80 फीसदी बिजली, बार-बार बिजली कटौती और देश में बैटरी और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे ईवी बनाने के लिए जरूरी घटकों के लिए आयात पर निर्भरता शामिल है.
जीटीआरआई ने कहा कि इन चुनौतियों पर विचार करते हुए भारी प्रोत्साहनों के साथ मैदान में उतरने या चीनी इंपोर्ट पर निर्भर होने के बजाय भारत के पास अपने ईवी सेक्टर को स्वाभाविक रूप से विकसित होने देने का अवसर है. बाजार की ताकतों को सेक्टर की ग्रोथ को आगे बढ़ाने की अनुमति देकर, भारत चीन के लिए ईवी कॉलोनी बनने से बच सकता है और ग्लोबल ईवी सिनेरियो में अपना रास्ता बना सकता है.
आसियान देशों में ट्रांसफर कर रहा प्रोडक्शन
शोध संस्थान ने कहा कि ग्लोबल ईवी मार्केट में भूचाल आ रहा है, जिसकी वजह अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और कनाडा द्वारा चीन से ईवी और उसके पुर्जों के इंपोर्ट पर हाई चार्ज और प्रतिबंध लगाना है. ये सेक्टर चीन के वैश्विक ईवी निर्यात का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं और एक रणनीतिक मोड़ में, चीन अपना उत्पादन आसियान देशों में ट्रांसफर कर रहा है और भारत पर अपनी नज़रें जमा रहा है.
जीटीआरआई के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ये प्रोडक्शन यूनिट्स अब भी चीन से इंपोर्ट पर बहुत अधिक निर्भर रहेंगी, क्योंकि बैटरी सहित 70-80 फीसदी पुर्जे वहीं से आते हैं. थाइलैंड चीनी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन की अनुमति देने वाला पहला देश है, जो पहले से ही बढ़ते इंपोर्ट और स्थापित विनिर्माताओं से कम बिक्री की शिकायतों के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह भी रिस्क है कि चीन भारत में अतिरिक्त इलेक्ट्रिक वाहन डाल सकता है, क्योंकि विकसित बाजारों तक उसकी पहुंच कठिन हो जाएगी.

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